कमोडिटी एक्सचेंजों को जिंसों में विकल्प कारोबार की अनुमति
राजेश भयानी / मुंबई January 16, 2020
बाजार नियामक सेबी ने कमोडिटी डेरिवेटिव्स में बड़े सुधार की दिशा में कदम उठाते हुए स्टॉक एक्सचेंजों को कमोडिटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट में 'ऑप्शन ऑन गुड्स' (जिंसों में विकल्प) शुरू करने की अनुमति दी है। यह 'कमोडिटी फ्यूचर्स पर ऑप्शन' से अलग है। माल पर ऑप्शन के मानक फ्यूचर्स पर ऑप्शन की तुलना में आसान हैं।
मौजूदा समय में कमोडिटी ऑप्शन की अनुमति उस जिंस के फ्यूचर्स के आधार पर हासिल है। इसका मतलब है कि ऑप्शन के निपटान पर, यह फ्यूचर्स में तब्दील हो जाता है या निपटान पर बिक्री नहीं होने की स्थिति में प्रत्येक ऑप्शन कारोबार फ्यूचर्स में समाप्त होता है। सेबी ने एक्सचेंजों को समान जिंसों के साथ गुड्स पर ऑप्शन और फ्यूचर्स पर ऑप्शन की भी अनुमति दी है, हालांकि दोनों के लिए पोजीशन सीमा को एक साथ जोड़ा जाएगा और गुड्स पर ऑप्शन के लिए अनुबंध शर्तें कमोडिटी फ्यूचर्स के समान रहेंगी।
विकल्प कारोबार में सबसे बड़ी बाजार भागीदारी वाले एमसीएक्स के प्रबंध निदेशक पी एस रेड्डी ने कहा, 'जिंस डेरिवेटिव बाजार के विकास की दिशा में यह एक बड़ा सुधार है। इससे एक्सचेंजों को उन उत्पादों की पेशकश के लिए स्वायत्तता मिली है जो हितधारकों के एक बड़े वर्ग की जरूरत पूरी करते हैं और इससे बाजार दक्षता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।'
सेबी ने कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस आदि जैसी जिंसों को शामिल करने के लिए जिंसों पर ऑप्शन के साथ साथ गुडस पर ऑप्शन की अनुमति दी है। एक्सचेंजों को 'ऑप्शन इन गुड्स' (लॉन्ग और शॉर्ट दोनों) में प्रमुख 10 सबसे बड़े कारोबारियों/कारोबारियों के समूह के ओपन इंटरेस्ट जैसे जरूरी खुलासे करने होंगे। सिर्फ वही माल इन ऑप्शन के लिए योग्य होगा, जिस पर एक्सचेंज या तो वायदा अनुबंध पहले से कर रहा हो, या वायदा अनुबंध शुरू करने की तैयारी कर रहा हो।
सबसे बड़े कृषि केंद्रित कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स के बिजनेस हेड कपिल देव ने कहा, 'अब हम गेहूं, मक्का और मसालों में ऑप्शन की संभावना तलाशेंगे और इसके लिए हम वायदा अनुबंध की पेशकश कर रहे हैं। किसान उत्पादक संगठन हेजिंग और/या किसानों के उत्पादों की डिलिवरी के लिए वायदा का इस्तेमाल पहले से ही कर रहे हैं। अब ऑप्शन में ज्यादा जिंसों को शामिल किया जा सकेगा। हालांकि हम उन ऑप्शन अनुबंधों में 'ऑप्शन ऑन गुड्स' शुरू करने की संभावना नहीं तलाश रहे हैं जिनमें हम पहले से ही पेशकश कर रहे हैं।'
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के सहायक निदेशक किशोर नार्ने ने कहा, 'कमोडिटी एक्सचेंजों को फ्यूचर्स में ऑप्शन शुरू करने के लिए 1,000 करोड़ रुपये का न्यूतम दैनिक औसत कारोबार जरूरी है। इसलिए, बीएसई और एनएसई जैसे एक्सचेंज ऑप्शन शुरू नहीं कर सकते, क्योंकि उनका दैनिक औसत कारोबार इस सीमा से नीचे बना हुआ है। सेबी के सर्कुलर में बीएसई और एनएसई को कारोबारी सीमा कम होने के बावजूद सोने और चांदी जैसी जिंसों में ऑप्शन शुरू करने की अनुमति दी गई है।'
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