माइक्रोइंश्योरेंस की कवरेज राशि में बढ़ोतरी किए जाने की सिफारिश | सुब्रत पांडा / मुंबई January 30, 2020 | | | | |
माइक्रोइंश्योरेंस पर बीमा नियामक की समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें समिति ने माइक्रोइंश्योसेंस पॉलिसी के कवरेज की राशि मौजूदा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की सिफारिश की है। साथ ही कहा है कि जनरल इंश्योरेंस या स्वास्थ्य बीमा में प्रीमियम वापसी का विकल्प होना चाहिए। नियामक को सौंपी सिफारिश में समिति ने कहा है, 'चर्चा के आधार पर ऐसा लगता है कि प्रीमियम की वापसी एक अहम फीचर है, जिससे उपभोक्ताओं के इस वर्ग को ज्यादा मूल्य मिलता है।' समिति ने कहा है कि जनरल इंश्योरेंस पॉलिसी जिनका सामान्यतया सालाना नवीकरण होता है, उन्हे दीर्घावधि के लिए अनुमति दी जानी चाहिए।
माइक्रोइंश्योरेंस खासकर कम आमदनी वाले लोगोंं की सुरक्षा के लिए होते हैं। उनके लिए वहनीय बीमा उत्पादों से उन्हें अपने वित्तीय नुकसान की भरपाई में मदद मिलती है। इसमें गरीबों के लिए सतत जीविका के समर्थन का वादा होता है। समिति ने कहा है, 'बीमा क्षेत्र के उदारीकरण और सरकार की योजनाओं ने माइक्रोइंश्योरेंस के लिए नए अवसर मुहैया कराए हैं, जिससे वे बड़ी संख्या में गरीबों तक पहुंच सकते हैं, जिनमें अनौपचारिक क्षेत्रों में काम करने वाले लोग भी शामिल हैं।' बहरहाल इस क्षेत्र में बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें गरीबों द्वारा भविष्य के लिए भुगतान को लेकर हिचकिचाहट शामिल है। उन्हें ऐसी समस्या के लिए भुगतान करना होता है, जो उनकी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के दौरान हो भी सकती है, नहीं भी हो सकती है। इसके अलावा कवर की निरंतरता बनाए रखने के लिए नियमित भुगतान भी एक मसला है क्योंकि उनकी आमदनी की कोई निश्चितता नहीं होती है। इसके साथ ही गरीब लोग तमाम मौजूदा बीमा उत्पादों की उपयोगिता को समझ नहीं पाते और सेवाओं की गुणवत्ता भी खराब होती है, जिसकी वजह से वे नवीकरण नहीं कराते हैं।
प्रमुख सिफारिशों में समिति ने कहा है कि माइक्रोइंश्योरेंस योजनाओं खासकर जीवन बीमा पॉलिसीज के मामले में स्टांप शुल्क माफ किए जाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के 289 रुपये प्रीमियम पर स्टांप शुल्क 40 प्रतिशत है, जो बीमा राशि का करीब 14 प्रतिशत है। समिति ने कहा है कि जनरल इंश्योरेंस सामान्यतया छोटे आकार की पॉलिसी होती हैं, जिन पर स्टांप शुल्क में छूट देने पर प्रीमियम की राशि कम होगी। समिति ने जनरल और स्वास्थ्य बीमा के माइक्रोइंश्योरेंस उत्पादों पर कैपिटल रिजर्व की जरूरत, प्रबंधन जरूरत पर व्यय में ढील देने की भी सिफारिश की है।
इसमें बीमा कराने वाले के लिए मूल्य के लचीलेपन की सिफारिश की गई है, जहां उन्हें परियोजना पेश किए जाने की तिथि के एक साल के भीतर एक निश्चित सीमा के दायरे में मूल्य में कमी या उसे बढ़ाने की छूट हो। समिति ने रोजाना, पाक्षिक, मासिक या तिमाही किस्तों में सिंगल प्रीमियम के भुगतान की वकालत की है। समिति ने कहा है, 'हमें इस बात की भी संभावना तलाशनी चाहिए कि रोजाना की मजदूरी के एक निश्चित प्रतिशत के हिसाब से बचत के लाभ को बांटा जाए, जो अंशदान की राशि के मुताबिक हो।'
वितरण के मोर्चे पर समिति ने कहा है कि माइक्रोफाइनैंस इंस्टीट्यूशंस (एमएफआई), जो मास्टर पॉलिसीधारक हैं, उन्हें कॉर्पोरेट एजेंट बनने की जरूरत है, अगर वे उनसे कमीशन हासिल करना चाहती हैं। साथ ही समिति ने यह भी कहा है कि माइक्रोइंश्योरेंस उत्पादों को सरल बनाए जाने की जरूरत है, जिससे डिस्ट्रीब्यूटर को उसके बारे में जानकारी हो और वह ग्राहक समझ सके।
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