1,36,600 करोड़ रुपये उधार लेगा एफसीआई | संजीव मुखर्जी / February 02, 2020 | | | | |
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) राष्टï्रीय लघु बचत कोष(एनएसएसएफ) से 1,36,600 करोड़ रुपये उधार लेगा। पिछले पांच वर्षों में उधार ली गई यह सबसे बड़ी रकम होगी और पिछले साल के मुकाबले करीब 24 प्रतिशत अधिक होगी। बजट पत्र के अनुसार एफसीआई वर्ष 2020-21 में खाद्य सब्सिडी से निपटने के लिए यह रकम उधार लेगा। एफसीआई की इतनी बड़ी उधारी योजना से यह बात लगभग साफ हो जाती है कि वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में एफसीआई के लिए खाद्य सब्सिडी के लिए रकम का कम प्रावधान किया गया है। बजट में आवंटित 77,982 करोड़ रुपये के साथ किसनों से अनाज खरीदने और लाखों राशन कार्ड धारकों को सस्ती दरों पर बेचने के लिए एफसीआई के पास करीब 2,14,582 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। यह इस अवधारणा पर आधारित है कि 2020-21 के दौरान केंद्र सरकार बजट में आवंटित पूरी रकम जारी करती है और उसमें कोई कमी नहीं होती है।
बजट पत्र के अनुसार चालू वित्त वर्ष (2019-20) में एफसीआई के लिए बजट आवंटन बजट अनुमान के 1,51,000 करोड़ रुपये घटाकर संशोधित अनुमान में 75,000 करोड़ रुपये कर दिया। हालांकि एनएसएसएफ से आए 1,10,000 करोड़ रुपये ऋण से खासी मदद मिली और एफसीआई ने इनमें खाद्य सब्सिडी के रूप में 1,85,000 करोड़ रुपये खर्च किए। सब्सिडी की रकम में एनएफएसए के तहत एफसीआई द्वारा विकेंद्रीकृत खरीद पर खाद्यान्न की खरीदारी शामिल नहीं होती है। एनएसएसएफ से अंधाधुन ऋण लेने से 2020-21 के अंत तक एफसीआई पर एनएसएसएफ का कुल बकाया करीब 3,22,800 करोड़ रुपये हो जाएगा। इसमें पिछले वर्ष एफसीआई द्वारा लिए गए 68,400 करोड़ रुपये ऋण लौटाए जाने के बाद इस निष्कर्ष तक पहुंचा गया है। 31 मार्च 2020 तक यह कुल रकम बढ़कर करीब 2,54,000 करोड़ रुपये हो जाएगी। अगर सरकार ने 2019-20 में खाद्य सब्सिडी के मद में आवंटित पूरी 1,51,000 करोड़ रुपये एफसीआई का दे देती तो यह आंकड़ा कम हो सकता था। हालांकि संशोधित अनुमान के अनुसार सरकार ने महज 75,000 करोड़ रुपये ही जारी किए।
एफसीआई एक बड़ी बकाया रकम के बोझ से जूझ रहा है। वर्ष 2016-17 से इसे खाद्य सब्सिडी के मद में मिलने वाली रकम का ज्यादातर हिस्सा बजट से इतर उपायों से मिलता रहा है। इनमें ज्यादातर रकम एनएसएसएफ से कर्ज के रूप में मिलती रही है। वर्ष 2019-20 में एफसीआई पिछले वर्षों में लिए गए ऋण के लिए एनएसएसएफ को करीब 46,400 करोड़ रुपये लौटाने पड़े। 2018-19 में एफसीआई ने एनएएसएसएफ को 27,000 करोड़ रुपये लौटाए। चालू वित्त वर्ष में एफसीआई की वित्तीय बदहाली की हालत की एक वजह यह रही कि इसने आवश्यकता से अधिक खाद्यान्न की खरीदारी की। यह मात्रा पिछले कुछ वर्षों में राशन दुकानों से खाद्यान्न के वितरण के मुकाबले कहीं अधिक रही। इसके अलावा खाद्यान्न की कीमतों की सीमा तय होने से भी एफसीआई के लिए मुश्किलें बढ़ गईं। राशन दुकानों से माध्यम से चावल 3 रुपये प्रति किलोग्राम, गेहूं 2 रुपये प्रति किलोग्राम और मोटे अनाज 1 रुपये प्रति किलो की दर से बेचे जाते हैं। आंकड़े दर्शाते हैं कि खाद्यान्न की कीमतों में प्रति किलोग्राम 1 रुपये बढ़ोतरी से सालाना खाद्य सब्सिडी के मद में 5,000 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है।
वर्ष 2018-19 में एफसीआई ने राज्यों को चावल 3 रुपये प्रति किलोग्राम, गेहू 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से जारी किए। इन दोनों खाद्यान्न का मूल्य प्रति किलोग्राम क्रमश: 33.1 रुपये और 24.45 रुपये है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि देश भर में 5 लाख से अधिक राशन दुकानों के माध्यम से प्रति किलोग्राम चावल की बिक्री पर सरकार को 30 रुपये सब्सिडी देनी पड़ती है। इसी तरह, गेहूं पर यह सब्सिडी बढ़कर प्रति किलोग्राम 22.45 रुपये हो जाती है।
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