'सबका विश्वास' से कम धन मिलने के आसार | दिलाशा सेठ / नई दिल्ली February 13, 2020 | | | | |
चालू वित्त वर्ष के चुनौतीपूर्ण राजस्व लक्ष्य से जूझ रहे अप्रत्यक्ष कर विभाग को सबका विश्वास योजना से मामूली राहत मिलने के आसार हैं क्योंकि करदाताओं ने घोषित करों में से करीब 65 फीसदी का पहले ही भुगतान कर दिया है। पुराने कर विवादों के समाधान की योजना के तहत 39,000 करोड़ रुपये के कर का खुलासा किया गया है। इसमें विभाग को केवल 14,000 करोड़ रुपये मिल पाएंगे क्योंकि आवेदक 25,000 करोड़ रुपये पहले ही जमा करा चुके हैं। सबका विश्वास योजना के तहत निपटान के लिए करीब 1,90,000 करदाता आगे आए हैं।
एक अधिकारी ने कहा, 'हमारे पास आवेदन आए हैं और हम उन्हें भुगतान के लिए नोटिस भेज रहे हैं। हालांकि बकाये से राजस्व में बहुत अधिक इजाफा नहीं होगा क्योंकि जांच, पूछताछ या ऑडिट के समय प्री-डिपॉजिट के रूप में एक बड़ा हिस्सा पहले ही विभाग को दिया जा चुका है। ऐसे में केवल 14,000 करोड़ रुपये ही संग्रहित करने के लिए बचे हैं।' अप्रत्यक्ष कर का लक्ष्य वित्त वर्ष 2020 के बजट अनुमानों की तुलना में संशोधित अनुमानों में 1.8 लाख करोड़ रुपये घटाया गया है। लेकिन अब तक के संग्रह को देखते हुए यह भी मुश्किल नजर आ रहा है। केंद्रीय जीएसटी अप्रैल से जनवरी तक की अवधि में 10.4 फीसदी बढ़ा है और संशोधित अनुमान को पूरा करने के लिए इसमें वित्त वर्ष के शेष दो महीनों में 21 फीसदी बढ़ोतरी की जरूरत होगी। केंद्रीय जीएसटी के लक्ष्य को संशोधित अनुमान में एक लाख करोड़ रुपये घटाया गया है।
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से दिसंबर तक की अवधि में सीमा शुल्क संग्रह 12 फीसदी कम हुआ है, जिसमें जनवरी से मार्च अवधि में 90 फीसदी बढ़ोतरी की जरूरत होगी। बजट में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं घरेलू वस्तुओं सहित कुछ उत्पादों पर यह शुल्क बढ़ाया गया है, जिससे सरकारी खजाने को कुछ मदद मिल सकती है। इसी तरह उत्पाद शुल्क राजस्व चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में दो फीसदी घटा है, जिसमें शेष तीन महीनों में 27 फीसदी बढ़ोतरी की जरूरत होगी। सीबीआईसी के एक वरिष्ठ सदस्य ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'मुझे नहीं लगता कि अनुमान सही नहीं हैं। हम लक्ष्य से ज्यादा से ज्यादा 5,000-6,000 करोड़ रुपये दूर रहेंगे, इससे अधिक नहीं। हम पिछले महीने की तरह फरवरी में जीएसटी संग्रह 1.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहने की उम्मीद कर रहे हैं। सबका विश्वास योजना से प्राप्त राशि उत्पाद शुल्क संग्रह में जुड़ेगी क्योंकि आवेदनों के भुगतान फरवरी से आने शुरू हो जाएंगे।'
उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनियां इस योजना से दूर बनी हुई हैं क्योंकि उनका मानना है कि वे अपना मुकदमा लड़ सकती हैं और इन मुकदमों में सरकार के जीतने का प्रतिशत महज 10 फीसदी है। यह योजना सितंबर में शुरू की गई थी ताकि उत्पाद शुल्क एवं सेवा शुल्क से संबंधित लंबित 3.75 लाख करोड़ रुपये के कर विवादों को निपटाया जा सके। करदाताओं को 40 से 70 फीसदी छूट, ब्याज एवं जुर्माने के भुगतान में राहत और मुकदमेबाजी से पूरी राहत की पेशकश की गई थी। सेवा कर और उत्पाद शुल्क का एक बड़ा हिस्सा जुलाई 2017 से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में शामिल कर दिया गया है। एएमआरजी एसोसिएट्स में सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि लंबी दौड़ के बाद सरकार को केवल एक छोटी राशि मिल पाएगी। उन्होंने कहा, 'यह कर मुकदमों की दयनीय स्थिति है, जहां करदाताओं को अपने कर दावों को लेकर पूरा भरोसा है और वे अदालतों में अंतिम फैसले के बाद प्री-डिपॉजिट के रिफंड के लिए आवेदन करना चाहते हैं।'
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