कम पैसे में पॉलिसी बीमा क्षेत्र के लिए अच्छी नहीं | सोमेश झा / नई दिल्ली January 17, 2020 | | | | |
भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के चेयरमैन सुभाष सी खुंटिया ने बीमा उद्योग को चेताया है कि अगर पॉलिसी का प्रीमियम बहुत कम रखा जाता हैं तो उनका भी हश्र विमानन और दूरसंचार क्षेत्र जैसी हो जाएगा। खुंटिया ने कहा कि समूह स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के मामले में एकत्र किए गए प्रीमियम का करीब 43 प्रतिशत इंश्योरेंस ब्रोकर लेते हैं। खुंटिया ने इंश्योरेंस ब्रोकर्स एसोसिएशन आफ इंडिया की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, 'लेकिन मैं आपको सावधानी बरतने की जरूरत पर जोर दूंगा। हिस्सेदारी बहुत ज्यादा है, लेकिन हानि का अनुपात भी ज्यादा है। इस समय यह टिकाऊ नहीं है। बीमा कंपनियों मध्यस्थ और पॉलिसीधारकों को टिकाऊ वातावरण तैयार करना होगा।'
उन्होंने कहा कि अनुचित प्रतिस्पर्धा के मामले में अन्य उद्योग खासकर उड्डयन और दूरसंचार, नुकसान उठा रहे हैं, लेकिन उनके ग्राहकों को नुकसान नहीं हो रहा है। लेकिन ऐसी स्थिति बीमा उद्योग में नहीं चल पाएगी, क्योंकि इसमें ग्राहकों की रक्षा करनी होती है। अगर बीमा उद्योग खराब स्थिति में पहुंचता है तो ग्राहक भी इससे प्रभावित होंगे और नियामक के रूप में हम नहीं चाहेंगे कि ऐसा हो। नागरिक उड्डयन बहुत ही प्रतिस्पर्धी क्षेत्र है, जहां कम किराये की स्थिति कुछ एयरलाइंस के लिए चिंता की वजह बन गई है। दरअसल सरकार ने बार बार इसके लिए प्रीडेटरी प्राइसिंग यानी प्रतिस्पर्धा और बाजार बिगाडऩे के के लिए दाम बहुत गिराने को जिम्मेदार बताया है। साथ ही उद्योग को चेताया भी है कि वह प्रतिस्पर्धा में दूसरे को बाहर करे के लिए उड़ान का किराया बहुत कम रख रही हैं।
इसी तरह से दूरसंचार उद्योग भी गलाकाट प्रतिस्पर्धा की वजह से दबाव में है। खासकर 3 साल पहले रिलायंस जियो के आने के बाद से ऐसी स्थिति बनी है। भारती एयरटेल और वोडाफोन को हाल में बड़ा नुकसान हुआ है। यह पूछे जाने पर कि कंपनियों द्वारा अपना कारोबार बढ़ाने के लिए प्रीडेटरी प्राइसिंग का सहारा ले रही हैं, खुंटिया ने कहा, 'निश्चित रूप से'। उन्होंने कहा, 'नियामक को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह उद्योग टिकाऊ तरीके से चले। इस पर (प्रीडेटरी प्राइसिंग पर) लगाम लगाने के लिए न सिर्फ कार्रवाई की जाएगी बल्कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि बीमा उद्योग की सेहत न खराब हो।'
नियामक ने बीमा ब्रोकरों से यह भी कहा कि अपना रिटर्न दाखिल करते समय वे ज्यादा सावधानी बरतें और कहा कि कि नियामक बीमा मध्यस्थों से जुड़े नियमन के समेकन पर काम कर रही है, जिससे तमाम नियमों से बचा जा सके। उन्होंने कहा, 'मैंने अधिकारियों से कहा है कि मध्यस्थों से जुड़े नियमों की बहुलता हैऔर अलग अलग श्रेणियों के खास मानक के बजाय सबके लिए एक सामान्य मानक होने चाहिए। हमें सभी मध्यस्थों को एक नियमन के तहत लाए जाने की जरूरत है।'
आईआरडीएआई ने 6 साल पहले बीमाकर्ताओं, ब्रोकरो व अन्य के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया और इससे जुड़ी अन्य गतिविधियों को स्वचालित बनाने के लिए बिजनेस एनलटिक्स प्रोजेक्ट पेश किया था। खुंटिया ने कहा कि 459 ब्रोकरों में से करीब 80 प्रतिशत यानी 364 ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए रिटर्न दाखिल किया है। उन्होंने कहा, 'कुछ ब्रोकरों ने अपना सालना रिटर्न समय से दाखिल नहीं किया है और कुछ प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहे हैं। हमें और ज्यादा अनुशासित होना होगा।' बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा मौजूदा 49 प्रतिशत से बढ़ाने जाने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि विदेशी अंशधारिता बढ़ाकर 74 प्रतिशत किए जाने को लेकर इस क्षेत्र के हिस्सेदारों से राय मांगी गई है और प्रतिक्रिया मिलने के बाद उसे सरकार के पास भेजा जाएगा।
उन्होंने कहा, 'बीमा अधिनियम के मुताबिक अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अधिकतम सीमा 49 प्रतिशत है। अगर यह बढ़ाकर 74 प्रतिशत की जाती है तो स्वाभाविक रूप से अधिनियम में संशोधन करना होगा।' उन्होंने मालिकाना और नियंत्रण के बारे में कहा कि अब तक इस मसले पर कोई फैसला नहीं किया गया है।
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