वित्त आयोग बनाएगा विशेषज्ञ समिति | |
अरूप रायचौधरी / नई दिल्ली 02 05, 2020 | | | | |
► समिति केंद्र और राज्यों को राजकोषीय प्रारूप की कर सकती है सिफारिश
► समिति में ऊर्जित पटेल, अरविंद सुब्रमण्यन जैसे विशेषज्ञ हो सकते हैं शामिल
15वां वित्त आयोग इस महीने के अंत में केंद्र और राज्यों के राजकोषीय और कर्ज की स्थिति का आकलन करने के लिए समिति का गठन करेगा और पूर्ववर्ती राजकोषीय दायित्व एवं बजट प्रबंधन समिति के अनुरूप खाका प्रस्तुत करेगा। आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में यह जानकारी दी। समिति भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गनर्वर ऊर्जित पटेल, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के साजिद शेनॉय, नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी के रथिन रॉय और गोल्डमैन सैक्स की प्राची मिश्रा को शामिल कर सकती है या उनसे परामर्श कर सकती है।
सिंह ने कहा, 'वित्त आयोग को संचयी राजकोषीय घाटा और कर्ज जैसे मुद्दे पर ध्यान देने का जिम्मा सौंपा गया था और हमने इन मसलों को दूर करने का प्रयास किया है। इसलिए 15वें वित्त आयोग की आर्थिक सलाहकार परिषद के साथ बैठक के बाद मैंने अपनी अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का निर्णय किया है।' सिंह ने कहा कि समिति में लेखा महानियंत्रक, भारतीय लोक लेखा सेवा, राज्य व्यय विभाग और अन्य केंद्रीय एवं राज्यों के निकायों के साथ-साथ विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समिति की रिपोर्ट आयोग को दिए गए कार्यक्षेत्र की रिपोर्ट के साथ आएगी।
समिति अपनी रिपोर्ट 15वें वित्त आयोग को सौंपेगी। आयोग अपनी दूसरी रिपोर्ट में इन सिफारिशों को शामिल कर सकता है। आयोग का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया गया है और वह इस साल अक्टूबर में अपनी दूसरी रिपोर्ट सौंप सकता है। वह वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक के लिए सिफारिशें सौंपेगा। सिंह ने कहा, 'समिति इस बात पर विचार करेगी कि हम अपने कार्यक्षेत्र के मुताबिक काम कर रहे हैं या नहीं।' प्रस्तावित समिति और 15वां वित्त आयोग अनुच्छेद 293 (3) के ढांचे पर विचार कर सकते हैं। इसके मुताबिक अगर केंद्र का राज्य पर ऋण बकाया है तो राज्य केंद्र की सहमति के बिना ऋण नहीं जुटा सकता है।
सिंह ने कहा, मैंने एफआरबीएम समिति में इन मुद्दे पर चर्चा नहीं की लेकिन यह मोटे तौर पर केंद्र की वित्तीय स्थिति पर ही केंद्रित रही। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह एफआरबीएम समिति में अपने पुराने सहयोगियों को इस समिति में शामिल होने के लिए आमंत्रित करेंगे, इस पर सिंह ने कहा, 'रथिन रॉय दिल्ली में हैं जबकि अरविंद सुब्रमण्यन विदेश में हैं लेकिन राजकोषीय मजबूती पर उनके अपने विचार हैं। मैं इस बारे में उर्जित पटेल और साजिद चेनॉय तथा प्राची मिश्रा जैसे विशेषज्ञों के विचार भी जानना चाहूंगा।' एफआरबीएम समिति में सिंह के अलावा पूर्व वित्त सचिव सुमित बोस, पटेल, सुब्रमण्यन और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य रॉय शामिल थे। समिति ने 2017-18 के बजट से पहले अपनी रिपोर्ट तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपी थी।
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