एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'कुछ क्षेत्रों में उत्पादन शुरू करने में लंबा वक्त लगता है और उन्हें पूरी आपूर्ति शृंखला पर काम करना होता है। कर रियायत की सुविधा 2025 तक करने से इन क्षेत्रों को काफी वक्त मिल सकेगा।' अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 सितंबर, 2019 को नई विनिर्माण इकाइयों को कॉरपोरेट कर में छूट देने की घोषणा की थी।
हालांकि इकाई की स्थापना का काम 1 अक्टूबर, 2019 से शुरू कर 31 मार्च, 2023 तक उत्पादन शुरू करने की शर्त रखी गई थी। ऐसी इकाइयों से 15 फीसदी कर दर से कॉरपोरेट कर लेने की घोषणा की गई थी। इन कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) से भी राहत दी गई थी। किसी तरह की रियायत नहीं लेने वाली मौजूदा कंपनियों के लिए भी कर की दर घटाकर 25 फीसदी की गई थी।
इन्वेस्ट इंडिया ने अप्रैल के बाद इकाई लगाने वाली कंपनियों की सूची तैयार कर रही है, जो कुछ दिन या महीनों से रियायती दर का लाभ उठाने से चूक गईं हैं। एक अधिकारी ने कहा, 'विभिन्न क्षेत्रों में कई विदेशी कंपनियों ने कम कर की दर का लाभ नहीं उठा पाने को लेकर निराशा जाहिर की है क्योंकि उन्होंने सितंबर या अगस्त में अपनी इकाइयां लगाई थीं।'
इन्वेस्ट इंडिया ने कहा कि प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है और वित्त मंत्री से इन कंपनियों को भी रियायती कर दायरे में लाने की मांग की जाएगी। अधिकारी ने कहा, 'यह वित्त मंत्रालय पर निर्भर करेगा कि वह अप्रैल 2019 या अगस्त 2019 से कंपनियों के लिए रियायती कर दर की अनुमति देता है या नहीं। लेकिन यह वास्तविक चिंता का विषय है।'
नांगिया एंडरसन कंसल्टिंग के चेयरमैन राकेश नांगिया ने कहा कि सरकार को उद्योग के सुझाव पर विचार करना चाहिए और 1 अपगैल, 2019 से लगाई गई विनिर्माण इकाइयों के लिए भी नई दरें लागू करनी चाहिए। हालांकि उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट कर की दर में कटौती अच्छी पहल है लेकिन इससे अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा, ' मांग और निवेश चक्र में सुधार लाकर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है, जिससे रोजगार का भी सृजन होगा।'