कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने रविवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हंगामा एवं जामिया मिल्लिया इस्लामिया तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में हुई हिंसा दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा रहेंगे और इन मामलों पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कमजोर प्रतिक्रिया से अवसरवादिता की बू आती है। सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस दिल्ली चुनाव में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने भरोसा जताया कि पार्टी को पर्याप्त सीटें मिल सकती हैं जिनके बल पर वह सरकार गठन में निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
राज्यसभा सांसद एवं दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की चुनाव एवं प्रचार समितियों के सदस्य सिब्बल ने एक साक्षात्कार में कहा, 'वह (केजरीवाल) जामिया में नहीं आए, वह जेएनयू में नहीं आए। उन्होंने पर्याप्त रूप से बार-बार, मजबूत और खुलकर बयान नहीं दिए। आसपास जो कुछ हो रहा है उसे लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कुछ हद तक कमजोर प्रतिक्रिया ने सही संकेत नहीं भेजे हैं।'
यह पूछे जाने पर कि क्या नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) पर व्यापक हंगामा और विश्वविद्यालय परिसरों में हिंसा चुनाव में बड़ा कारक साबित होंगे, सिब्बल ने हां में जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'केजरीवाल अभी तक विश्वविद्यालय परिसरों में नहीं गए क्योंकि यह राजनीति है।' सिब्बल ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी (आप) वोट बैंक चले जाने के डर से सीएए, एनपीआर और एनआरसी के बारे में अधिक बात नहीं कर रही जिसकी उसे सख्त जरूरत है।
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस अपने दम पर सरकार बना सकती है, सिब्बल ने कहा, 'हमें ऐसे बड़े दावे करने चाहिए लेकिन हम इस चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे। हमें इतनी पर्याप्त सीटें मिलेंगी कि हम सरकार गठन में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।'
सिब्बल ने इन बातों को नकारा कि किसी लोकप्रिय व विश्वसनीय चेहरे के अभाव के कारण चुनाव में कांग्रेस को नुकसान होगा। सिब्बल ने कहा, 'हमारे पास 2014 में नरेंद्र मोदी का विश्वसनीय चेहरा था ऐसा भारत के लोगों को लगता था, देखिए तब से क्या हुआ है। आम लोगों का चेहरा, मुख्यमंत्री के चेहरे से अधिक महत्त्वपूर्ण है।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मुश्किल स्थिति में है क्योंकि उसने विश्वसनीयता खो दी है। उन्होंने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों की मिसाल दी जहां चुनावी विशेषज्ञ गलत साबित हुए हैं।
राज्यों को होगी परेशानी
सिब्बल ने कहा कि राज्य विधानसभाओं को केंद्र सरकार से नागरिकता संशोधन कानून वापस लेने की मांग करने वाला प्रस्ताव पारित करने का संवैधानिक अधिकार है लेकिन अगर अदालत ने सीएए को संवैधानिक करार दिया तब इस कानून का विरोध करने वाले राज्यों के लिए परेशानी होगी।
हालांकि कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि जब तक अनुच्छेद 131 के तहत उच्चतम न्यायालय में दायर की गई याचिका पर कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक राज्यों को नागरिकता संशोधन कानून जैसे असंवैधानिक कानून को लागू करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। पार्टी ने कहा कि राज्य को केंद्र के साथ असहमत होने का अधिकार है और नागरिकता संशोधन कानून पर गृह मंत्री अमित शाह के बार-बार के बयान और राज्यपालों का इसे लागू करने के लिए राज्यों पर दबाव बनाना संवैधानिक संघवाद के खिलाफ है।