विप्रो के एनआरसी ठेके का नहीं हुआ नवीकरण | नेहा अलावधी / नई दिल्ली February 12, 2020 | | | | |
विप्रो ने कहा है कि राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) परियोजना के लिए असम सरकार के साथ उसके काट्रैक्ट का नवीकरण नियत समय के बाद नहीं किया गया था। आईटी सेवा फर्म द्वारा मुहैया कराई गई क्लाउड स्टोरेज सेवा के कारण वेबसाइट से एनआरसी के आंकड़े गायब होने की खबरों की प्रतिक्रिया में कंपनी ने यह कहा है। बुधवार को विप्रो ने एक बयान में कहा है, 'कठिन टेंडर प्रक्रिया के बाद 2014 में विप्रो लिमिटेड को असम मेंं राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) के लिए सिस्टम इंटीग्रेटर के रूप मेंं नियुक्त किया गया था। यह परियोजना गृह मंत्रालय के रजिस्टार जनरल आफ इंडिया द्वारा लागू की जा रही थी, जिसकी निगरानी माननीय उच्चतम न्यायालय के अधीन थी। आईटी सेवा प्रदाता के रूप में विप्रो को परियोजना के तकनीकी आर्किटेक्चर और टेक्नोलॉजी सॉल्यूसंस का काम दिया गया था।'
इसमें आगे कहा गया है, 'एनआरसी के साथ कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों के मुताबिक ये सेवाएं मुहैया कराई गईं और इसकी निगरानी संबंधित प्राधिकारियों ने की। अक्टूबर 2019 में इस कॉन्ट्रैक्ट की अवधि बीत जाने के बाद संबंधित प्राधिकारियों ने इसका नवीकरण नहीं किया। बहरहाल शुभेच्छा में विप्रो ने जनवरी 2020 के आखिर तक होस्टिंग सर्विस शुल्क का भुगतान किया। अगर प्राधिकारियों ने आईटी सेवा समझौते का नवीकरण किया होता तो विप्रो यह सेवाएं मुहैया कराने को तैयार थी। कंपनी इस मसले पर आगे कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहती है।'
सिस्टम इंटीग्रेटर के रूप मे विप्रो जैसी कंपनियां क्लाउड स्टोरेज मुहैया नहीं करातीं, बल्कि वे कई वेंडरों के साथ अपने ग्राहकों के हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, नेटवर्किंग और भंडारण की जरूरतों का एकीरण करती हैं। यह अक्सर प्रोग्रामिंग या अपने दम पर सॉफ्टवेयर बनाने की तुलना में ग्राहकों के लिए ज्यादा सुविधाजनक और सस्ता होता है । बुधवार को आई खबरों के मुताबिक गृह मंत्रालय ने कहा है कि एनआरसी के आंकड़े सुरक्षित थे और क्लाउड स्टोरेज से जुड़ी तकनीकी खामी दूर कर ली गई है।
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