वाहन कलपुर्जों के लिए आयात शुल्क में कोई भी वृद्धि पहले से ही दबाव झेल रहे वाहन उद्योग की परेशानी को और बढ़ा सकती है। बिक्री के मोर्चे पर वाहन कंपनियों की रफ्तार पिछले डेढ साल से सुस्त है और कंपनियां उससे उबरने की पुरजोर कोशिश कर रही हैं। उद्योग के वरिष्ठï अधिकारी कैटालिटिक कनवर्टर और अन्य पुर्जों एवं धातुओं के आयात पर शुल्क बढ़ाने के सरकार के निर्णय से अचंभित हैं। उनका कहना है कि इससे बीएस6 वाहनों की कीमतों में आगे और इजाफा होगा।
सरकार ने कैटालिटिक कनवर्टर, वाहनों के विभिन्न कलपुर्जों और धातुओं पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है जिससे वीएस-6 वाहनों की लागत 5 से 7.5 फीसदी के दायरे में बढ़ जाएगी। इसके अलावा सरकार ने कनवर्टर के विनिर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल जैसे सेरामिक्स, स्टेनलेस स्टील एवं अन्य धातुओं पर भी आयात शुल्क में इसी तरह का इजाफा किया है।
कार बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजूकी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी केनिचि अयुकावा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, 'मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि उन कीमती सामग्रियों पर शुल्क में इजाफा क्यों किया गया है जो भारत में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं। इससे वास्तविक ग्राहक के लिए उत्पाद की लागत बढ़ जाएगी।' कैटालिटिक कनवर्टर विशेष तौर पर बीएस-6 उत्सर्जन मानदंड वाले वाहनों के लिए एक आवश्यक उपकरण है क्योंकि यह वाहनों से हानिकारक उत्सर्जन को नियंत्रित करता है। बीएस-4 से बीएस-6 में बदलने से पहले ही वाहनों की कीमतें बढ़ गई हैं और अधिकारियों को चिंता है कि इससे मांग में सुधार आने में देरी हो सकती है।
वाहन विनिर्माताओं का संगठन सायम के अनुसार बीएस-4 से बीएस-6 में बदलने से वाहनों की कीमतों में औसतन 10 फीसदी का इजाफा होगा। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी पवन गोयनका ने कहा, 'हम अब बीएस-6 वाहनों का उत्पादन शुरू कर रहे हैं और इसमें कई ऐसे पुर्जे लगते हैं जिन पर आयात शुल्क बढ़ाया गया है। इससे बीएस-6 कारों की लागत और बढ़ जाएगी जबकि हम पहले से ही इसकी लगात को लेकर चिंतित हैं।'
टाटा मोटर्स के मुख्य कार्याधिकारी गुंटेर बट्सचेक ने भी कहा कि शुल्क बढ़ाने से ग्राहकों पर इसका बोझ पड़ेगा। उन्होंने कहा, 'कच्चे माल की लागत में किसी तरह की बढोतरी का असर वाहन की कुल कीमत पर पड़ता है। अगर शुल्क में बढ़ोतरी का असर ज्यादा हुआ तो उद्योग को कीमतें बढ़ाकर उसे समायोजित करना पड़ सकता है।' हालांकि उन्होंने अभी इसकी वास्तविक लागत के बारे में जानकारी नहीं दी।
वाहन उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि शुल्क वृद्घि से ज्यादा मदद नहीं मिलेगी क्योंकि भारतीय कंपनियां इसे खुद असेंबल करती हैं और इनके लिए वे आयातित पुर्जों पर निर्भर हैं क्योंकि वे भारत में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं। मारुति के अयुकावा ने कहा, 'ईंधन दक्षता में सुधार के लिए हमें इन सामग्री की जरूरत होती है। दुर्भाग्य से इनका उत्पादन भारत में नहीं होता है। इसलिए हम आयात पर निर्भर हैं।'
Business Standard Private Ltd. Copyright & Disclaimer feedback@business-standard.com
This site is best viewed with Internet Explorer 6.0 or higher; Firefox 2.0 or higher at a minimum screen resolution of 1024x768
* Stock quotes delayed by 10 minutes or more. All information provided is on
"as is" basis and for information purposes only. Kindly consult your
financial advisor or stock broker to verify the accuracy and recency of all
the information prior to taking any investment decision.
While due diligence is done and care taken prior to uploading the stock
price data, neither Business Standard Private Limited, www.business-standard.com nor any
independent service provider is/are liable for any information errors,
incompleteness, or delays, or for any actions taken in reliance on
information contained herein.