टाटा-एयर एशिया में होगी सुलह! | |
गैर-प्रतिस्पर्धी मसले पर बातचीत को राजी, एयर इंडिया की बोली में यह प्रावधान बड़ी बाधा | देव चटर्जी / मुंबई 01 30, 2020 | | | | |
► एयर इंडिया पर टाटा की बोली पर आपत्ति कर सकती है एयर एशिया
► एयर एशिया इंडिया में गैर-प्रतिस्पर्धी प्रावधान है विवाद की वजह
► कोई भी साझेदार किफायती विमानन कंपनी में नहीं कर सकता है निवेश
► एयर इंडिया एक्सप्रेस की वजह से टाटा एयर इंडिया के लिए बोली लगाने में सक्षम नहीं
► दोनों पक्ष सभी लंबित मुद्दे निपटाने के लिए बातचीत को तैयार
टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस और मलेशिया के उद्योगपति टोनी फर्नांडिस के स्वामित्व वाली एयर एशिया आपसी विवादों को सुलझाने के लिए बातचीत कर रही है। दोनों समूहों के बीच संयुक्त उपक्रम एयर एशिया इंडिया के लिए गैर-प्रतिस्पर्धी प्रावधान को लेकर भतभेद है। एयर एशिया बेरहद और टाटा संस तथा पूर्व साझेदार टेलेस्ट्रा ट्रेडप्लेस के बीच 19 फरवरी, 2013 में आपसी समझौते पत्र में विशिष्ट प्रावधान पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके तहत सभी साझेदारों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किफायती विमानन कारोबार में उतरने की अनुुमति नहीं है। गैर-प्रतिस्पर्धी समझौते के अनुसार कोई भी साझेदार ऐसी किसी विमानन कंपनी में निवेश नहीं कर सकती हैं जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर किफायती, यात्री विमानन सेवा, नैरो बॉडी वाले विमानों के परिचालन करती हैं।
मामले के जानकार सूत्रों ने कहा कि गैर-प्रतिस्पर्धी प्रावधान एयर इंडिया के लिए बोली लगाने में टाटा के लिए बाधक बन रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि एयर इंडिया के साथ उसकी सहायक इकाई एयर इंडिया एक्सप्रेस की सीधे तौर पर एयर एशिया इंडिया से प्रतिस्पर्धा है। एयर इंडिया के लिए सरकार ने 17 मार्च तक अभिरुचि पत्र जमा कराने को कहा है। एयर एशिया इंडिया में टाटा की 51 फीसदी हिस्सेदारी है और पिछले दो साल में कंपनी में अपना प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी नियुक्त कर संयुक्त उपक्रम पर पूर्ण नियंत्रण में ले लिया है। शेष हिस्सेदारी एयर एशिया के पास है। घटनाक्रम के जानकार एक सूत्र ने बताया, 'दोनों समूह लंबित मसलों को सुलझाने के लिए बात कर रहे हैं।'
इस बारे में पक्ष जानने के लिए टाटा संस और एयर एशिया इंडिया के प्रवक्ता से संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। एयर एशिया बेरहद को भेजे गए ईमेल का भी कोई जवाब नहीं आया। दोनों पक्षों के बीच बातचीत ऐसे समय में शुरू हो रही है जब फर्नांडिस धनशोधन के आरोपों में ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं। ईडी ने समन जारी कर 5 फरवरी तक 2014 से विमानन कंपनी के परिचालन के बारे में पूरी जानकारी मांगी है। ईडी की जांच के अलवा फर्नांडिस आपराधिक षड्यंत्र के आरोपों में भी सीबीआई जांच का सामना कर रहे हैं।
सीबीआई द्वारा मई 2018 में दायर प्रारंभिक रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि मलेशियाई साझेदार नियंत्रित एयर एशिया इंडिया ने अप्रत्यक्ष तौर पर विदेशी निवेश संवद्र्घन बोर्ड के नियमों का उल्लंघन किया है और कंपनी के सभी अहम निर्णय खुद ले रहे हैं। आरोप है कि विमानन कंपनी ने भारत में परिचालन जल्द शुरू करने की मंजूरी के लिए लॉबीइस्ट का सहारा लिया था और इसे एयर एशिया बेरहद की स्थानीय सहायक इकाई के तौर पर परिचालन कर रही थी।
हालांकि एयर एशिया ने इन आरोपों से इनकार किया है और फर्नांडिस अब तक जांच एजेंसियों के समक्ष हाजिर नहीं हुए हैं। दोनों साझेदारों के बीच पहली बार मतभेद उस समय उजागर हुए जब टाटा समूह के वकील और एयर एशिया इंडिया के बोर्ड के निदेशक भरत वसानी ने नवंबर 2014 को ईमेल भेजकर कहा था कि एयर एशिया बेरहद एयर एशिया इंडिया का परिचालन अपने एक विभाग के तौर पर कर रही है।
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