सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज की भारती और वोडाफोन आइडिया की समीक्षा याचिका
मेघा मनचंदा / नई दिल्ली 01 16, 2020
► दूरसंचार कंपनियों को बकाया एजीआर मद में 1.47 लाख करोड़ रुपये का करना है भुगतान ► भारती एयरटेल सुधारात्मक याचिका दायर करने पर कर रही विचार
बकाया समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) पर शीर्ष अदालत के फैसले पर भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया द्वारा दायर समीक्षा याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने आज खारिज कर दिया। इससे पहले अदालत ने 23 जनवरी तक दूरसंचार कंपनियों को 1.47 लाख करोड़ रुपये का बकाया एजीआर चुकाने का आदेश दिया था।
न्यायमूूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एसए नजीर और न्यायमूर्ति एमआर शाह के पीठ ने कहा समीक्षा याचिका को खारित करते हुए कहा कि यह सुनवाई के लिए पात्र नहीं है। एजीआर सेवा प्रदाताओं का राजस्व होता है, जिसमें गैर-मुख्य दूरसंचार परिचालनों जैसे किराया, लाभांश और ब्याज आय शामिल होते हैं।
यह केवल दूरसंचार सेवाओं से प्राप्त आय नहीं है। अदालत के आदेश से निराश भारती एयरटेल ने कहा कि वह सुधारात्मक याचिका दायर करने पर विचार कर रही है, जो अदालत में शिकायत निपटान का अंतिम उपाय है। भारती एयरटेल ने कहा, 'उद्योग भारी वित्तीय दबाव में है और अदालत के फैसले से पूरे क्षेत्र की व्यवहार्यता पर और संशय खड़ा होगा। उद्योग को नेटवर्क के विस्तार, स्पेक्ट्रम खरीदने और 5जी जैसी नई तकनीकी पर निरंतर निवेश करने की जरूरत है।'
24 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार की एजीआर की परिभाषा को सही ठहराया था। इसे लेकर दूरसंचार विभाग और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था। सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने एजीआर की गणना के लिए सरकार की परिभाषा को चुनौती देते हुए 2005 में पहला मामला दायर किया था। उसकी दलील थी कि सरकार एजीआर में जिन घटकों को शामिल करने की कोशिश कर रही है वे टेलीग्राफ ऐक्ट और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की सिफारिशों के अनुरूप नहीं हैं।
दूरसंचार उद्योग दूरसंचार विभाग द्वारा मांगी गई राशि के 85 फीसदी हिस्से का भुगतान कर चुका है लेकिन शेष 15 फीसदी राशि पर लंबे समय से विवाद चल रहा है। इसकी वजह यह है कि दूरसंचार कंपनियों को दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपील पंचाट, उच्च न्यायालयों और यहां तक कि उच्चतम न्यायालय से भी अनुकूल फैसला मिल रहा है। दूरसंचार कंपनियों पर सरकार का 92,641 करोड़ रुपये का बकाया है। इसमें 23,189 करोड़ रुपये विवादित वास्तविक मांग, 41,650 करोड़ रुपये ब्याज, 10,923 करोड़ रुपये जुर्माना और 16,878 करोड़ रुपये जुर्माने पर ब्याज शामिल है।
अगर इसमें लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क को भी शामिल कर लिया जाए तो यह राशि 1.47 लाख करोड़ रुपये पहुंच जाएगी। एसयूसी की गणना एजीआर पर की गई है। दिसंबर में वोडाफोन आइडिया के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद अगर उनकी कंपनी को सरकार की तरफ से राहत नहीं मिली तो वह बंद हो जाएगी। कंपनी को सरकार को 40 हजार करोड़ रुपये का भुगतान करना है।
वोडाफोन आइडिया को एजीआर के बकाये के भुगतान का प्रावधान करने के बाद सितंबर तिमाही में 50,922 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था जो भारत के कॉरपोरेट इतिहास में सबसे बड़ा घाटा है। एयरटेल को भी सितंबर में समाप्त तिमाही में 23,044 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। उसने एजीआर बकाये के लिए 28,450 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था।
Business Standard Private Ltd. Copyright & Disclaimer feedback@business-standard.com
This site is best viewed with Internet Explorer 6.0 or higher; Firefox 2.0 or higher at a minimum screen resolution of 1024x768
* Stock quotes delayed by 10 minutes or more. All information provided is on
"as is" basis and for information purposes only. Kindly consult your
financial advisor or stock broker to verify the accuracy and recency of all
the information prior to taking any investment decision.
While due diligence is done and care taken prior to uploading the stock
price data, neither Business Standard Private Limited, www.business-standard.com nor any
independent service provider is/are liable for any information errors,
incompleteness, or delays, or for any actions taken in reliance on
information contained herein.