दिल्ली उच्च न्यायालय ने जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) का सिस्टम दुरुस्त करने का आदेश दिया है। कारोबारियों को लंबे समय से जीएसटीएन पोर्टल पर रिटर्न भरने से लेकर तमाम कार्यों में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह से बार बार जीएसटी फॉर्म भरने की अंतिम तिथि बढ़ानी पड़ रही है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह बिक्री कर बार एसोसिएशन बनाम भारत सरकार व अन्य मामले में सुनवाई के दौरान जीएसटीएन पोर्टल के संचालन में आ रही कमियों को दुरुस्त करने का आदेश दिया। अदालत ने 2018-19 के लिए सालाना रिटर्न फॉर्म जीएसटीआर-9 और ऑडिट रिपोर्ट फॉर्म जीएसटीआर-9(सी) काफी पहले अधिसूचित होने के बावजूद इनके क्रियाशील न होने पर नाराजगी जताई और इन दोनों फॉर्म को क्रि याशील करने के लिए जीएसटीएन पोर्टल पर अपलोड करने का आदेश दिया। अदालत ने प्रतिवादी की इस संबंध में यह दलील भी खारिज कर दी कि वर्ष 2017-18 के लिए ये फॉर्म भरने के बाद वर्ष 2018-19 के लिए इन फॉर्मों को अपलोड किया जाएगा। बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि बीते महीनों में सुनवाई के दौरान अदालत ने समस्याओं के समाधान के लिए पोर्टल पर नोडल अधिकारियों के नाम, ईमेल व नंबर अपलोड करने के आदेश दिए थे। लेकिन यह जानकारी 'न्यूज ऐंड अपडेट सेक्शन' में दी गई, जो अस्थायी है। इस संबंध में अदालत ने स्थायी तौर पर यह जानकारी मुहैया कराने के लिए इसे जीएसटी वेबसाइट के मुख्य पृष्ठ पर उपलब्ध कराने का आदेश दिया। इस मामले में अदालत में जिरह करने वाले अधिवक्ता पुनीत अग्रवाल ने कहा कि अदालत ने जीएसटीएन पोर्टल को आईटी सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी इन्फोसिस व टेक महिंद्रा को नोटिस जारी कर 20 फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने को कहा है।
