सावरकर ने डाली महाराष्ट्र सरकार में दरार | सुशील मिश्र / मुंबई February 14, 2020 | | | | |
शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बीच एल्गार परिषद् को लेकर दरार पड़ गई है। राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपे जाने से सहयोगी दल एनसीपी नाराज है। इस फैसले पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने नाराजगी व्यक्त की है। हालांकि मुख्यमंत्री के बाद अदालत ने भी भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच एनआईए कौ सौंपने का आदेश दिया। भीमा-कोरगांव हिंसा मामले की जांच मुंबई की स्पेशल एनआईए कोर्ट में हस्तांतरित करने का आदेश पुणे के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसआर नवांदर ने शुक्रवार को दिया। न्यायाधीश नवांदर राज्य सरकार की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें जांच को एनआईए को हस्तांतरित करने पर आपत्ति जताई गई है। अदालत के फैसले से ठीक एक दिन पहले सीएम उद्धव ठाकरे ने भी एनआईए के हाथ इसकी जांच करवाने का निर्णय ले लिया था। मुख्यमंत्री के फैसले पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि कानून व्यवस्था का मामला राज्य का है और राज्य सरकार को ऐसे केंद्र के निर्णय का समर्थन नहीं करना चाहिए। शरद पवार का कहना है कि भीमा कोरेगांव मामले में महाराष्ट्र सरकार कुछ एक्शन लेने वाली थी, इसलिए केंद्र ने एल्गार परिषद के मामले को अपने हाथ में ले लिया। शरद पवार से पहले एनसीपी नेता व राज्य गृह मंत्री अनिल देशमुख नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के पास शक्ति है। उन्होंने मेरे प्रस्ताव को खारिज कर दिया और जांच करने के लिए एनआईए को हरी झंडी दे दी। बड़ा नीतिगत निर्णय लेने से पहले, राज्य सरकार को केंद्रीय मंत्रालय को बताना चाहिए था कि उसके निर्णय पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।
एल्गार परिषद् 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में शनिवार वाडा में दलित समूहों और अन्य लोगों द्वारा आयोजित एक सभा थी। इसके एक दिन बाद (एक जनवरी 2018) भीमा कोरेगांव युद्ध के वार्षिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए गांववाले पहुंचे थे, जहां हिंसा भड़क गई थी। इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि अन्य घायल हुए थे। तत्कालीन भाजपा-शिवसेना सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। वहीं नक्सलियों से सहानुभूति रखने वाले कुछ लोगों को गिरफ्तार किया जिन्होंने एल्गार परिषद् का समर्थन किया था। एनसीपी, कांग्रेस और कुछ दलित समूहो ने हिंसा के लिए हिंदुत्व संगठनों को जिम्मेदार ठहराया था। गौरतलब है कि शुक्रवार सुबह महाराष्ट्र सरकार की पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक थी जिसमें दोपहर तीन बजे यह मामला एनआईए को हस्तांतरित करने का आदेश दिया गया है। इस मामले पर शरद पवार का कहना है कि यह संविधान के अनुसार गलत है क्योंकि अपराध की जांच राज्य का अधिकार क्षेत्र है।
वीर सावरकर को लेकर भी सत्ता में शामिल दलों के बीच दरार पड़ती जा रही है। शिवसेना सावरकर को आदर्श मानती है जबकि कांग्रेस एनसीपी सावरकर को लेकर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं। हिंदुत्व की विचारधारा और स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के बारे में आलोचात्मक लेख प्रकाशित करने वाली कांग्रेस की पत्रिका 'शिदोरी' पर प्रतिबंध लगाने की फडणवीस की मांग के बारे में एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को अपने विचार रखने का पूरा अधिकार है। यह दिखाता है कि वर्तमान सरकार में लोग अपने विचार खुलकर व्यक्त कर सकते हैं और उनके विचारों को दबाया नहीं जा रहा। भाजपा ने 'द्वेषपूर्ण' सामग्री छापने पर पत्रिका पर प्रतिबंध और पार्टी से माफी की मांग की। फडणवीस ने शिवसेना को आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि सावरकर पर कांग्रेस के हमलों को वह अनदेखा कर रही है। उन्होंने कहा था कि उद्धव ठाकरे नीत दल को यह बताना चाहिए कि अपने सत्तारूढ़ साझेदार के हाथों वह और कितना अपमान बर्दाश्त कर सकता है। गौरतलब है कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर प्रदेश में महाराष्ट्र विकास आघाड़ी की सरकार बनाई है।
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