उबर ईट्स और जोमैटो में सौदा | सुरजीत दास गुप्ता और नेहा अलावधी / नई दिल्ली January 21, 2020 | | | | |
उबर इंडिया आज अपने ऑनलाइन फूड डिलिवरी कारोबार को बेच रही है और ऐसे में 4 अरब डॉलर के इस बाजार में केवल दो प्रमुख कंपनियों- स्विगी और जोमैटो- बची रहेंगी के बीच वर्चस्व की लड़ाई दिखेगी। लगातार बढ़ रहे घाटे के बीच महज सात महीने के भीतर सुदृढीकरण की यह पहल की गई है।
उबर ने भारत में अपनी प्रमुख प्रतिस्पर्धी ओला ने फूडपांडा को खरीदा था लेकिन बाजार में गलाकाट प्रतिस्पर्धा को देखते हुए उसने ऑनलाइन फूड डिलिवरी कारोबार को बंद कर क्लाउड किचन सेवा शुरू करने का निर्णय लिया था। पूरी तरह शेयरों पर आधारित इस सौदे के तहत उबर को जोमैटो में 9.9 फीसदी हिस्सेदारी मिलेगी। विश्लेषकों के अनुसार इस सौदे का मूल्य 35 से 40 करोड़ डॉलर के बीच हो सकता है।
पिछले सात महीनों के दौरान इस कारोबार में सुदृढीकरण से दूरसंचार सेवा क्षेत्र की याद आती है जहां गलाकाट प्रतिस्पर्धा के कारण ऑपरेटरों की संख्या 18 से घटकर महज 4 रह गई थी और वोडाफोन-आइडिया के बंद होने की आशंका है जिससे बाजार में केवल तीन कंपनियां बची रहेंगी।
रेडसीर के आंकड़ों के अनुसार, फूड डिलिवरी कारोबार के राजस्व में उल्लेखनी वृद्धि दर्ज की गई। वर्ष 2019 में पिछले वर्ष के मुकाबले 150 फीसदी की वृद्धि हुई लेकिन अधिकतर मामलों में राजस्व के मुकाबले घाटे का आकार लगभग बराबर अथवा अधिक रहा।
ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए भारी छूट और आक्रामक प्रचार-प्रसार के कारण डिलिवरी लागत बढ़ गई जो घाटे की मुख्य वजह है। नकदी किल्लत झेल रही कंपनियां हमेशा ताजा दौर के निवेश के तहत रकम जुटाने पर ध्यान देने लगीं ताकि वृद्धि को रफ्तार दी जा सके। उदाहरण के लिए, उबर ईट्स के लिए पिछले तीन महीने के दौरान उसके सकल वैश्विक राजस्व में भारत का योगदान 3 फीसदी रहा और उसकी बाजार हिस्सेदारी 12 फीसदी हो चुकी है। जबकि दूसरी ओर, पिछली तीन तिमाहियों के दौरान उबर ईट्स के वैश्विक नुकसान में भारत का योगदान 25 फीसदी रहा जिससे कंपनी की लाभप्रदता पर काफी दबाव बढ़ गया।
यहां तक कि अलीबाबा के निवेश वाली कंपनी जोमैटो भी मुनाफा कमाने के लिए संघर्ष कर रही है। मार्च 2019 में उसका घाटा 10 गुना बढ़कर 1,000 करोड़ रुपये हो गया। जबकि इस दौरान कंपनी का राजस्व 188 फीसदी बढ़कर 1,397 करोड़ रुपये हो गया। फाइनैंशियल टाइम्स से बातचीत में मुख्य परिचालन अधिकारी गौरव गुप्ता ने कहा था कि कंपनी 2020 तक मुनाफे में आ जाएगी।
नैसपर के निवेश वाली कंपनी स्विगी की स्थिति भी इससे अलग नहीं है। वित्त वर्ष 2019 में उसका घाटा 6 गुना बढ़कर 2,364 करोड़ रुपये हो गया लेकिन उसका राजस्व 177 गुना उछाल के साथ 1,297 करोड़ रुपये दर्ज किया गया। विश्लेषकों का कहना है कि इस सौदे से जोमैटो एक ही झटके में अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी और वह बाजार की अग्रणी कंपनी स्विगी से भी आगे निकल जाएगी। हाल में कंपनी ने ऐंट फाइनैंशियल से 15 करोड़ डॉलर जुटाए थे।
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