सिंथेटिक धागा विनिर्माताओं को बड़ी राहत देते हुए इसका प्रमुख कच्चा माल प्यूरिफाइड टेरिफथैलिक एसिड (पीटीए) पिछले एक सप्ताह में 10 प्रतिशत तक सस्ता हो गया है। चीन में कोरोनोवायरस का प्रकोप फैलने के कारण वहां से आयात अस्थायी रूप से रोके जाने के बाद दामों में यह कमी आई है। सिंथेटिक धागे के इस कच्चे माल पर डंपिंगरोधी शुल्क वापस लिए जाने से भारत में यह सस्ता हो गया है। फिलहाल पीटीए का भाव लुढ़ककर 600 से 620 डॉलर प्रति टन के स्तर पर चल रहा है। करीब एक पखवाड़ा पहले पीटीए के दाम तकरीबन 660 से 700 डॉलर प्रति टन के स्तर पर थे। पीटीए के दाम कच्चे तेल के दामों के उतार-चढ़ाव से निर्धारित किए जाते हैं जो पिछले एक सप्ताह में 10 से 12 प्रतिशत तक गिर चुके हैं। कच्चे तेल के साथ जुड़े होने की वजह से घरेलू विनिर्माता भी पीटीए के दाम डॉलर रूप में बताते हैं। सिंथेटिक धागा विनिर्माता पीटीए के दामों में इस गिरावट का श्रेय सरकार द्वारा 2.5 प्रतिशत का डंपिंगरोधी शुल्क समाप्त किए जाने को दे रहे हैं। 1 फरवरी को पेश किए गए आम बजट में इसका प्रस्ताव रखा गया था। इसके अलावा दुनिया के सबसे बड़े पीटीए निर्यातक चीन में घातक कोरोनोवायरस फैलने के कारण भी पीटीए के आयात में ठहराव आ गया है। भारतीय उत्पादकों के पास सिंथेटिक धागा विनिर्माताओं की आपूर्ति के लिए पर्याप्त स्टॉक है। इस कारण अस्थायी रूप से आयात रुकने के कारण पडऩे वाला असर निष्प्रभावी हो जाएगा। फिलाटेक्स इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मधुसूदन भगेरिया ने कहा कि चीन में कोरोनावायरस का प्रकोप फैलने के बाद से पीटीए की कीमतें लगभग 10 प्रतिशत तक गिर चुकी हैं। कच्चे तेल के दामों में गिरावट के अलावा डंपिंगरोधी शुल्क खत्म करने के भारत सरकार के कदम ने भी पीटीए की कीमतों में गिरावट में मदद की है। अन्य पॉलिमरों की कीमतों में भी गिरावट आई है। पीटीए पर डंपिंगरोधी शुल्क के रूप में उत्पादक हमसे प्रति टन करीब 30 से 40 डॉलर वसूल रहे थे जिसका लाभ अब उपभोक्ताओं को मिलेगा। इस बीच विशेषज्ञों का मानना है कि पीटीए पर शुल्क समाप्त करने से सिंथेटिक धागा विनिर्माताओं के लाभ में इजाफा होगा। कच्चे माल की कम कीमत के कारण मांग बढ़ेगी और इसका लाभ उपभोक्ताओं को मिलेगा। सूती वस्त्र निर्यात संवर्धन परिषद (टेक्सप्रोसिल) के चेयरमैन केवी श्रीनिवासन ने कहा कि पीटीए पर डंपिंगरोधी शुल्क खत्म करने से उद्योग को सस्ते दामों पर इसकी उपलब्धता में मदद मिलेगी और तैयार मूल्य संवर्धित उत्पादों में तेजी आएगी। इसके अलावा इस साल निर्यातित उत्पादों पर शुल्कों और करों में कटौती की योजना लाई जाएगी जिसमें बिजली शुल्कों और परिवहन के लिए इस्तेमाल ईंधन पर मूल्य संवर्धित कर (वैट) जैसे शुल्कों का रिफंड होगा। अब तक कपड़ा कंपनियों को ऐसे रिफंड नहीं मिलते थे। ऐसे लाभों से निश्चित रूप से निर्यात बाजार में कपड़ा उत्पादों की प्रतिस्पर्धी क्षमता में काफी इजाफा होगा। जब दाम कम होते हैं, तो कुछ अतिरिक्त मांग पैदा होती है। इसलिए सिंथेटिक कपड़ा विनिर्माताओं को अतिरिक्त मांग का लाभ मिलेगा जो आने वाली तिमाहियों में उनका मुनाफा बढ़ाने में मदद करेगी। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (सीआईटीआई) के चेयरमैन टी राजकुमार का मानना है कि अगर भारत के कपड़ा उद्योग को वर्ष 2025 तक 350 अरब डॉलर वाले बाजार का आकार हासिल करना है, तो अपना कच्चा माल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी दामों पर उपलब्ध कराए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता है। तकरीबन 50 लाख टन की स्थापित क्षमता के साथ बड़े कच्चे तेल रिफाइनर समेत भारतीय उत्पादक करीब 80 प्रतिशत पीटीए क्षमता का इस्तेमाल करते हैं। चीन की 4.5 करोड़ टन उत्पादन क्षमता है जिसमें से 3.5 करोड़ टन की खपत स्थानीय स्तर पर होती है। शेष एक करोड़ टन का उपयोग निर्यात के लिए किया जाता है।
