जम्मू कश्मीर को अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की भांति मिलेगा कर में हिस्सा
इंदिवजल धस्माना और अरूप रायचौधरी / नई दिल्ली February 09, 2020
केंद्र से जम्मू कश्मीर को उसी तरह से कर मिलेगा, जैसे अन्य केंद्र शासित प्रदेशों को मिलता है। 15वें वित्त आयोग (एफएफसी) ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को संज्ञान में नहीं लिया है। इस अधिनियम के तहत नए केंद्र शासित प्रदेश को केंद्र से कर हस्तांतरण के मामले में राज्यों का दर्जा दिया गया है। आयोग ने जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में ही माना है, जिसका इस कार्यवाही में कोई दावा नहीं है।
आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, 'हम कानून के एक अंश को स्वत: संज्ञान में नहीं ले सकते, जब तक कि वह आयोग के अधिकार क्षेत्र (टीओआर) में शामिल नहीं किया जाता। हम सिर्फ आयोग के टीओआर पर काम करते हैं।' वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अपनी रिपोर्ट में वित्त आयोग ने कर के बंटवारे में मामूली फेरबदल की सिफारिश की है। बंटवारे वाले कर से पहले 42 प्रतिशत राज्यों को मिलता था, जबकि वित्त आयोग ने अब 41 प्रतिशत देने की सिफारिश की है।
नवगठित केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख के कारण ऐसा करना पड़ा है, जो अब केंद्र के हिस्से से धन प्राप्त करेंगे। इसका मतलब यह हुआ कि पहले 29 राज्यों के बीच कर का बंटवारा होता था, जो अब 28 राज्यों के बीच होगा।रिपोर्ट में कहा गया है, 'हमने यह कल्पना के आधार पर अनुमान लगाया है कि जम्मू कश्मीर राज्य की हिस्सेदारी बंटवारे वाले कर में करीब 0.85 प्रतिशत होगी। हमारा मानना है कि इसे बढ़ाकर 1 प्रतिशत किए जाने का मामला बनता है, जिससे कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख की सुरक्षा से जुड़ी व अन्य विशेष जरूरतों को पूरा किया जा सके।'
इसमें कहा गया है, 'क्योंकि बढ़ी हुई जरूरतों की भरपाई केंद्र के संसाधनों से करनी होगी, ऐसे में हम सिफारिश करते हैं कि बंटवारे वाले कर की राशि में राज्यों की सकल हिस्सेदारी 1 प्रतिशत घटाकर 41 प्रतिशत की जानी चाहिए।' वहीं दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में कहा गया है कि एफएफसी की सिफारिशों के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर को केंद्र के बंटवारे वाले कोष से धन मिलेगा। वहीं दूसरी तरफ लद्दाख को पूरी तरह से अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की तरह ही माना जाएगा और उसे केंद्रीय संसाधनों से कर मिलेगा, न कि शुद्ध कर आमदनी से।
अधिनियम में यह भी कहा गया है, 'राष्ट्रपति केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर को आयोग के कार्यक्षेत्र में शामिल करेंगे और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर का आवंटन तय होगा।' सिंह ने कहा, 'मैं अपनी इच्छा से कानून के हिस्से को संज्ञान में नहीं ले सकता, जब तक कि मुझे उसे टीओआर के रूप में नहीं दिया जाता है।' उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि अगर केंद्र सरकार टीओआर के रूप में मामले को नहीं देती, केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर को केंद्र के बंटवारे वाले कर में कैसे शामिल किया जा सकता है।
ऐसा इसलिए है कि 2000 में किए गए एक संशोधन में संविधान में साफ कहा गया है कि सिर्फ राज्यों को ही केंद्र की शुद्ध कर प्राप्तियों में हिस्सा मिल सकता है। सिंह ने कहा कि 14वें वित्त आयोग के पहले के मॉडल में 29 राज्यों की मॉडलिंग थी, जबकि 15वें आयोग को 20 राज्यों के मुताबिक बंटवारा करना है। उन्होंने कहा, 'हमने यह संज्ञान में लिया कि अगर जम्मू कश्मीर राज्य बना रहता है तो उसके लिए मौजूदा विभाजन राशि 0.86 प्रतिशत होगी। हमने इसे मोटे तौर पर 1 प्रतिशत कर दिया।'
सिंह ने इसके पहले बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा था, 'हम अपने अधिकार क्षेत्र के दायरे से इतर राज्यों की मांग को नहीं मान सकते। यह ऐसा कुछ नहीं है जो हमारी वरीयता के मुताबिक हो, यह कुछ इस तरह है कि हम संदर्भ की शर्तों के मुताबिक सककाम करते हुए कुछ लचीला रुख अपना सकते हैं।'
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