बजट के बाद वृद्घि और आय पर रहेगा जोर | समी मोडक / February 04, 2020 | | | | |
नोमुरा में इंडिया इक्विटी रणनीतिकार सायन मुखर्जी ने समी मोडक को दिए साक्षात्कार में कहा कि विदेशी पूंजी आकर्षित करना, निवेश-आधारित वृद्घि और आक्रामक तौर पर विनिवेश बजट में उभरते मुख्य थीम हैं। मुखर्जी का कहना है कि कोरोनावायरस की आशंका से प्रभावित एशियाई प्रतिस्पर्धियों के बीच भारतीय बाजार अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में दिख रहे हैं। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
बजट की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
मुख्य थीम यह हे कि सरकार अपनी स्थिति मजबूत बनाने के लिए परिसंपत्तियों की बिक्री कर रही है। विनिवेश में बड़ी तेजी आई है। यदि आपका राजस्व संग्रह कम है तो आपके पास विकास संबंधित खर्च के लिए सीमित संसाधन हैं। इसलिए आपको गैर-कर राजस्व का सहारा लेना होगा। सरकार के पास बड़ी तादाद में मूल्यवान परिसंपत्तियां हैं जिनकी बिक्री की जा सकती है। 2.1 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य एक बड़ी पहल है। हमने इस संदर्भ में इतना बड़ा आंकड़ा कभी नहीं देखा। क्रियान्वयन महत्वपूर्ण होगा। अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार ने निवेश-केंद्रित वृद्घि पर ध्यान केंद्रित किया है और विदेशी पूंजी आकर्षित करने के प्रयास कर रही है। घरेलू बचत कमजोर हुई है, क्योंकि अर्थव्यवस्था की गति सुस्त हुई है। इसलिए आपको वृद्घि के लिए विदेशी पूंजी की जरूरत है।
बजट को लेकर बाजार की प्रतिक्रिया नकारात्मक थी? क्या भारतीय बाजार पर आपने अपना नजरिया बदलाव है?
हमने अपना कीमत लक्ष्य नहीं बदला है। बजट से कई तरह की उम्मीदें हैं। यही वजह है कि बिकवाली देखी गई। इसके अलावा, कोरोनावायरस को लेकर आशंका ने भी इसमें योगदान दिया है। बाजार में फिर से तेजी आई है और कई कंपनियों के शेयर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। मुख्य फोकस फिर से वृद्घि और आय पर रहेगा। उम्मीद है कि वैश्विक परिवेश अनुकूल बना रहेगा।
बजट से किस तरह का निवेश थीम उभरा है?
मौजूदा समय में कोई नया थीम नहीं है। एकमात्र बदलाव बीमा को लेकर था। आज आप बीमा में निवेश कर सकते हैं और कर लाभ ले सकते हैं। लेकिन हम मौजूदा समय में जिस दिशा में जा रहे हैं, उसमें लाभ हासिल नहीं हो सकता है। इसलिए यह प्रवाह के दृष्टिïकोण से नकारात्मक है। अन्य पहलू डीडीटी है। इसकी समाप्ति के बाद प्रभावी कर दर बीमा कंपनियों के लिए बढ़ गई है।
डीडीटी हटने का कॉरपोरेट की वित्तीय स्थिति पर क्या असर पड़ेगा?
अब सवाल यह है कि क्या कंपनियां लाभांश बढ़ाएंगी या कर बचत पर जोर देंगी। यदि किसी कंपनी को पूंजी की जरूरत होती है तो इसके लिए उसे अतिरिक्त पूंजी बनाए रखना जरूरी होगा। पूंजी की जरूरत महसूस नहीं करने वाली कंपनियां भुगतान बढ़ा सकती हैं। प्रवर्तक के नजरिये से, कर-किफायती विकल्प पुनर्खरीद हो सकता है। इसलिए, मैं यह उम्मीद करूंगा कि बड़ी तादाद में कंपनियां पुनर्खरीद की घोषणा करेंगी। विदेशी निवेशक के दृष्टिïकोण से, आपने कर उद्देश्य से परिसंपत्तियों को अधिक आकर्षक बनाया है।
आपके हिसाब से आय वृद्घि की रफ्तार कैसी रहेगी?
कुछ अनुकूल परिस्थितियां बरकरार हैं। हर साल हम आय में 15 प्रतिशत की कमी कर रहे हैं। यदि आप कॉरपोरेट कर कटौती को समायोजित करें तो यह अनुमानों से 15 प्रतिशत कम है। दिलचस्प बात यह है कि आय कटौती की तीव्रता अर्थव्यवस्था में मंदी के बीच पिछले कैलेंडर वर्ष की दूसरी छमाही में बढ़ गई थी। अब दूरसंचार में कीमतों में सुधार, एनपीए में सुधार हो चुके हैं। इस सबसे मदद मिल रही है। अब हम वैश्विक रूप से हालात में सुधार देख सकते हैं। यदि जिंस कीमतें नीचे आती हैं तो धातु जैसे क्षेत्रों पर असर दिख सकता है। मेरा मानना है कि वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022, दोनों के लिए आय अनुमानों में 5 प्रतिशत की कमी देखी जा सकती है।
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