तानाशाहों के खिलाफ सोरोस की जंग | एजेंसियां / January 24, 2020 | | | | |
अमेरिकी फाइनैंसर और परोपकारी जॉर्ज सोरोस ने दुनिया में तानाशाही प्रवृत्ति के बढ़ते चलन और जलवायु परिवर्तन के संकट के मद्देनजर सिविल सोसाइटी को मजबूत करने के लिए 1 अरब डॉलर देने की घोषणा की। यह काम एक नए यूनिवर्सिटी नेटवर्क प्रोजेक्ट के जरिये किया जाएगा। सोरोस ने विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के वार्षिक आयोजन में कहा कि मानवता एक अहम मोड़ पर है और आने वाले साल अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ-साथ दुनिया का भविष्य तय करेंगे। हंगरी में जन्मे अरबपति ने कहा, 'हम इतिहास के बदलाव वाले दौर में हैं। खुले समाजों का अस्तित्व खतरे में है और हमारे सामने इससे भी बड़ा संकट जलवायु परिवर्तन का है।'
उन्होंने ओपन सोसाइटी यूनिवर्सिटी नेटवर्क (ओएसयूएन) को अपनी जिंदगी का सबसे अहम प्रोजेक्ट बताया और कहा कि यह शिक्षण और शोध का अंतरराष्ट्रीय मंच होगा। दुनिया के सभी विश्वविद्यालय इससे जुड़ सकते हैं। यह नेटवर्क जरूरतमंद लोगों और शरणार्थियों, कैदियों और म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों जैसे विस्थापितों को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा मुहैया कराएगा। सोरोस ने कहा, 'ओएसयूएन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाने के लिए हम एक अरब डॉलर का योगदान कर रहे हैं।'
सोरोस की सेंट्रल यूरोपियन यूनिवर्सिटी (सीईयू) को प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन के दबाव के कारण हंगरी छोडऩा पड़ा था। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट की इस समय सख्त जरूरत है क्योंकि आज खुले समाज को सबसे ज्यादा खतरा है। उन्होंने इस बात पर दु:ख जताया कि अमेरिका, चीन और रूस जैसे दुनिया के ताकतवर देशों की कमान ऐसे हाथों में है जो तानाशाह बनने के कगार पर हैं या वास्तव में तानाशाह हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसे शासकों की तादाद बढ़ती जा रही है। सोरोस ने कहा कि दुनियाभर में राष्ट्रवाद की भावना बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि खुले समाज को सबसे बड़ा और भयावह झटका भारत में लगा है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदू राष्ट्र कायम करना चाहते हैं। उन्होंने ट्रंप को सनकी बताया लेकिन साथ ही कहा कि उनके लिए अमेरिका में आर्थिक तेजी शायद कुछ जल्दी ही आ गई है क्योंकि उन्हें इसी साल फिर से राष्ट्रपति चुनाव लडऩा है।
उन्होंने कहा, 'ट्रंप पहले से बेहतर प्रदर्शन कर रही अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में सफल रहे हैं। लेकिन इसे लंबे समय तक इस स्थिति में बरकरार नहीं रखा जा सकता है।' सोरोस को एक निवेशक के रूप में बाजार की बड़ी उथलपुथल का सटीक अनुमान लगाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने कहा, 'अगर यह चुनाव के आसपास हुआ होता तो निश्चित रूप से ट्रंप को इससे मदद मिलती। उनकी समस्या यह है कि चुनाव दस महीने दूर है और ऐसी क्रांतिकारी स्थिति में यह एक बहुत लंबा समय है।' सोरोस ने साथ ही चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बारे में भी दुनिया को आगाह किया। उन्होंने कहा कि शी ने ऐसे वक्त कम्युनिस्ट पार्टी की परंपरा को तोड़ते हुए अपनी ताकत बढ़ा ली है जब चीन की अर्थव्यवस्था अपनी चमक खो रही है।
उन्होंने कहा कि शी को जैसे ही पर्याप्त ताकत मिली वह तानाशाह बन गए। उनकी सफलता संदिग्ध है क्योंकि एक बच्चे की नीति से चीन को नुकसान हुआ है। सोरोस ने कहा कि सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि शी तानाशाही की एक नई व्यवस्था लाना चाहते हैं और इस तरह के नए लोग चाहते हैं जो मुसीबत से बाहर रहने के लिए अपनी व्यक्तिगत स्वायत्तता का समर्पण करने को तैयार हों। उन्होंने कहा, 'व्यक्तिगत स्वायत्तता एक बार गई तो फिर इसे वापस पाना मुश्किल है। ऐसी दुनिया में एक खुले समाज के लिए कोई जगह नहीं होगी।'
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