अग्रणी दूरसंचार कंपनियां अभी तय नहीं कर पाई हैं कि 24 जनवरी की समयसीमा के अंदर समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का बकाया भुगतान किया जाए या नहीं। इसकी वजह यह है कि सर्वोच्च न्यायालय तीन दूरसंचार कंपनियों की संशोधन याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई को राजी हो गया है।
भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा समूह ने अदालत में सोमवार को याचिका दायर कर 1.47 लाख करोड़ रुपये के एजीआर बकाये के भुगतान की 90 दिन की समयसीमा में बदलाव की मांग की थी। इसके साथ ही उन्होंने भुगतान के समय और शर्तों को लेकर दूरसंचार विभाग से बातचीत करने की अनुमति भी मांगी थी। सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक राजन मैथ्यू ने कहा, 'मुझे लगता है कि अधिकतर दूरसंचार कंपनियां भुगतान करने से पहले नई याचिका पर सुनवाई होने तक इंतजार करना चाहेंगी।'
कुछ ऐसी ही राय वोडाफोन आइडिया का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील शैली भसीन ने भी जाहिर की। उन्होंने कहा कि फिलहाल कोई एजीआर बकाये का भुगतान नहीं कर रही हैं और उन्होंने अदालत से दूरसंचार विभाग के साथ भुगतान योजना तय करने की अनुमति देने का आग्रह किया है। हालांकि यह स्पष्टï नहीं है कि भारती एयरटेल अग्रिम राशि का भुगतान करेगी या नहीं। कंपनी ने इस मसले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
इस बीच दूरसंचार विभाग ने भारती एयरटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा मौजूदा 49 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी कर दी है। कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को इसकी जानकारी दी। कंपनी को रिजर्व बैंक से भी 74 फीसदी तक एफडीआई की अनुमति मिल चुकी है।
नई याचिका में जियो अन्य दूरसंचार कंपनियों के साथ नहीं थी और उम्मीद की जा रही है कि वह तय समयसीमा में भुगतान कर देगी। जियो ने पिछली तिमाही के नतीजों के समय 2010-11 से 2018-19 की अवधि के लिए 177 करोड़ रुपये लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क की देनदारी का अनुमान लगाने की घोषणा की थी।
शुरुआत में कुछ दूरसंचार कंपनियां तय समयसीमा से पहले 20 फीसदी राशि चुकाने की संभावना तलाश रही थी क्योंकि भुगतान नहीं करने की स्थिति में दूरसंचार विभाग उनकी बैंक गारंटी को भुना सकता है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कंपनियों की नई याचिका को स्वीकार करते हुए उसे अगले हफ्ते किसी समय सुनवाई के लिए सूचीबद्घ करने की बात कही। इस पर सुनवाई उसी पीठ द्वारा की जाएगी जिसने दूरसंचार कंपनियों की समीक्षा याचिका को खारिज किया था। एक दूरसंचार कंपनी की प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सीए सुंदरम ने कहा कि वे भुगतान में किसी तरह की अड़चन नहीं चाहते हैं बल्कि भुगतान की नई समयसीमा की मांग कर रहे हैं।
कंपनियों ने खुली अदालत में सुनवाई पर जोर दिया लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस पर निर्णय संबंधित पीठ द्वारा किया जाएगा।पिछले साल 24 अक्टूबर को न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को 90 दिन के भीतर लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के बकाये का भुगतान करने को कहा था। अगर वे ऐसा नहीं करती हैं तो इसे अदालत की अवमानना माना जा सकता है। अलबत्ता, एक दूरसंचार कंपनी के वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी की समयसीमा के बाद होनी है। उससे पहले दूरसंचार विभाग की तरफ से किसी तरह के दबाव की आशंका नहीं है।'
इसका मकसद न केवल एजीआर बकाये के भुगतान के लिए अधिक समय लेना है बल्कि दूरसंचार विभाग के साथ किस्तों में भुगतान के लिए मोलभाव भी करना है, बशर्ते न्यायालय इसकी अनुमति दे। इन कंपनियों को स्पेक्ट्रम के भुगतान के लिए इसी तरह की अनुमति मिली थी। वोडाफोन आइडिया लिमिटेड के लिए यह अच्छी खबर है कि दूरसंचार कंपनियों को भुगतान के लिए ज्यादा समय मिल सकता है।
कंपनी पर दूरसंचार विभाग का सबसे ज्यादा बकाया है और आशंका है कि भुगतान में राहत नहीं मिली तो कंपनी बंद हो सकती है। हालांकि कंपनी के वकीलों का कहना है कि कंपनी इस कारोबार में बने रहना चाहती है। आज कंपनी का शेयर 22.68 फीसदी की बढ़त के साथ 5.95 रुपये पर बंद हुआ। हालांकि भारती एयरटेल के शेयर में 0.07 फीसदी की मामूली गिरावट आई और यह 508.35 रुपये पर बंद हुआ।
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