बंगाल: ममता-राज्यपाल में सियासी खींचतान | अभिषेक रक्षित / January 29, 2020 | | | | |
विपक्षी दल द्वारा शासित राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच राजनीतिक टकराव के आसार होते हैं। ऐसा होने के उस समय प्रबल आसार होते हैं, जब राज्य की मुख्यमंत्री तेजतर्रार नेता तथा केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार की कड़ी आलोचक ममता बनर्जी हों और राज्यपाल सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व वकील और भारतीय जनता पार्टी के पुराने समर्थक जगदीप धनखड़ हों। केसरी नाथ त्रिपाठी का कार्यकाल खत्म होने और धनखड़ को जुलाई 2019 में राज्यपाल बनाए जाने के बाद राजनीतिक हलकों में मुख्यमंत्री और उनके के बीच देर-सबेर टकराव के आसार जताए जा रहे थे। इसकी शुरुआत पिछले साल जाधवपुर विश्वविद्यालय से हुई। उस समय छात्रों ने कथित रूप से केंद्रीय मंत्री बाबुल सप्रियो का घेराव किया और धनखड़ को संभवतया उन्हें बचाने के लिए विश्वविद्यालय जाना पड़ा। सुप्रियो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्रा शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के निमंत्रण पर विश्वविद्यालय गए थे। इस विश्वविद्यालय को वामपंथी विचारधारा और दर्शन का गढ़ माना जाता है।
चौंकाने वाली बात यह थी कि यह घटना भाजपा बनाम वाम मोर्चे की राजनीतिक बहस बन सकती थी। लेकिन धनखड़ ने इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में जो कुछ हुआ, उससे राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति का पता चलता है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और उनकी पार्टी- तृणमूल कांग्रेस की सरकार है। तृणमूल कांग्रेस ने धनखड़ के पिछले राजनीतिक जुड़ाव को देखते हुए उन्हें हमेशा संदेह की नजर से देखा है। तृणमूल उनके शब्दों को स्वीकार करने के बजाय पलटवार किया है। पार्टी ने धनखड़ पर आरोप लगाया है कि राज्यपाल ने राज्य सरकार को भरोसे में न लेकर पक्षपाती भूमिका अदा की है। धनखड़ ने भाजपा बोली बोलते हुए बनर्जी पर राज्य में कानून-व्यवस्था न होने का आरोप लगाया है। इससे तृणमूल की भौहें तन गई हैं।
पिछले साल पूरे अक्टूबर महीने में एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के बाद अब राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच यह आम हो गया है। एक अन्य मामल में राज्यपाल ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार ने उन्हें विधानसभा के अंदर जाने की मंजू्री नहीं दी। उन्होंने कहा कि स्पीकर को पहले सूचित करने के बाद भी दरवाजा बंद था। उन्होंने कहा कि संविधान दिवस पर विधानसभा में संबोधन के लिए उन्हें छठे नंबर पर बोलने देने प्रोटोकॉल का उल्लंघन है। धनखड़ ने कहा कि राज्यपाल के रूप में इस मौके पर विधानसभा को संबोधित करने का उनका पहला अधिकार था।
धनखड़ और बनर्जी के बीच मतभेद दिसंबर में अत्यंत खराब हो गए। उस समय पूरे राज्य में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे थे और बनर्जी ने इस कानून के राजनीतिक विरोध की अगुआई की। धनखड़ सीएए के समर्थक हैं। उन्होंने बनर्जी के कृत्य को 'असंवैधानिक' करार दिया। उन्होंने बनर्जी को सलाह दी कि वे संसद द्वारा पारित कानून के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के बजाय राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने पर ध्यान दें। बनर्जी और उनकी पार्टी ने पलटवार करते हुए धनखड़ पर 'समानांतर सरकार' चलाने और राज्यपाल के पद पर आसीन भाजपा सदस्य होने का आरोप लगाया।
जाधवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों (जिनमें कुछ वाम विचारधार से जुड़े हैं) ने सीएए पर धनखड़ के रुख का विरोध किया। छात्रों ने राज्यपाल को न केवल काले झंडे दिखाए बल्कि उन्हें विश्वविद्यालय के दीक्षांंत समारोह में भी प्रवेश नहीं करने दिया। छात्रों ने उन्हें प्रतीकात्मक रूप से विश्वविद्यालय से निष्कासित करने के लिए पत्र पर हस्ताक्षर भी किए। धनखड़ राज्यपाल होने के नाते जाधवपुर विश्वविद्यालय के मानद कुलाधिपति हैं। दोनों के बीच राजनीति, प्रशासन और कार्यक्रमों को लेकर टकराव बना हुआ है। बनर्जी ने राज्य में निवेशकों को लुभाने ेक लिए सालाना कारोबारी सम्मेलन का आयोजन किया। लेकिन राज्यपाल ने कारोबारी सम्मेलन के कुछ दिन बाद निवेशकों से मिलने का फैसला किया। इससे राज्य में निवेशक असमंजस में हैं। हालांकि धनधड़ की निर्धारित बैठक अभी नहीं हुई है।
धनखड़ अपने कार्यालय की राजनीतिक सक्रियता को मूर्त रूप दे रहे हैं और खुद को घटनाक्रम से अद्यतन बनाए रखना चाहते हैं। उन्होंने बार-बार बनर्जी, उनके मंत्रियों और राज्य के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से कहा है कि उन्हें हर घटनाक्रम की जानकारी दी जाए। दूसरी ओर बनर्जी और उनके मंत्री जहां तक संभव हो, उनके साथ बैठक से बच रहे हैं। धनखड़ ने पश्चिम बंगाल (लिंचिंग की रोकथाम) विधेयक, 2019 पर चर्चा की खातिर विभिन्न दलों के साथ बैठक के लिए कहा था, लेकिन बनर्जी बैठक में नहीं आईं और केवल कांग्रेस और वाम मोर्चे के नेता ही बैठक में आए। धनखड़ ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि राज्यपाल 'सम्मानित व्यक्ति' होते हुए भी अपने एक कार्य के रूप में राज्य के नागरिकों को रोजाना हास्य मनोरंजन की खुराक दे रहे हैं।
'कर्तव्य पूरा करने से कोई नहीं रोक सकता'
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि कलकत्ता विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह से भीड़ द्वारा उन्हें वापस जाने के लिए मजबूर करने के बाद वह आहत हैं लेकिन राज्य के विश्वविद्यालयों के संवैधानिक प्रमुख और कुलाधिपति होने के नाते उन्हें कर्तव्य से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने विश्वविद्यालय और राज्य के लिए 'काला दिवस' बताया। धनखड़ ने सुरक्षा को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की। तृणमूल कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्होंने टकराव का रुख अपनाया है।
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