► कंपनी ने आरकॉम, रिलायंस टेलीकॉम और एयरसेल समेत ऋणग्रस्त दूरसंचार कंपनियों के लिए बोली लगाई ► चार्टर्ड फाइनैंशियल एनालिस्ट शिल्पी शर्मा 35.47 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ी हिस्सेदार एवं प्रवर्तक ► कंपनी में छह पीएसयू बैंकों और दो बीमा कंपनियों की 8.22 फीसदी हिस्सेदारी ► अन्य प्रमुख निवेशकों में अनुभव सिक्योरिटीज प्रा. लि., अनुभव बिल्डटेक और सन्मति ट्रेडिंग ऐंड इन्वेस्टमेंट शामिल ► बुक बिल्डिंग के लिहाज से देश की शीर्ष 10 एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों में शुमार होने का दावा ► वित्त वर्ष 2019 में आमदनी 121 फीसदी और कर पूर्व लाभ 134 फीसदी बढ़ा
भले ही उनकी सालाना रिपोर्ट पर आधिकारिक टैग लाइन 'फंसे कर्ज की वसूली' हो। लेकिन सुर्खियों से परे दिल्ली की यूवी एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (यूवीएआरसीएल) अचानक किसी अन्य वजह से सुर्खियों में आई है। यह आईबीसी में उन ऋणग्रस्त दूरसंचार कंपनियों के लिए बोली लगाने वाली प्रमुख कंपनी बनकर उभरी है, जिन्होंने जियो के आने के बाद बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण परिचालन बंद कर दिया।
माना जा रहा है कि यूवीएआरसीएल ने आरकॉम और रिलायंस टेलीकॉम को खरीदने के लिए सर्वाधिक 16,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई है। ये दोनों कंपनियां आईबीसी में हैं और अनिल अंबानी समूह की इन कंपनियों के पास स्पेक्ट्रम, डेटा सेंटर और रियल एस्टेट परिसंपत्तियां हैं। यूवीएआरसीएल बोली की 30 फीसदी राशि 90 दिनों की अवधि में देने को तैयार है। इसने पिछले साल भी एयरसेल की परिसंपत्तियां खरीदने के लिए सबसे ऊंची बोली लगाई थी। यह 150 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान करने को तैयार थी। हालांकि एयरसेल सौदे को बैंकों ने अभी मंजूूरी नहीं दी है।
यूवीएआरसीएल की स्थापना 2007 में हुई थी। कंपनी की वेबसाइट पर कहा गया है कि इसकी स्थापना पेशेवरों ने की है, जिसमें 'छह पीएसयू बैंकों और दो बीमा कंपनियों की हिस्सेदारी है।' इनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और यूनाइटेड और नैशनल इंश्योरेंस शामिल हैं। लेकिन कंपनी की वित्त वर्ष 2019 की सालाना रिपोर्ट में हिस्सेदारी को गौर से देखते हैं तो पता चलता है कि इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदार शिल्पी शर्मा हैं, जो 35.47 फीसदी हिस्सेदारी के साथ प्रवर्तक भी हैं। वहीं बैंकों की संयुक्त रूप से हिस्सेदारी महज 7.7 फीसदी और बीमा कंपनियों की करीब 0.52 फीसदी है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर कोई भी बैंक या बीमा कंपनी शीर्ष 10 निवेशकों में शामिल नहीं है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के पास 5.4 फीसदी हिस्सेदारी है। कंपनी के बारे में भेजे गए सवालों का शर्मा ने कोई जबाव नहीं दिया।
ऐसे में सवाल पैदा होता है कि शिल्पी शर्मा कौन हैं? वह एक चार्टर्ड फाइनैंशियल विश्लेषक हैं। जानकारों का कहना है कि उन्होंने पीएसयू बैंकों की मदद से यूवीएआरसीएल की स्थापना की है। इससे पहले वह कंपनियों को सिंडिकेटेड ऋण लेने में मदद करती थीं। वह बोर्ड की कार्यकारी वाइस चेयरमैन हैं। वेबसाइट पर कहा गया है कि वह पूर्णकालिक निदेशक हैं। पहले वह खुद की सलाहकार कंपनी चलाती थीं और बहुत से उद्योगों के ग्राहकों को बैंकिंग, वित्त और पूंजी बाजार से संबंधित विविध नियामकीय और अनुपालना मामलों में सलाह देती थीं।
