एबीजी शिपयार्ड का ऋण खाता 'धोखाधड़ी' घोषित | रघु मोहन / नई दिल्ली January 24, 2020 | | | | |
आईसीआईसीआइ्र्र बैंक के नेतृत्व में बैंकों के एक कंसोर्टियम ने एबीजी शिपयार्ड में अपने 14,000 करोड़ रुपये के निवेश को एक 'धोखाधड़ी' खाता घोषित किया है। कंपनी को दिए गए इस ऋण में अधिकांश हिस्सेदारी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), आईसीआईसीआई बैंक और आईडीबीआई बैंक की है जो 50 फीसदी से अधिक है। किसी ऋण खाते को 'धोखाधड़ी' घोषित करने के साथ ही बैंकों को अतिरिक्त प्रावधान करने की उम्मीद नहीं है और इस ऋण को गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) की श्रेणी में पहले ही रखा जा चुका है।
एबीजी शिपयार्ड भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 2016 में तैयार उन दबावगस्त कंपनियों की सूची में शामिल है जिनके खिलाफ ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। धोखाधड़ी की रकम के लिहाज से एबीजी शिपयार्ड का मामला नीरव मोदी जैसा ही है। मोदी ने 2018 के आरंभ में पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) को चूना लगाया था। इस बाबत जानकारी के लिए एबीजी शिपयार्ड के प्रवर्तक ऋषि अग्रवाल से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बातचीत नहीं हो सकी।
समझा जाता है कि सबसे पहले एसबीआई ने एबीजी शिपयार्ड में अपने निवेश को 'धोखाधड़ी' की श्रेणी में रखा। उसके बाद आईसीआईसीआई बैंक एवं आईडीबीआई बैंक ने भी एसबीआई का अनुकरण किया। हालांकि बैंकवार निवेश के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं लेकिन इस कंसोर्टियम में 22 बैंक शामिल हैं।तीन बड़े ऋणदाताओं- आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई और आईडीबीआई बैंक- ने इस खाते को उस समय 'धोखाधड़ी' घोषित किया जब मूल्य के लिहाज से 66 फीसदी लेनदारों ने उसे धोखाधड़ी की श्रेणी में रखने के लिए अपनी सहमति दी थी। बाद में कंसोर्टियम के सभी लेनदारों ने उस ऋण खाते को 'धोखाधड़ी' की श्रेणी में रखने का निर्णय लिया। समझा जाता है कि कई अन्य बैंकों ने भी उसका अनुकरण किया और 66 फीसदी की सीमा को पार किया जा चुका है। कंपनी में कुछ अन्य बैंकों की भी शेयर हिस्सेदारी है। एबीजी शिपयार्ड में आईसीआईसीआई बैंक की 11 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि आईडीबीआई बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और पंजाब नैशनल बैंक में से प्रत्येक की 7 फीसदी हिस्सेदारी है। इसी प्रकार देना बैंक की हिस्सेदारी 5.7 फीसदी है। इस घटनाक्रम से एबीजी शिपयार्ड की समाधान प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है जो फिलहाल नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में लंबित है। इससे पहले ब्रिटेन के लिबर्टी हाउस ग्रुप, शापूरजी पलोनजी ग्रुप और रिलायंस डिफेंस ऐंड इंजीनियरिंग ने इस कंपनी के अधिग्रहण में दिलचस्पी दिखाई थी।
हालांकि आईबीसी में संशोधन के जरिये प्रावधान किया गया है कि पूर्व प्रवर्तकों की गलती के लिए नए खरीदार को क्षतिपूर्ति करनी होगी। लेकिन नैशनल कंपनी लॉ अपील ट्रिब्यूनल ने जेएसडब्ल्यू स्टील द्वारा भूषण स्टील के लेनदारों को भुगतान पर रोक लगा दी थी क्योंकि उसके पूर्व प्रवर्तकों द्वारा लगाए गए धोखाधड़ी एवं काले धन को सफेद करने के आरोपों की जांच चल रही है। एबीजी शिपयार्ड के खाते को 'धोखाधड़ी' की श्रेणी में रखे जाने को 2019-20 की पहली छमाही के दौरान एसे अन्य मामलों के संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए। एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा, 'अभी साफ नहीं है कि 14,000 करोड़ रुपये के ऋण को आरबीआई के ताजा दौर के धोखाधड़ी आंकड़ों में शामिल किया जाएगा अथवा नहीं क्योंकि बैंकों को धोखाधड़ी वाले खाते को बंद करने जरूरत नहीं होती है।'
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