हर राजमार्ग के लिए विशेष कंपनी बनाने की योजना | मेघा मनचंदा / नई दिल्ली February 16, 2020 | | | | |
धन जुटाने के नए तरीकों से कर्ज कम करने की एक और कवायद के तहत भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने भविष्य की परियोजनाओं के लिए परियोजना आधारित वित्तपोषण मॉडल अपनाने की योजना बनाई है। एनएचएआई के चेयरमैन सुखवीर सिंह संधू ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'हम हर परियोजना को विशेष उद्देश्य इकाई (एसपीवी) में बदलेंगे और इसके लिए फंड की व्यवस्था वह कंपनी करेगी। हमने 22 एक्सप्रेसवे और नियंत्रित प्रवेश वाले राजमार्गों (एक्सेस कंट्रोल हाइवे) की सूची बनाई है जहां हम इस मॉडल को लागू करने की योजना बना रहे हैं।'
काम के प्रस्तावों के मुताबिक हर परियोजना की एसपीवी होगी, जिसका बुनियादी वित्तपोषण 30 प्रतिशत इक्विटी के रूप में एनएचएआई द्वारा होगा। शेष 70 प्रतिशत धन कर्ज के माध्यम से जुटाया जाएगा, जिसका भुगतान संबंधित एसपीवी टोल राजस्व से करेगी। संधू ने कहा, 'इस तरह की एसपीवी को कर्ज देने के लिए बैंकों से संपर्क किया जाएगा क्योंकि यह स्वतंत्र कंपनियां होंगी, जिनके अपने मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और अन्य अधिकारी होंगे।' उन्होंने कहा कि इसके अधिकारी सरकार से या लेटरल एंट्री के माध्यम से या निजी क्षेत्र से लिए जा सकते हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम में एनएचएआई को नई कंपनियों के सृजन की अनुमति है। इस प्रस्ताव के तहत दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे को लाए जाने की उम्मीद है और एनएचएआई ने 22 एक्सप्रेसवे और नियंत्रित प्रवेश वाले राजमार्गों की सूची बनाई है, जिनमें एसपीवी में बदले जाने की पर्याप्त संभावना है। सूत्रों के मुताबिक प्राधिकरण द्वारा यह कवायद उस पर बढ़ते कर्ज का दबाव कम करने के लिए की जा रही है। एनएचएआई का कर्ज पिछले साल चिंता का विषय बन गया था, जब प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने बढ़ते कर्ज की स्थिति को लेकर नाखुशी जताई थी।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने राजमार्ग के तहत सड़कों के व्यापक और लापरवाही से विस्तार करने को लेकर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और एनएचएआई की खिंचाई की थी। साथ ही यहग भी सलाह दी थी कि एनएचएआई सड़कें बनाना बंद करे और संपत्ति प्रबंधन कंपनी बने। उसके बाद से ही एनएचएआई अपना राजस्व बढ़ाने की हर कवायद में लगा है। सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने कुछ विकल्प सुझाए हैं, जिसका पालन सड़क मंत्रालय और एनएचएआई कर सकते हैं। इसमें वैल्यू कैप्चर फाइनैंसिंग, विकास शुल्क लगाना और राजमार्गों के किनारे सुविधाओं को साझा करना शामिल है। एनएचएआई की परियोजनाओं की व्यवहार्यता और उनकी वित्तीय स्थिरता में सुधार के लिए यह किया जा रहा है। संपत्ति मुद्रीकरण तकनीकों में टोल ऑपरेट ट्रांसफर मॉडल (टीओटी) और इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट) के माध्यम से राजस्व जुटाना शामिल है। इन दोनों तरीकों पर एनएचएआई सक्रियता से जोर दे रहा है।
यह भी सिफारिश की गई है कि वैल्यू कैप्चर फाइनैंस (वीसीएफ) को एनएचएआई परियोजनाओं में प्रमुखता दी जाएगी। वीसीएफ के माध्यम से गैर कर राजस्व को कई साधनों से बढ़ाया जा सकता है, जिसमें खाली भूमि पर कर, विशेष आकलन कर, विकास अधिकारों के हस्तांतरण (टीडीआर( और लैंड पूलिंग आदि शामिल है, लेकिन यह इसी तक सीमित नहीं रहेगा। वीसीएफ में साïर्वजनिक बुनियादी ढांचे पर आने वाले खर्च की भरपाई जमीन के मालिकों या राज्यो से पूरी तरह या आंशिक रूप से कि ए जाने का प्रस्ताव है।
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