इसके बाद वह एक एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी की प्रायोजक बनीं। निस्संदेह यूवीएआरसीएल बुक बिल्ंिडग के लिहाज से देश की शीर्ष 10 एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों में से एक है, जिसका सीएजीआर पिछले तीन वर्षों के दौरान 109 फीसदी रहा है। वर्ष 2018-19 में कंपनी की आमदनी 36 करोड़ रुपये थी, जो इससे पिछले वर्ष से 121 फीसदी अधिक थी। कंपनी का कर पूर्व लाभ 134 फीसदी बढ़कर 13 करोड़ रुपये रहा।
कंपनी का नेट वर्थ मार्च 2019 में 120 करोड़ रुपये था और इसने प्रत्येक शेयर पर 0.50 रुपये का लाभांश दिया था। हालांकि आरओसी फाइलिंग के मुताबिक वित्त वर्ष 2019 की शुरुआत में कंपनी पर कर्ज 88 करोड़ रुपये था, जो वर्ष के अंत में 150 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। ऐसे में क्या अनिल अंबानी की कंपनियों के लिए यूवीएआरसीएल की बोली को वे बैंक स्वीकार करेंगे, जो ऋणदाताओं की समिति का हिस्सा हैं?
एक बैंक अधिकारी ने कहा, 'आरकॉम के लिए किस्तों में भुगतान की पेशकश की गई है, जिसे प्रतिनिधि बैंक बोर्ड स्वीकार नहीं करेंगे।' उन्होंने कहा कि यह एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी अग्रिम कम पैसा देना चाहती थी, जिसकी वजह से ही एयरसेल के ऋण का समाधान नहीं हो पाया है। बैंकों को 47,000 करोड़ रुपये के स्वीकृत दावों के मुकाबले अग्रिम नकदी बहुत कम मिल रही है। इस वजह से आरकॉम सौदे को संबंधित बैंकों के बोर्डों में मंजूरी मिलना मुश्किल होगा।
दूरसंचार क्षेत्र के विश्लेषकों ने कहा कि यह साफ नहीं है कि अगर सौदे को मंजू्री मिल जाती है तो यूवीएआरसीएल किसी दूरसंचार कंपनी से गठजोड़ करेगी, जो दोनों कंपनियों का स्पेक्ट्रम इस्तेमाल करेगी क्योंकि लाइसेंस की अवधि खत्म होने तक स्पेक्ट्रम को साझा और हस्तांतरित करने की मंजूरी है। आरकॉम का पहले ही रिलायंस जियो के साथ स्पेक्ट्रम साझा करने का समझौता है। इसके तहत जियो आरकॉम के कीमती 800 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल रही है, जो 4जी सेवाओं के लिए अहम है।
क्या यूवीएआरसीएल किसी दूरसंचार कंपनी के साथ गठजोड़ करेगी, इस बारे में पूछे गए सवाल का भी जवाब नहीं मिला। इसी आईबीसी प्रक्रिया में जियो ने रिलायंस इन्फ्राटेल को खरीदने के लिए 4,700 करोड़ रुपये की पेशकश की है, जिसके पास टावर और फाइबर परिसंपत्तियां हैं। हालांकि विश्लेषकों ने कहा कि अगर यह आरकॉम के लिए बोली लगाती है तो नियमों के मुताबिक उसे गैर सूचीबद्ध जियो का सूचीबद्ध कंपनी आरकॉम में विलय करना होगा। जियो बड़ा सार्वजनिक निर्गम लाने की योजना बना रही है, लेकिन वह संभïव नहीं है।
Business Standard Private Ltd. Copyright & Disclaimer feedback@business-standard.com
This site is best viewed with Internet Explorer 6.0 or higher; Firefox 2.0 or higher at a minimum screen resolution of 1024x768
* Stock quotes delayed by 10 minutes or more. All information provided is on
"as is" basis and for information purposes only. Kindly consult your
financial advisor or stock broker to verify the accuracy and recency of all
the information prior to taking any investment decision.
While due diligence is done and care taken prior to uploading the stock
price data, neither Business Standard Private Limited, www.business-standard.com nor any
independent service provider is/are liable for any information errors,
incompleteness, or delays, or for any actions taken in reliance on
information contained herein.