नकदी रखने की सीमा तय करने का प्रस्ताव | |
काले धन पर बनी एसआईटी का जब्त की गई अघोषित नकदी को संचित निधि में जमा करने का सुझाव | श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली 01 28, 2020 | | | | |
► विशेष जांच दल ने कहा है कि अघोषित संपत्ति नकदी में रखी जाती है, जिसकी पुष्टि कानून प्रवर्तन वाली एजेंसियों की कार्रवाइयों के दौरान जब्त की गई नकदी से होती है
► नोटबंदी के बाद के वित्त वर्ष 2018 में अघोषित नकदी का 67.91 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2019 में 65.93 प्रतिशत 2,000 के नोट में
► 2017 में सरकार ने नकदी लेन-देन की सीमा 2 लाख रुपये प्रतिदिन तय की थी। नकदी रखने को लेकर अभी कोई सीमा नहीं
नकदी आधारित अर्थव्यवस्था को हतोत्साहित करने के अगले चरण में काले धन पर बने विशेष जांच दल (एसआईटी) ने घर में नकदी रखने की सीमा तय करने का प्रस्ताव किया है। एसआईटी ने यह सुझाव भी दिया है कि कानून और प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा जब्त की गई अघोषित नकदी को भारत की संचित निधि (सीएफआई) में जमा किया जाए। प्रस्तावित कदम का मकसद अवैध नकदी रखने पर लगाम लगाना और जांच एजेंसियों द्वारा उनकी जांच के दौरान जब्त की गई अघोषित नकदी के कुप्रबंधन के लिए कड़े मानक पेश करना है।
एसआईटी ने कहा है कि यह तथ्य है कि अघोषित संपत्ति नकदी में रखी जाती है, जिसकी पुष्टि कानून के प्रवर्तन वाली एजेंसियों की समय समय पर की गई तमाम कार्रवाइयों के दौरान जब्त की गई नकदी से होती है। दल ने कहा है कि उचित नकदी प्रबंधन तभी सफल हो सकता है, जब नकदी रखने की सीमा तय की जाए। इस समय केंद्रीय जांच एजेंसियां जब्त की गई अघोषित नकदी संबंधित एजेंसी के भारतीय स्टेट बैंक में खोले गए समर्पित खाते में जमा की जाती है। इसमें चालान पर करदाता का स्थायी खाता संख्या (पीएएन) और नाम होता है, जिनके नाम पर वह राशि जमा की जाती है।
यह सिफारिशें सेवानिवृत्त न्यायाधीश और नौकरशाहों से बने एसआईटी ने की है, जिसकी हाल मेंं अहमदाबाद में केंद्रीय एजेंसियों आयकर, प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व खुफिया महानिदेशालय के साथ बैठक हुई थी। इसमें पैनल ने नकदी वाली अर्थव्यवस्था और अघोषित नकदी की जब्ती के दौरान रिश्वत की पेशकश जैसी गलत गतिविधियों को लेकर चिंता जताई थी।
जानकारी के मुताबिक पैनल ने नोटबंदी के दौरान सामने आई कुछ घटनाओं पर चर्चा की, जिसमें बड़े पैमाने पर नकदी का कुप्रबंधन किया गया और उसे अन्य मदों में लगाया गया। नोटबंदी के बाद के संपूर्ण वित्त वर्ष 2018 में अघोषित नकदी का 67.91 प्रतिशत 2000 रुपये के नोट में था। वित्त वर्ष 2019 में इसका प्रतिशत थोड़ा कम 65.93 रहा।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस सुझाव को लागू किया जाता है तो नकदी में कारोबार करने वाले कारोबारियों और ग्रामीण इलाकों में घर में नकदी रखने वालों पर असर पड़ेगा। साथ ही अगर जब्त की गई नकदी मामले के फैसले के पहले तक सीएफआई में रखी जाती है तो यह खुला मामला होगा। 2017 में सरकार ने नकदी लेन-देन की सीमा 2 लाख रुपये प्रतिदिन तय की थी। बहरहाल नकदी रखने को लेकर कोई सीमा अभी नहीं है। एसआईटी का गठन उन मामलों का खुलासा करने के लिए किया गया था, जिनमें भारतीय बगैर कर भुगतान वाली अपनी राशि विदेशी बैंक खातों में रखते हैं।
सीएफआई की कार्यप्रणाली के बारे में अधिकारी ने कहा कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 266 के तहत गठित किया गया है। इसमें सरकार की प्राप्तियों और उसके व्यय का हिसाब किताब होता है। सरकार द्वारा किए गए हर व्यय को भारत की संचित निधि से किया जाता है। बहरहाल संसद की मंजूरी के बगैर इसमें से धन नहीं निकाला जा सकता है। सरकार के सालाना वित्तीय विवरण में 3 हिस्से होते हैं- सीएफआई, भारत की आकस्मिक निधि और भारत का सार्वजनिक लेखा। इनमें से सीएफआई सबसे अहम घटक है। राज्यों की अपनी संचित निधि होती है।
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