दवा उद्योग ने आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रदूषण नियमों में मांगी राहत | सोहिनी दास / February 03, 2020 | | | | |
केरल में कोरोनावायरस फैल रहा है, जहां तीन मामले पहले ही सामने आ चुके हैं। ऐसे में प्रशासन यह सुनिश्चित करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है कि इस बीमारी को नियंत्रित रखा जाए और घरेलूू बाजार में दवाओं की आपूर्ति में कोई अड़चन पैदा न हो। इस बीच बाजार में कुछ एक्टिव फॉर्मास्यूटिकल इन्ग्रेडिएंट्स (एपीआई) के दाम पहले ही 25 से 30 फीसदी बढ़ चुके हैं। उद्योग के प्रतिनिधि सोमवार को सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मिले और उन्हें देश में दवा बनाने के लिए कच्चे माल के मौजूदा स्टॉक की जानकारी दी। देश में दवा बनाने वाली कंपनियां आम तौर पर करीब दो महीने का बफर स्टॉक रखती हैं। इसके अलावा कुछ दवाएं पहले ही बाजार में उपलब्ध हैं।
चीन में बंद की स्थिति है, जहां संयंत्र बंद हैं और दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाले एपीआई और मध्यवर्ती उत्पादों की आपूर्ति रुक गई है। भारत दवा बनाने की खातिर एपीआई के लिए चीन पर बड़े पैमाने पर निर्भर है। ऐेसे में सरकार ये विकल्प तलाश रही है कि कैसे घरेलू उत्पादन बढ़ाया जाए। सोमवार की बैठक में शामिल उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्हें भारतीय एपीआई इकाइयों की इतनी जल्द अपने उत्पादों को बदलने की क्षमता पर संदेह है। उन्होंने कहा, 'भारतीय इकाइयों को उन एपीआई का उत्पादन शुरू करने में समय लगेगा, जिनका अभी चीन से आयात किया जा रहा है। उन्होंने अपने निर्यात सौदे और अन्य अनुबंध किए हुए हैं।'
दवा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से मिले उद्योग के लॉबी समूहों ने सरकार से आग्रह किया है कि घरेलू इकाइयों को प्रदूषण नियमों में रियायत दी जाए ताकि वे जल्द अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में बदलाव कर सकें। इस बीच सूत्रों ने संकेत दिया कि सरकार देश में कोरोनावायरस के मामलों के इलाज के लिए सिप्ला से एंटी-एचआईवी दवाएं खरीद सकती है।
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