खेल और समाचार चैनलों के लिए ज्यादा खर्च को तैयार दर्शक | सोहिनी दास / January 17, 2020 | | | | |
वर्ष 2019 में नए टैरिफ ऑर्डर (एनटीओ) आने के बाद भी टेलीविजन दर्शकों की संख्या में अच्छी तेजी देखी गई। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के आंकड़े यह बताते हैं। इसमें भी खासकर समाचार तथा स्पोट्र्स चैनलों के दर्शकों की संख्या तेजी से बढ़ी। उद्योग सूत्रों का कहना है कि नए साल में टी20 विश्वकप, दिल्ली चुनाव तथा राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनपीआर) जैसे विषयों के चलते यह चलन बरकरार रहेगा। बार्क इंडिया के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) रोमिल रामगढिय़ा कहते हैं, 'साल 2019 में इंडियन प्रीमियर लीग और क्रिकेट विश्व कप जैसे बड़े आयोजन देखे गए। इसके अलावा आम चुनाव, पुलवामा हमला तथा अनुच्छेद 370 को हटाया जाना जैसे विषय सुर्खियों में रहे।' उनका कहना है कि एनटीओ के आने के बावजूद आईपीएल के दर्शकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई। बिग बॉस तथा कौन बनेगा करोड़पति के दर्शकों की संख्या भी बढ़ी। प्रत्येक वर्ष मार्च से मई के बीच आईपीएल का आयोजन होता है और इस बार 12वें संस्करण के समय ही एनटीओ भी लागू किए गए। हालांकि इसके बावजूद दर्शकों की संख्या में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
बार्क के आंकड़े बताते हैं कि साल 2018 के आईपीएल में दर्शकों के 14.2 अरब इम्प्रैशन दर्ज हुए तो वहीं 2019 में 15.8 अरब इम्प्रैशन दर्ज हुए। इसी तरह प्रमुख कार्यक्रमों के दर्शकों की संख्या में भी तेजी देखी गई। पुलवामा तथा बालाकोट हमले के दौरान 4.9 अरब व्यूअरशिप दर्ज की गई जो आम चुनाव के दौरान दर्ज 4.8 अरब से भी अधिक है। रामगढिय़ा कहते हैं, 'नए टैरिफ ऑर्डर तथा कीमतों मेंं बदलाव के बाद भी 2019 में इस तरह की घटनाओं के लिए दर्शकों की संख्या में तेजी दर्ज की गई।' सालाना आधार पर केबीसी तथा बिग बॉस के र्दशकों की संख्या में क्रमश: 9 प्रतिशत तथा 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। खेल, समाचार तथा बड़ी घटनाओं के अलावा दर्शकों ने रोजाना के लिए मनोरंजन की ओर भी रुख किया।
बार्क का कहना है कि दर्शकों ने 4-5 मनोरंजन चैनलों के स्थान पपर 2-3 मनोरंजन चैनलों पर ही टिके रहे और वर्ष 2020 में भी यही प्रवृत्ति देखी जा सकती है। रामगढिय़ा बताते हैं, 'सबस्क्राइब किए गए चैनलों पर लोगों ने अधिक समय बिताया है जो विज्ञापनदाताओं तथा प्रसारकों के लिए अच्छा है। यह दिखाता है कि उनके पास वफादार दर्शक हैं। हालांकि चैनलों की संख्या में गिरावट आई है।' प्रसारक स्वीकार करते हैं कि पिछले साल एनटीओ के लागू होने के बाद से 1.2-1.5 करोड़ ग्राहकों का नुकसान हुआ है। साथ ही, विशेषज्ञ कहते हैं कि टैरिफ में बदलाव के बारे में उपभोक्ताओं को शिक्षित किया जाना चाहिए जो एक बड़ा काम है। सोनी पिक्चर्स नेटवक्र्स इंडिया के प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्याधिकारी एन पी सिंह कहते हैं कि उपभोक्ताओं को कीमतों में बदलाव के बारे मेंं जागरुक करने की कुल लागत 1,000 करोड़ रुपये से अधिक है। हालांकि जागरुकता तथा नए टैरिफ अपनाए जाने की दर इसकी जटिल प्रवृति के बाद भी काफी अधिक है।
वायोकॉम18 के मुख्य कार्याधिकारी तथा प्रबंध निदेशक एवं आईबीएफ के उपाध्यक्ष सुधांशु वत्स कहते हैं कि करीब 94 प्रतिशत भारतीय एनटीओ के बारे में जानते हैं। वह कहते हैं, 'मासिक आधार पर आंकड़े बताते हैं कि लोग अपनी पसंदीदा चैनल की कीमतों को लेकर सशंकित रहते हैं।' हालांकि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने फिलहाल फरवरी 2019 के टैरिफ ऑर्डर में संशोधन किया है। लेकिन प्रसारक टैरिफ में लगातार बदलाव से परेशान हैं और संशोधनों पर रोक लगाने के लिए अदालत जाने की योजना बना रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नियामक तथा प्रसारकों के बीच इस लड़ाई से दर्शकों की संख्या तथा प्रवृति पर असर पड़ेगा। मुंबई स्थित एक विश्लेषक ने कहा, 'ग्राहकों ने नए टैरिफ नियमों को अपना लिया जिससे उसका बहुत अधिक असर नहीं दिखा। हालांकि नए संशोधनों से सामग्री निर्माण के साथ साथ छोटे चैनलों पर भी प्रभाव पड़ेगा।'
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