प्रदर्शनों से अराजकता की स्थिति | एजेंसियां/बीएस / February 06, 2020 | | | | |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को संसद में कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का मौजूदा स्वरूप उनके ही दिमाग की उपज थी। उन्होंने कहा कि जीएसटी का सुझाव उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए संप्रग के तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को दिया था जिसमें उत्पादक राज्यों को ज्यादा तवज्जो देना शामिल था। गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने प्रणव मुखर्जी से कहा था कि उत्पादक राज्यों के मुद्दों को हल करना चाहिए। बाद में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उन मुद्दों को हल किया और इसके बाद सभी राज्यों में जीएसटी को लागू किया जा सका।
वहीं संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों को हवा देने के लिए विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरूवार को कहा कि संसद एवं विधानसभा के निर्णयों का सड़कों पर विरोध एवं आगजनी तथा लोगों द्वारा कानूनों को स्वीकार नहीं करने से अराजकता की स्थिति पैदा होगी। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का संसद के दोनों सदनों में अलग-अलग जवाब देते हुए आगाह किया कि विधायिका के फैसलों के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों और आगजनी से अराजकता उत्पन्न हो सकती है, सभी को इससे चिंतित होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शनों की आड़ में अलोकतांत्रिक गतिविधियों को छिपाने के प्रयास हो रहे हैं, इससे किसी को राजनीतिक लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल सीएए एवं एनपीआर के खिलाफ एक काल्पनिक भय पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं जो देश के लिए नुकसानदेह है। प्रधानमंत्री के जवाब के बाद दोनों सदनों ने इस धन्यवाद प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
राज्यसभा में कांग्रेस, राकांपा, द्रमुक सहित कई विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के जवाब से असंतोष जताते हुए सदन से बहिर्गमन किया। इससे पहले मोदी ने कहा कि सीएए पर हो रहे प्रदर्शनों से देश ने देख लिया कि दल के लिए कौन है और देश के लिए कौन है? उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सीएए से हिंदुस्तान के किसी भी नागरिक पर किसी भी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पडऩे वाला। मोदी ने सीएए को लेकर विपक्ष पर काल्पनिक भय पैदा करने का आरोप लगाया और उनके रूख को पाकिस्तान के रूख से जोड़ते हुए कहा कि ऐसी ही भाषा पाकिस्तान भी बोलता है।
नागरिकता कानून के संदर्भ में मोदी ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उद्धृत करते हुए कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि जो प्रभावित लोग भारत में बसने के लिए आए हैं, वो नागरिकता मिलने के अधिकारी हैं और अगर इसके लिए कानून अनुकूल नहीं हैं तो कानून में बदलाव होना चाहिए। लोकसभा में करीब 100 मिनट के अपने जवाब में मोदी ने कश्मीर, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, किसानों की समस्या के समाधान सहित विविध मुद्दों को रेखांकित किया। मोदी ने कहा कि कश्मीर भारत का मुकुटमणि है। कश्मीर की पहचान सूफी परंपरा और सर्व-धर्म समभाव की है। उन्होंने घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन का जिक्र करते हुए कहा, '19 जनवरी 1990 की उस काली रात में कुछ लोगों ने कश्मीर की पहचान को दफना दिया था। सीएए को लेकर देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'संविधान बचाने के नाम पर दिल्ली और देश में क्या हो रहा है उसे पूरा देश देख रहा है और देश की चुप्पी कभी न कभी रंग लाएगी। कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने सरकार पर ध्रुवीकरण के जरिये देश को बांटने का आरोप लगाया था।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'मैं पूरी जिम्मेदारी से देश की 130 करोड़ जनता को कहना चाहता हूं कि सीएए का हिन्दुस्तान के किसी नागरिक पर किसी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। चाहे वह हिन्दू हो, मुस्लिम हो, सिख हो या ईसाई हो, चाहे कोई और हो। मोदी ने पूर्ववर्ती सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले जो कुछ भी हुआ, राजनीति के तराजू से तौलकर और आधे-अधूरे मन से किया गया जबकि उनकी सरकार ने समस्याओं का समाधान निकालने के लिए दीर्घकालिक नीति के तहत काम किया जिससें अर्थव्यवस्था आगे बढ़ी तथा वित्तीय घाटा एवं महंगाई स्थिर रही।
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