कर का संशोधित लक्ष्य हासिल कर लेने का भरोसा | दिलाशा सेठ / February 03, 2020 | | | | |
पूरे साल के कर संग्रह का लक्ष्य पूरा करने के लिए शेष 2 महीने में लक्ष्य का 40 प्रतिशत कर संग्रह करना है। इसके बावजूद केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के चेयरमैन पीसी मोदी को उम्मीद है कि लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। दिलाशा सेठ से बातचीत में उन्होंने कहा कि दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर खत्म करना या कम करना कभी एजेंडे में नहीं था और यह बाजार की अवास्तविक उम्मीद थी। प्रमुख अंश...
चालू वित्त वर्ष में कर संग्रह में बढ़ोतरी का लक्ष्य 17.3 प्रतिशत से घटाकर 2.9 प्रतिशत कम कर दिया गया है। क्या यह अभी भी 5-6 प्रतिशत नकारात्मक वृद्धि को देखते हुए ज्यादा नहीं है?
लक्ष्य तय करते समय तमाम हकीकतों को ध्यान में रखा गया है। इस साल 3 प्रतिशत की वृद्धि निश्चित रूप से हासिल किया जा सकने वाला लक्ष्य है। अगर पिछले आंकड़े देखें तो अंतिम तिमाही में सबसे ज्यादा कर संग्रह होता है। इस समय संग्रह पहले ही 7.4 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है।
चालू वित्त वर्ष का लक्ष्य हासिल करने के लिए अब 2 माह में लक्ष्य का 40 प्रतिशत कर वसूलना है और अग्रिम कर संग्रह भी पहली तिमाही में कम रह सकता है?
हमने इन तथ्यों को ध्यान में रखा है। हम अंतिम वृद्धि दर से इसका मिलान करेंगे। मुझे लक्ष्य हासिल किए जाने का भरोसा है। विवाद से विश्वास नाम से समाधान योजना की भी घोषणा बजट में हुई है, जिससे मदद मिलेगी।
क्या अगले वित्त वर्ष में 12.7 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य अव्यावहारिक नहीं लगता?
जिस तरीके से हम डेटा एनालटिक्स और कृत्रिम निगरानी का इस्तेमाल कर रहे हैं, यह लक्ष्य बहुत ही व्यावहारिक है।
एलटीसीजी को लेकर बाजारों में सबसे ज्यादा निराशा है। क्या इसे बजट चर्चा में शामिल किया गया था?
यह बिल्कुल अव्यावहारिक अवधारणा बनाई गई। पूरी दुनिया में पूंजीगत लाभ पर कर लगता है। इसमें बड़ा मसला क्या है? आप हर समय चांद की कल्पना कर सकती हैं... लेकिन (हंसते हैं)।
लेकिन एटीसीजी का राजस्व में बड़ा योगदान नहीं होता?
यह मसला नहीं कि इस मद से कितनी आमदनी होती है। अहम है कि जिस चीज पर कर लगना चाहिए, उस पर लगना चाहिए।
व्यक्तिगत आयकर को सरल करने के विपरीत बजट घोषणा में इसे और जटिल बना दिया गया है और लोगों को पेशेवरों की मदद लेनी पड़ेगी?
यह गलत धारणा है। इसके विपरीत अगर आप छूट या कटौती नहीं लेना चाहते हैं तो विभिन्न स्रोतों से आपके लिए आपकी आमदनी और उसके मुताबिक कर की गणना आसान है। भ्रम का मसला तब आता है, जब छूट और कटौती की बात हो। छूट और कटौती से दूर रहना सरकार की घोषित नीति है और यह कॉर्पोरेशन कर में कटौती के समय भी नजर आया। हम सरलीकृत कर ढांचे की तरफ बढ़ रहे हैं।
क्या इससे लोग बीमा से दूर नहीं होंगे?
बिल्कुल नहीं। हाथ में ज्यादा पैसे होंगे और लोग अपनी सुविधा से खर्च कर सकेंगे।
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