'जोखिम प्रबंधन में सुधार पर रहेगा ध्यान' | अभिजित लेले और हंसिनी कार्तिक / January 28, 2020 | | | | |
आसानी से एकीकरण होने के साथ ही बैंक ऑफ बड़ौदा अब अपने जोखिम प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करेगा ताकि बाद में अधिक दबाव न झेलना पड़े। बैंक सीएमडी संजीव चड्ढा ने अभिजित लेले और हंसिनी कार्तिक से बातचीत में कहा कि बैंक का पूंजी आधार पर्याप्त है और अब वह अतिरिक्त पूंजी के लिए सरकार के बजाय बाजार का रुख करेगा। पेश हैं मुख्य अंश:
मौजूदा बाजार परिदृश्य के बारे में आपकी क्या राय है?
सबसे पहले, विलय प्रक्रिया आसानी से पूरी हो गई। इस दौरान कई गंभीर चीजों का ध्यान रखा गया। कॉरपोरेट ऋण खाते को अब उपयुक्त बनाया गया है। चाहे विजया बैंक हो अथवा देना बैंक, सभी कॉरपोरेट ग्राहक अब बैंक ऑफ बड़ौदा के समान प्लेटफॉर्म पर हैं। जहां तक कॉरपोरेट खाते का सवाल है तो विलय अब हमसे पीछे है। प्रतिस्पर्धी परिस्थिति भी अनुकूल है और मौजूदा परिस्थिति में कुछ बैंकों ने खुदरा में बने रहने का निर्णय लिया है।
तो क्या कुछ बैंकों द्वारा कॉरपोरेट बैंकिंग क्षेत्र में जगह खाली किए जाने से आपको फायदा होगा?
कम से कम इससे वृद्धि की संभावनाएं पैदा होंगी, खासकर ऐसे बाजार में जो अधिक उत्साजनक नहीं है। आप कॉरपोरेट ऋण खाते में विस्तार के लिए रणनीति तैयार कर सकते हैं।
मूल्य निर्धारण की ताकत और बट्टेखाते में डालने के मानक के बारे में आप क्या कहेंगे क्योंकि इन दोनों मोर्चे पर सरकारी बैंक कमजोर दिख रहे हैं?
मूल्य निर्धारण की ताकत का मतलब यह नहीं है कि आप पूरी तरह जोखिम लेकर दूसरों के मुकाबले बेहतर करें। यदि किसी ऋण को स्थायी तरीके से बट्टेखाते में डाला जाता है तो उसका उचित मूल्य अवश्य निर्धारित होता है। लेकिन बाजार में अधिक तेजी के कारण अक्सर गलत मूल्य निर्धारण का जोखिम बना रहता है। हमने ऐसे दौर भी देखे हैं जहां बैंकों को कुछ क्षेत्रों से आय नहीं हुई लेकिन वहां उनकी काफी पूंजी चली गई। इसलिए किसी भी कारोबार पर गौर करने से पहले हमें की सोच-विचार करने की जरूरत होती है। मैं आपकी इस बात से सहमत हूं कि जोखिम प्रबंधन को लेकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का जो रुख रहा है वह अपेक्षाकूत कमजोर है। हमें इसे दुरुस्त करने की जरूरत है।
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