ओएसपीआईएल के समाधान को झटका | ईशिता आयान दत्त / कोलकाता January 15, 2020 | | | | |
ओडिशा स्लरी पाइपलाइन इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (ओएसपीआईएल) के समाधान में एक नई परेशानी सामने आई है। लेनदारों की समिति की तरफ से मंजूर आर्सेलरमित्तल की समाधान योजना को नाकाम समाधान आवेदकों त्रिवेणी अर्थमूवर्स और श्रेय इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस ने चुनौती दी है।
आर्सेलरमित्तल के प्रवक्ता ने कहा, हम कानूनी मसले पर टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन हम इसकी पुष्टि करते हैं कि ओडिशा स्लरी पापलाइन के लेनदारों ने आर्सेलरमित्तल की योजना को आमसहमति से मंजूरी दी थी और 100 फीसदी मतदान योजना के हक में हुआ था। इस योजना के तहत सभी लेनदारों के मूलधन की पूरी रकम का अग्रिम भुगतान होना है। दिसंबर में ओएसपीआईएल की लेनदारों की समिति ने आर्सेलरमित्तल की 2,200 करोड़ रुपये के अग्रिम भुगतान की पेशकश को मंजूरी दी थी। त्रिवेणी ने हालांकि 3,300 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी और इसमें अग्रिम भुगतान 8 करोड़ रुपये होना था। ओएसआईपीएल के लिए कुल स्वीकार्य दावे 2,660 करोड़ रुपये के हैं।
लेनदारों ने अग्रिम भुगतान में अंतर के कारण आर्सेलरमित्तल की योजना के हक में जाने का फैसला लिया था। इसके अलावा चूंकि त्रिवेणी का भुगतान एक अवधि में फैला हुआ था, लिहाजा यह भी एक मसला था। त्रिवेणी ने एनसीएलटी में याचिका दाखिल की है ताकि सीओसी उसकी समाधान योजना पर दोबारा विचार करे और अधिकतम कीमत मिलने के फायदे पर गौर करे। यह मामला फरवरी में एनसीएलटी का कटक पीठ देखेगा।
त्रिवेणी के प्रतिनिधि वकील आनंद वर्मा ने कहा, हमारा कहना यह है कि आर्सेलर की योजना में कीमत को अधिकतम करने की बात नहीं है। हमने मलधन और ब्याज का भुगतान पांच साल में करने की पेशकश की है और इसके अतिरिक्त 500 करोड़ रुपये का इक्विटी विकल्प भी है। लेकिन सीओसी ने कभी भी हमारी योजना पर बात नहीं की।
कारोबारी योजना के तहत त्रिवेणी ने प्रस्ताव रखा था कि ओएसपीआईएल को मिले राइट ऑफ वे के आधार पर वह अतिरिक्त पाइपलाइन के जरिए क्षमता 1.2 करोड़ टन से बढ़ाकर 2.4 से 3 करोड़ टन तक कर देगी। राइट ऑफ वे का मतलब यह है कि ओएसपीआईएल को पेट्रोलियम व मिनरल्स पाइपलाइन ऐक्ट 1962 के तहत अधिग्रहण की दरकार नहीं होगी। एनसीएलटी में जमा कराए गए आवेदन में त्रिवेणी ने आरोप लगाया है कि सीओसी का वित्तीय हित एस्सार स्टील इंडिया के मूल्यांकन को अधिकतम करने में छुपा है, न कि ओएसपीआईएल में।
दूसरी ओर 253 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन एस्सार स्टील की अहम सहायक इकाई है। यह पाइपलाइन डाबुना आयरन ओर बेनिफिकेशन प्लांट को ओडिशा के पारादीप में 1.2 करोड़ टन वाले पैलेट संयंत्र से जोड़ती है। दिवालिया संहिता के तहत एस्सार स्टील का अधिग्रहण हाल में आर्सेलरमित्तल और निप्पॉन स्टील ने 42,000 करोड़ रुपये में किया है।
ओएसआईपीएल की शेयरधारिता इस तरह की है जिसमें श्रेय मल्टीपल ऐसेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट की योजना इंडिया ग्रोथ ऑपरच्युनिटीज फंड की 69 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि बाकी एस्सार स्टील के पास है। आर्सेलर की समाधान योजना को हालांकि श्रेय इन्फ्रा फाइनैंस लिमिटेड की तरफ से चुनौती मिली है, जो सुरक्षित वित्तीय लेनदार है। श्रेय का विरोध कीमत को अधिकतम करने के इर्द-गिर्द है।
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