दवा कंपनियों की आय पर पड़ेगा अमेरिकी नियामक का असर
सोहिनी दास / मुंबई January 15, 2020
विश्लेषकों को लग रहा है कि दिसंबर तिमाही में अहम दवा कंपनियों की आय की रफ्तार सुस्त रहेगी। इसकी मुख्य वजह अमेरिकी खाद्य व दवा प्रशासन के साथ जारी मसले हैं। भारतीय दवा कंपनियों के लिए अमेरिका सबसे महत्वपूर्ण निर्यात बाजार है। भारतीय बाजार की रफ्तार हालांकि स्थिर रही है और उनके मार्जिन में मजबूती की संभावना है।
विश्लेषकों को उम्मीद है कि अग्रणी कंपनियां एक साल पहले के मुकाबले बिक्री में 5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज करेंगी। सालाना आधार पर आय की रफ्तार दिसंबर तिमाही में एक फीसदी रहेगी। इसकी तुलना में देसी बिक्री में एक साल पहले के मुकाबले करीब 9 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है, जिसकी वजह कीमत में हुई बढ़ोतरी है। विश्लेषकों ने हालांकि कहा कि बिक्री की यह रफ्तार सितंबर तिमाही के मुकाबले घटेगी। एडलवाइस सिक्योरिटीज का मानना है कि देसी बिक्री क्रमिक आधार पर तीन फीसदी घटेगी क्योंकि पिछली तिमाही में बिक्री मॉनसून के दौरान सर्दी-बुखार के कारण मजबूत हुई थी। भारतीय दवा कंपनियों के लिए अमेरिका सबसे बड़ा निर्यात बाजार है और देसी दवा कंपनियां उस देश में बेची जाने वाली जेनेरिक दवाओं में करीब 30 फीसदी का योगदान करती हैं। हालांकि समय के साथ नियामकीय समस्याएं भी रही हैं और एफडीए ने जांच बढ़ा दी है।
हालिया नोट में एडलवाइस सिक्योरिटीज ने कहा कि सन फार्मा की हलोल इकाई, सिप्ला की पातालगंगा इकाई, अरविंदो की यूनिट-4, 5 और 7 को लेकर अमेरिकी नियामक का आकलन, कैडिला हेल्थकेयर के मोरैया प्लांट, टॉरंट फार्मा के लेविटॉन और ग्लेनमार्क की बद्दी इकाई के लिए चेतावनी पत्र बताता है कि इस मोर्चे पर चिंता बनी हुई है। ब्रोकरेज ने कहा कि इस तरह के कदम से दवा के मूल्यांकन में कमी बनी रहेगी।
इस तिमाही में अमेरिकी बिक्री स्थिर रह सकती है, जिसकी वजह कुछ विशेष दवाओं की पेशकश है। सन फार्मा ने अक्टूबर में आंखों के इलाज के लिए सिक्वा ट्रीटमेंट पेश किया। पेशकश मेंं हालांकि देर हुई क्योंकि कंपनी विनिर्माण व आपूर्ति शृंखला मेंं कुछ समस्याओं का सामना कर रही थी। सिक्वा इस कंपनी के लिए अहम दवा है और सर्वोच्च स्तर पर बिक्री पहुंचने पर कंपनी इससे 10-12.5 करोड़ डॉलर हासिल कर सकती है। तिमाही के दौरान इसका कुछ फायदा मिल सकता है। हालांकि विश्लेषकों को उम्मीद है कि अमेरिकी बिक्री में महज एक फीसदी की बढ़ोतरी होगी। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने कहा कि सिप्ला, सन फार्मा, अरविंदो, कैडिला, अलेंबिक और टॉरंट की बिक्री की रफ्तार मोटे तौर पर स्थिर रहेगी। डॉ. रेड्डीज और ल्यूपिन हालांकि अमेरिकी बिक्री में बढ़ोतरी दर्ज कर सकती हैं। ब्रोकरेज ने कहा, तिमाही के दौरान अमेरिकी जेनेरिक दवाओं की बहुत ज्यादा मंजूरी नहीं मिली है। नई दवाओं की मंजूरी में नियामकीय चुनौतियां बनी रहीं। साथ ही मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषकों ने कहा कि मुद्रा की अगुआई में सबसे कम फायदा होगा क्योंकि रुपया मोटे तौर पर स्थिर रहा है।
अहम कंपनियों में डॉ. रेड्डीज भारत और अमेरिकी बाजार में मजबूत बढ़ोतरी दर्ज कर सकती है। एडलवाइस को उम्मीद है कि डॉ. रेड्डीज का अमेरिकी राजस्व सालाना आधार पर नौ फीसदी बढ़ेगा जबकि देसी राजस्व में 15 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। सिप्ला की देसी बिक्री सालाना आधार पर 10 फीसदी बढ़ सकती है क्योंकि कंपनी ने अपने वितरण नेटवर्क में सुधार किया। सन फार्मा अपने मार्जिन में गिरावट का सामना कर सकती है, जिसकी वजह तीसरी तिमाही में शोध व विकास पर ज्यादा खर्च है।
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