टाटा ट्रस्ट्स के नए सीईओ होंगे श्रीनाथ | देव चटर्जी / मुंबई February 12, 2020 | | | | |
टाटा ट्रस्ट्स के न्यासी ने टाटा समूह के श्रीनाथ नरसिम्हन को ट्रस्ट्स का मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति 1 अप्रैल से प्रभावी हो जाएगी। नरसिम्हन ऐसे समय में ट्रस्ट्स के साथ जुड़ रहे हैं जब इसका (ट्रस्ट्स का) आयकर विभाग के साथ विवाद चल रहा है और टाटा समूह पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री और समूह के संरक्षक रतन टाटा की आपसी लड़ाई में फंसी है। टाटा संस में ट्रस्ट्स की 66 प्रतिशत हिस्सेदारी है। टाटा संस टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी है और लाभांश आय का इस्तेमाल परोपकार के कार्यक्रम संचालित करने के लिए करती है। नरसिम्हन फिलहाल टाटा टेलीसर्विसेस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक है। नरसिम्हन टाटा समूह में कई जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। वह टाटा कम्युनिकेशंस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक भी रह चुके हैं। वह1986 में टाटा प्रशासनिक सेवाओं से जुड़े थे।
न्यासियों ने सिटी इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी प्रमित झवेरी को सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट का न्यासी नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति बुधवार से प्रभावी हो गई है। पिछले वर्ष फरवरी में आर वेंकटरमणन ने टाटा ट्रस्ट्स के प्रबंध न्यासी (मैनेजिंग ट्रस्टी) के पद से इस्तीफा दे दिया था। नए सीईओ को मैनेजिंग ट्रस्टी नियुक्त नहीं किया गया क्योंकि वेंकटरमणन का ऊंचा वेतन चर्चा का विषय बन गया था। आयकर विभाग ने वेंकटरमणन के सालाना 2.66 करोड़ रुपये वेतन की जांच-पड़ताल की थी और उसके बाद सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट को दी कर रियायत वापस ले ली थी। बाद में एक समिति ने सीईओ का चयन करने के लिए कई आंतरिक कर्मचारियों एवं दूसरी जगहों के पेशेवरों का साक्षात्कार लिया था। अंतत: समिति ने सीईओ के लिए नरसिम्हन का चयन किया।
वेंकटरमणन के इस्तीफे के बाद टाटा ट्रस्ट का परिचालन का प्रबंधन टाटा समूह कुछ प्रमुख कर्मचारियों के कर रही थी। संगठन में हाल में किए गए बदलावों के रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा को श्री रतन टाटा ट्रस्ट का न्यासी बनाया गया है। नरसिम्हन के सामने तत्काल सबसे बड़ी चुनौती आकयर विभाग के साथ चल रहे विवाद से निपटने की होगी।
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