इंडिगो: गंगवाल का प्रस्ताव नामंजूर किया | अरिंदम मजूमदार / नई दिल्ली January 29, 2020 | | | | |
इंडिगो के सह-प्रवर्तक राकेश गंगवाल द्वारा प्रस्तावित विशेष समाधान प्रस्ताव को बुधवार की विशेष आम बैठक (ईजीएम) में कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। कंपनी ने एक्सचेंज को दी जानकारी में कहा है, 'स्पेशल रिजोल्यूशन पारित नहीं हुआ, क्योंकि इसके पक्ष में 48.56 प्रतिशत वोट पड़े, जबकि विरोध में 51.44 प्रतिशत वोटिंग हुई।' इस समाधान प्रस्ताव के लिए कम से कम 75 प्रतिशत शेयरधारकों के समर्थन की जरूरत थी, लेकिन राहुल भाटिया की इंटरग्लोब एंटरप्राइज ने इसके खिलाफ मत दिया जिससे यह प्रस्ताव विफल हो गया। भाटिया परिवार और इंटर-ग्लोब एंटरप्राइज (आईजीई) की इस एयरलाइन में 38.23 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि गंगवाल, उनकी पत्नी शोभा गंगवाल और ट्रस्ट का 36.65 प्रतिशत स्वामित्व है।
कई सार्वजनिक संस्थाओं ने इस समाधान के खिलाफ मत दिया। वोटिंग में 84 प्रतिशत बड़े सार्वजनिक निवेशकों में से 51.65 प्रतिशत ने इसके विरोध में मत दिया। इंटरग्लोब एविएशन में संस्थागत निवेशकों की लगभग 21 प्रतिशत हिस्सेदारी है। वोटिंग के परिणाम के बारे में गंगवाल को भेजे गए सवाल का कोई जवाब नहीं मिला है। वह अमेरिका में हैं और उन्होंने ईजीएम में हिस्सा नहीं लिया। सह-प्रवर्तक राकेश गंगवाल द्वारा समाधान प्रस्ताव में मुख्य शेयरधारकों द्वारा शेयरों की खरीद-बिक्री से संबंधित नियमों को नरम बनाए जाने की मांग की गई थी।
गंगवाल परिवार ने अपने नोटिस में कहा कि शेयर स्थानांतरण के प्रतिबंधात्मक क्लॉज हटाने के लिए ईजीएम जरूरी थी, जो शेयरधारक समझौते (एसएचए) के समाप्त होने के बावजूद इसमें शामिल थे। यह एसएचए भाटिया और गंगवाल के बीच किया गया था और इसकी शर्तों के अनुसार यह पिछले साल नवंबर में समाप्त (2015 में कंपनी की सूचीबद्घता के चार साल बाद) हो गया। गंगवाल की अनुपस्थिति की वजह से बुधवार को हुई ईजीएम में आशंकाओं का दौरा बरकरार रहा, क्योंकि यह बैठक उनके द्वारा बुलाई गई थी और वह स्वयं इसमें शामिल नहीं हुए।
ईजीएम में इसे लेकर चिंता देखी गई कि दो सह-प्रवर्तकों के बीच टकराव की वजह से उनके शेयरों का मूल्य प्रभावित होगा। साथ ही बैठक में नए समाधान को लेकर भी अस्पष्टïता बनी रही। पुणे से बैठक में भाग लेने आए शेयरधारक अनिल सक्सेना ने कहा, 'जब सब कुछ अच्छा चल रहा है तो ऐसे में कंपनी के किसी कानून में बदलाव लाए जाने की जरूरत नहीं है। हमें कंपनी से लाभांश मिला है। हम फिलहाल कोई बदलाव लाना नहीं चाहेंगे।' चेयरमैन एम दामोदरन ने यह स्पष्टï कहा कि इस समाधान प्रस्ताव पर वोटिंग की जरूरत नहीं थी। इंडिगो में यह विवाद गहराने के बाद से उसका शेयर 30 प्रतिशत तक गिर चुका है।
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