बीता साल तिरुपुर के निर्यातकों के लिए काफी मुश्किलों से भरा हुआ था। नियामकीय जटिलताओं तथा भारत में मंदी के चलते कई प्रमुख रिटेल चेन ने दिवालिया होने के लिए आवेदन किया है जो निर्यातकों के लिए अचरज भरा कदम रहा। तिरुपुर से करीब 26,000 करोड़ रुपये कीमत के वस्त्रों का निर्यात होता रहा है। वर्ष 2019 में तिरुपुर से वस्त्र आयात करने वाले चार या पांच बड़े अमेरिकी ब्रांड या तो बंद हो गए या स्टोर की संख्या कम कर दी या फिर उन्होंने चैप्टर 11 के तहत आवेदन किया, जो अमेरिका में दिवालिया कानून के तहत पुनर्गठन से संबंधित है। यूरोप में भी इस तरह के आवेदन देखे गए। तिरुपुर में एक अकेले निर्यातक से 100 करोड़ रुपये के वस्त्र आयात करने वाली मदरकेयर हाल ही में उपरोक्त सूची में शामिल हो गई है। यूरोपीय ई-कॉमर्स ब्रांड जलांदो सालाना करीब 2 करोड़ यूरो के वस्त्र आयात करती है और उसने हाल ही में तिरुपुर से कपड़ मंगाना बंद कर दिया है। कोरसाइट रिसर्च के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एक नवंबर तक अमेरिका तथा यूरोप के खुदरा बाजार में करीब 9,000 कपड़ा स्टोर बंद हो गए जो पिछले साल की तुलना में 55 प्रतिशत अधिक है। जलांदो भारत से परिधान आयात करने के कारोबार को बंद कर रही है क्योंकि उसका ब्रांड 'जेडलेबल्स' अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा था और अब उसे बंद कर दिया गया। कंपनी बेंगलूरु तथा तिरुपुर के विक्रेताओं से पुरुषों के परिधान आयात करती है। बच्चे तथा महिलाओं के कपड़े बेचने वाली मदरकेयर ने हाल ही में अपने ब्रिटेन के खुदरा कारोबार को बंद करने की घोषणा की है जिसमें 79 स्टोर शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन के कारोबार की समीक्षा करने पर पाया गया कि यह लाभ पहुंचाने के स्तर पर लौटने में सक्षम नहीं था। इससे पहले मदरकेयर की ब्रिटेन इकाई ने मार्च महीने में बताया था कि वित्त वर्ष के दौरान 369 लाख यूरो का घाटा हुआ है। कंपनी बोनमैचे, जैक विल्स और करेन मिलन की राह पर है जिन्होंने हाल के महीनों में ही दिवालिया कानून के तहत पुनर्गठन के लिए आवेदन किया था। इन कंपनियों के बंद होने का एक मुख्य कारण ग्राहकों के खरीद तरीकों में आता बदलाव तथा ई-कॉमर्स कंपनियों से मिलती प्रतिस्पर्धा है। मदरकेयर समेत कई कंपनियों को वस्त्र निर्यात करने वाली कंपनी बीईएसटी कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आर राज कुमार का कहना है कि उनकी कंपनी मदरकेयर के साथ करीब 100 करोड़ रुपये का कारोबार करती थी जो ब्रिटेन का कारोबार प्रभावित होने के बाद 50 प्रतिशत कम हो गया है। चैप्टर 11 के लिए आवेदन करने वाले अमेरिका के एक ब्रांड को निर्यात करने वाले एक निर्यातक का कहना है कि कुछ बड़े खुदरा कारोबारियों ने चैप्टर 11 के तहत आवेदन किया है क्योंकि वे लीज संबंधी कॉन्ट्रैक्ट से बाहर निकलना चाहते हैं। इनमें से अधिकांश खुदरा विक्रेताओं ने लंबी अवधि के पट्टे पर स्टोर बनाए थे। बाजार की हालिया स्थिति में वे यहां के भारी-भरकम किराये का भुगतान नहीं कर सकते और पट्टे को रद्द करने की स्थिति में भारी मुआवजा देना होगा। चैप्टर 11 खुदरा कारोबारियों को इस समस्या से बाहर निकलने के लिए सहूलियत देता है।
