दिल्ली में आप बाकी सब साफ | अर्चिस मोहन / नई दिल्ली February 11, 2020 | | | | |
आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली विधानसभा चुनावों के आज आए नतीजों में एक बार फिर शानदार प्रदर्शन करते हुए भारी जीत दर्ज हासिल की है। पार्टी ने इसे 'भाजपा की नफरत की राजनीति' के खिलाफ 'विकास की राजनीति' की जीत बताया है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक आप 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में 55 सीटें जीत चुकी है और 7 सीटों पर आगे चल रही है। 2015 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों में आप ने 67 सीट जीती थी। इस बार पार्टी को 53.6 फीसदी वोट मिले हैं जो पिछली बार के 54.3 फीसदी से थोड़ा कम है।
भारतीय जनता पार्टी के खाते में 7 सीटें आई है और वह एक सीट पर आगे चल रही है। पिछले विधानसभा चुनावों में पार्टी केवल तीन सीट जीत पाई थी। हालांकि भाजपा का वोट प्रतिशत इस बार बढ़कर 38.5 फीसदी रहा जो पिछली बार 32.1 फीसदी था। भाजपा को इससे पहले झारखंड में भी हार का सामना करना पड़ा था और वह महाराष्ट्र में सरकार बनाने में नाकाम रही थी। पार्टी हरियाणा में भी बहुमत से दूर रह गई थी और उसे गठबंधन सरकार बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। आप को यह जीत ऐसे समय मिली है जब नागरिकता कानून में संशोधन के खिलाफ देश के कई इलाकों में प्रदर्शन हो रहा है। इसमें दिल्ली का शाहीन बाग भी शामिल है जिसे भाजपा ने इन चुनावों में जोरशोर से मुद्दा बनाया था और दिल्ली के मतदाताओं से 'आतंकवादियों' को सत्ता से बाहर करने की अपील की थी।
पिछले महीने भाजपा अध्यक्ष का पद छोडऩे वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन चुनावों को अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लिया था। उन्होंने दिल्ली में व्यापक चुनाव प्रचार किया, कई जनसभाओं को संबंधित किया और घर-घर जाकर पर्चे भी बांटे। प्रचार के दौरान आप और उसके नेता तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नागरिकता संशोधन कानून के विवादास्पद मुद्दे से बचने की कोशिश की। इसके बजाय उन्होंने आप सरकार द्वारा दिल्ली में किए गए कामों को मुद्दा बनाया। आप की जीत के बाद सभी विपक्षी नेताओं ने केजरीवाल सरकार के विकास कार्यों की सराहना की। आप की जीत से क्षेत्रीय दलों का भी भाजपा के खिलाफ मनोबल बढ़ा है। 1998 से 2013 तक लगातार तीन बार दिल्ली में राज करने वाली कांग्रेस एक बार फिर अपना खाता नहीं खोल पाई। पार्टी का वोट शेयर भी 9.6 फीसदी से घटकर 4.27 फीसदी रह गया। पार्टी के केवल तीन उम्मीदवार ही जमानत बचा पाए।
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