आयातित खाद्य तेल का स्टॉक पिछले कई साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। विदेशों से आने वाले खाद्य तेल का औसत स्टॉक 30 दिन की खपत के लिए पर्याप्त होता है, लेकिन जनवरी की शुरुआत में इसमें गिरावट आई है और यह कम होकर इस स्तर पर आ गया है जो केवल 22 दिन के लिए ही पर्याप्त है।
उद्योग के संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के अनुसार विभिन्न बंदरगाहों पर 1 जनवरी तक खाद्य तेल कम होकर अनुमानित रूप से 8,60,000 टन (20 प्रतिशत रिफाइंड तेल) रह गया है। आयात किए जाने वाले स्टॉक में पिछले चार महीने से कमी आ रही है। बंदरगाहों पर जमा और आयात किया जा रहा कुल स्टॉक 13.6 लाख टन बताया जाता है जो पिछले महीने के मुकाबले नौ प्रतिशत कम है।
पिछले साल के 20.3 लाख टन की तुलना में इसमें एक-तिहाई गिरावट आई है। भारत की मासिक जरूरत करीब 19 लाख टन रहती है। सामान्य रूप में यह 30 दिन का स्टॉक होता है। इसके मुकाबले फिलहाल 22 दिनों की जरूरत के बराबर का स्टॉक है। मई 2019 में बंदरगाहों पर उपलब्ध और आयात किया जाने वाला स्टॉक 23.6 लाख टन था।
एसईए के कार्याकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा कि पाम तेल के दामों में काफी तेजी से इजाफा हुआ है जिसने लागत बढ़ा दी है। सोयाबीन जैसी फसल को हुए भारी नुकसान के कारण घरेलू दाम सामान्य रूप से ज्यादा हैं। दामों में अधिकता से उपभोग पर भी असर पड़ा है। देश में रिफाइंड पाम तेल आयात की अधिकता रोकने के लिए जनवरी के बाद से रिफाइंड (आरबीडी) पाम तेल और पामोलिन का आयात प्रतिबंधित सूची में डाल दिया गया है।
भारत मुख्य रूप से आरबीडी पामोलिन मलेशिया से आयात करता है। अब इस आयात के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय (बीजीएफटी) द्वारा जारी लाइसेंस की जरूरत पड़ेगी। अगर डीजीएफटी आयात के लिए लाइसेंस जारी करता है तो ऐसे में एसईए ने प्रति माह केवल 50,000 टन की सीमा रखने का सुझाव दिया है। हालांकि चूंकि मलेशिया से आयात रोक दिया गया है, इसलिए खरीदारों ने इंडोनिशया से पाम ऑयल खरीद के लिए करीब 10 डॉलर अधिक देने शुरू कर दिए हैं।
एसईए के अनुसार भारत का पाम तेल आयात दिसंबर 2019 में 8.64 प्रतिशत घटकर 7,41,490 टन रह गया है। भारत ने दिसंबर 2018 में 8,11,700 टन पाम तेल का आयात किया था। देश का कुल वनस्पति तेल आयात दिसंबर 2019 में घटकर 11.28 लाख टन रह गया जो पिछले साल इस अवधि में 12.11 लाख टन था। देश के कुल वनस्पति तेल आयात में पाम तेल की हिस्सेदारी 60 फीसदी से अधिक रहती है। पाम तेल उत्पादों में से कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का आयात दिसंबर 2019 में घटकर 6,31,824 टन रह गया, जो एक साल पहले 6,70,244 टन था।
आरबीडी पामोलिन का आयात घटकर 94,816 टन रह गया, जो पहले 1,30,459 टन था। कच्चे पाम कर्नेल तेल (सीपीकेओ) का आयात पहले के 10,997 टन से बढ़कर 14,850 टन हो गया। दिसंबर 2019 के दौरान सूरजमुखी तेल का आयात घटकर 1,97,842 टन रह गया, जो साल भर पहले 2,35,824 टन था। हालांकि इस दौरान सोयाबीन तेल का आयात 85,404 टन से बढ़कर 1,68,048 टन हो गया।
दुनिया के सबसे बड़े खाद्य तेल आयातक भारत द्वारा खरीद कम किए जाने के कारण मलेशिया के पाम तेल के दामों पर दबाव बन सकता है, हालांकि इससे सोया तेल के दामों को समर्थन मिलेगा। भारत सालाना 90 लाख टन से ज्यादा पाम तेल की खरीद करता है। यह मुख्य रूप इंडोनेशिया और मलेशिया से तेल खरीदता है। इंडोनेशिया दुनिया का सबसे बड़ा पाम तेल उत्पादक है। इसके बाद मलेशिया का स्थान आता है। भारत मुख्य रूप से अर्जेंटीना से सोया तेल तथा यूक्रेन और रूस से सूरजमुखी तेल खरीदता है।
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