विपक्ष के लिए नया मॉडल | आदिति फडणीस / February 11, 2020 | | | | |
दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) की शानदार जीत के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता शरद पवार ने कहा कि दिल्ली चुनाव के नतीजे देश में बदलाव की बयार का संकेत दे रहे हैं। वहीं महाराष्ट्र में उनकी पार्टी के साथ गठजोड़ कर सरकार बनाने वाले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने तो बड़ी साफगोई से कह दिया कि दिल्ली के लोगों ने 'मन की बात' के बजाय 'जन की बात' को चुन लिया। उन्होंने कहा, 'दिल्ली में ही राष्ट्रवादी विचारधारा वाली भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार है जिसने दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी लेकिन झाड़ू के सामने नाकाम साबित हुई।'
आम आदमी पार्टी ने दो सबसे अहम मुद्दे पर काम करते हुए ऐसी रणनीति बनाई जिसकी बदौलत उसे शानदार चुनावी जीत हासिल की। विपक्ष के लिए यह एक नया फॉर्मूला हो सकता है। चुनावी राजनीति में लोगों का मत जीतने का एक तरीका मुफ्त चीजें और सेवाएं देना है। आप की तरह ही तेलंगाना में भी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) अपेक्षाकृत नई पार्टी है जो दिसंबर 2018 मेंं लगातार दूसरी बार 25 सीटों और वोट हिस्सेदारी में 12 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ सत्ता में आई है। 2014 में टीआरएस को 119 सीटों वाले विधानसभा में 63 सीटें मिली थीं। टीआरएस ने भी गरीब परिवारों की लड़कियों की शादी (कल्याण लक्ष्मी/शादी मुबारक), नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य के लिए केसीआर किट्स (अम्मावोदी) और किसानों की मदद के लिए रैयत बंधु जैसी योजनाओं के दम पर सत्ता में दोबारा वापसी की।
शोध संस्था लोकनीति सीएसडीएस के चुनाव पूर्व आंकड़ों के मुताबिक टीआरएस सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को लेकर मतदाताओं के बीच काफी जागरूकता थी। इसकी वजह यह है कि इन योजनाओं को लागू करने के साथ-साथ घर-घर जाकर जनता को इनके बारे में बताया गया था। टीआरएस ने ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के साथ ही दोस्ताना ताल्लुकात बनाए रखा और मुसलमानों को शिक्षा और रोजगार में 12 फीसदी का आरक्षण देने का वादा करने के साथ ही मुस्लिम बच्चों के लिए आवासीय स्कूल भी खोले। इस तर्ज पर उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी चुनावी सफलता पाई थी। उन्होंने बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देने के साथ ही छात्रों को लैपटॉप भी दिया।
बिहार में भी नीतीश कुमार ने दूसरी बार सत्ता में इस वजह से वापसी की क्योंकि उन्होंने 2006 में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विकास के काम किए। लड़कियों को साइकिल और पोशाक देने की वजह से स्कूली छात्रों की नामांकन तादाद पहले साल में ही 30 फीसदी से अधिक तक बढ़ गई। अध्ययन के मुताबिक इस योजना में भ्रष्टाचार 5 फीसदी से भी कम रहा। इसके अलावा पैथोलॉजी सेवाओं के लिए सब्सिडी देने, राज्य सरकार के अस्पतालों में सुधार करने के साथ ही डिजिटलीकरण के जरिये निगरानी की व्यवस्था की गई।
ऐसे में कल्याणकारी योजनाएं सरकारों के दोबारा निर्वाचन में अहम भूमिका निभाती हैं। ऐसा नहीं है कि सभी योजनाएं मुफ्त हों लेकिन कुछ योजनाएं महज नीतिगत फेरबदल से ही प्रभावी और सक्षम साबित हो जाती हैं। आप ने शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में इन प्रयोगों के जरिये महारत हासिल की। दिलचस्प बात यह है कि आप ने राष्ट्रवाद और धार्मिकता का भी एक वैकल्पिक रास्ता दिया। मध्यप्रदेश और दूसरी जगहों पर कांग्रेस ने जहां सॉफ्ट हिंदुत्व की पर जोर दिया, वहीं अरविंद केजरीवाल ने हनुमान और गणेश को अपनाया। वह शाहीन बाग जैसे मुद्दों से दूर रहे लेकिन अल्पसंख्यकों ने उन्हें माफ कर दिया। ओखला से आप के उम्मीदवार अमानुतुल्ला खान ने विधानसभा चुनाव के सभी विजेताओं के मुकाबले भारी बहुमत से जीत हासिल की। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कांग्रेस की हार पर कोई टिप्पणी किए बगैर ही दिल्ली की जनता को भाजपा के ध्रुवीकरण के एजेंडे को हराने के लिए सलाम किया।
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