बजट संदेश : संपत्ति बढ़ाने को करें निवेश | संजय कुमार सिंह और बिंदिशा सारंग / February 09, 2020 | | | | |
बजट के बाद बहुत से निवेशक नई कर व्यवस्था को अपनाएंगे, जिसके तहत उन्हें कर बचाने के लिए कोई निवेश नहीं करने की जरूरत होगी। ऐसे में निवेशकों को कर बचत को ध्यान में रखते हुए वित्तीय योजनाएं चुनने की जरूरत नहीं है। इसके बजाय उन्हें उन निवेश योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए, जो उनकी संपत्ति में ज्यादा से ज्यादा इजाफा करें। अब निवेशक बेहतर विकल्प चुन पाएंगे। मुंबई के कर एवं निवेश विशेषज्ञ बलवंत जैन ने कहा, 'जब आप निवेश का फैसला कर की बचत को ध्यान में रखते हुए लेते हैं तो आपकी पसंद में पूर्वग्रह होता है और आप सबसे बेहतर निवेश नहीं कर पाते हैं।'
भ्रामक बिक्री में कमी
नई कर व्यवस्था का एक स्पष्ट फायदा यह होगा कि जनवरी से मार्च तक के कर बचाने के सीजन में वित्तीय योजनाओं की भ्रामक बिक्री में कमी आएगी। बहुत से निवेशकों को बीमा एवं निवेश योजनाएं केवल इसलिए बेच दी जाती थीं क्योंकि इनसे कर बचता था। इन योजनाओं में बीमा कवर आम तौर पर अपर्याप्त होता था। ये योजनाएं मुख्य रूप से निश्चित आमदनी वाली योजनाओं में निवेश करती हैं, इसलिए उन पर सालाना प्रतिफल 4-5 फीसदी से अधिक नहीं होता है। इन योजनाओं से बाहर निकलना भी महंगा पड़ता था।
लॉक इन से बचें
कर बचत योजनाओं में निवेश नहीं करने का एक फायदा मिलेगा कि निवेशक ऐसी योजनाओं में निवेश कर सकेंगे, जिनमें कोई लॉक इन नहीं होता है। प्लूटस कैपिटल में प्रबंध साझेदार अंकुर कपूर ने कहा, 'पहले एक अत्यधिक पुरातनपंथी निवेशक पांच वर्षीय कर बचत वाली सावधि जमा में निवेश करता था। अब वह किसी भी सामान्य सावधि जमा या आवर्ती जमा में पैसे लगाने के लिए स्वतंत्र होगा, जिनमें सबसे बेहतर प्रतिफल मिलता है।' सेवानिवृत्त कर्मचारी जैसी बहुत सी श्रेणियों के निवेशक भी कर बचाने वाली योजनाओं में निवेश करते हैं ताकि उनकी कर देनदारी कम हो, भले ही वित्तीय योजना के नजरिये से इस निवेश का बहुत ज्यादा तुक नहीं हो।
फैसलों पर कर की फिक्र हावी
कई बार वित्तीय फैसलों पर केवल कर की फिक्र हावी होती है। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स में मुख्य वित्तीय योजनाकार विशाल धवन ने कहा, 'बहुत से लोग जिन्होंने आवास ऋण लिया हुआ है, वे कर छूट हासिल करने के लिए अतिरिक्त पैसा होने के बावजूद पूर्व भुगतान नहीं करते हैं।' लेकिन जब वे पूर्व भुगतान नहीं करते हैं तो उन्हें ऋणदाता को ज्यादा ब्याज का भुगतान करना पड़ता है। धवन ने कहा, 'जिन लोगों ने नई कर व्यवस्था को चुना है, वे अब पूर्व भुगतान कर सकेंगे।'
इसी तरह आम तौर पर लोग इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ईएलएसएस) चुनते हैं क्योंकि उनमें इक्विटी प्रतिफल भी शामिल होती है और उनमें कर बचत भी होती है। लेकिन वे प्रतिफल के मामले में सबसे बेहतर नहीं हैं। अब निवेशक कोई भी ऐसा अच्छा डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड चुन सकेगा, जो उसके पोर्टफोलियो के लिए उपयुक्त है।
बचत का लाभ छिन जाएगा
कर बचाने के लिए निवेश की अनिवार्यता का यह फायदा होता है कि इससे बाध्यता की वजह से बचत होती है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभदायक है, जो अभी शुरुआती करियर में हैं। अब बचत और भविष्य के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निवेश का फैसला पूरी तरह व्यक्ति पर निर्भर होगा। कर व्यवस्था उसे निवेश के लिए प्रेरित नहीं करेगी। जो लोग नई कर व्यवस्था को अपनाएंगे, उन्हें हाथ में आने वाले वेतन का कम से कम 30 फीसदी बचाने और निवेश का लक्ष्य तय करना चाहिए।
कर बचाने वाली योजनाएं
ऐसी बहुत सी योजनाएं, जिन पर कर लाभ मिलता है, वे नई कर व्यवस्था में भी प्रासंगिक हैं। लोगों को उनकी खरीद केवल इसलिए नहीं रोक देनी चाहिए कि उन्हें उनके कर लाभ की जरूरत नहीं है। टर्म इंश्योरेंस पर धारा 80 सी के तहत लाभ मिलता है, लेकिन इसे अब भी खरीदा जाना चाहिए। हर परिवार को 5-10 लाख रुपये का फ्लोटर स्वास्थ्य बीमा कवर खरीदा जाने चाहिए, भले ही वह धारा 80डी का लाभ नहीं ले रहा हो। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) भी अच्छा विकल्प है, जिस पर धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत 50,000 रुपये का अतिरिक्त लाभ मिलता है। यह कम लागत की योजना है, जो सेवानिवृत्ति के लिए आपकी बचतों को लॉक करती है ताकि इसे दूसरी जरूरतों में खर्च नहीं किया जाए।
फिनसेफ के संस्थापक निदेशक मरिन अग्रवाल कहते हैं, 'निवेश उत्पादों को इस आधार पर चुना जाना चाहिए कि वे आपके वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करते हैं या नहीं। अगर आप नई कर प्रणाली भी चुनते हैं तो इक्विटी एवं डेट म्युचुअल फंडों, सार्वजनिक भविष्य निधि और स्वैच्छिक भविष्य निधि में निवेश जारी रखें।'
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