आरबीआई से मांगा अंतरिम लाभांश | |
सोमेश झा / नई दिल्ली 01 23, 2020 | | | | |
केंद्र सरकार ने अपना राजकोषीय घाटा कम करने के वास्ते भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश मांगा है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। यह लगातार तीसरा मौका है जब केंद्र ने आरबीआई से अंतरिम लाभांश की मांग की है। कर संग्रह और विनिवेश प्राप्तियों में कमी के कारण सरकार के लिए अपने राजस्व लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल हो रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को 2020-21 का आम बजट पेश करेंगी जिसमें केंद्रीय बैंक से मिलने वाले अंतरिम लाभांश को शामिल किया जा सकता है।
हालांकि आरबीआई को अभी सरकार की मांग पर अंतिम फैसला करना है। 15 फरवरी को नई दिल्ली में होने वाली आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की बैठक में इस बारे में फैसला किया जा सकता है। फरवरी बैठक से पहले वित्त मंत्री आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड को संबोधित कर सकती हैं। 2018-19 में आरबीआई ने केंद्र सरकार को 28 हजार करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश दिया था। इसकी घोषणा भी फरवरी 2019 में बजट के बाद हुई बोर्ड बैठक में की गई थी।
पिछले साल आरबीआई ने बैलेंस शीट की छमाही ऑडिट की व्यवस्था शुरू की थी ताकि यह तय किया जा सके कि वह सरकार को कितना अंतरिम लाभांश दे सकता है। हालांकि बैंक के हिसाब किताब का समवर्ती ऑडिट तिमाही आधार पर किया जाता है लेकिन यह पहला मौका था जब आरबीआई का बोर्ड स्तर पर वैधानिक ऑडिट किया गया था। पिछले साल आरबीआई ने कहा था कि सीमित ऑडिट समीक्षा के आधार पर उसने केंद्र सरकार को 28 हजार करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश देने का फैसला किया है। आरबीआई के सरकार को अंतरिम लाभांश देने की व्यवस्था 2016-17 में शुरू हुई थी। तब केंद्र को 10 हजार करोड़ रुपये दिए गए थे।
आरबीआई का वित्त वर्ष जुलाई से जून के बीच होता है जबकि केंद्र सरकार का वित्त वर्ष अप्रैल से मार्च होता है। केंद्रीय बैंक अगस्त में अंतिम बैलेंस शीट तैयार करता है और इससे पहले ही केंद्र सरकार उससे अंतरिम लाभांश मांगने लगती है। इस अनियमितता को दूर करने के लिए आरबीआई के पूर्व गवर्नर विमल जालान की अगुआई में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था।
समिति ने सुझाव दिया कि वित्त वर्ष 2020-21 से आरबीआई का वित्त वर्ष भी सरकार की तरह अप्रैल से मार्च तक होना चाहिए। समिति के अनुसार अंतरिम लाभांश असाधारण परिस्थितियों में ही दिया जा सकता है। लेकिन साथ ही कहा था कि आरबीआई के अपना वित्त वर्ष बदलने के बाद भी आने वाले वर्षों में यह चलन जारी रह सकता है। इससे सरकार के पास इस बार आरबीआई से अंतरिम लाभांश मांगने की गुंजाइश है।
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