सड़क ठेकों के बिल्ट ऑपरेट ट्रांसफर (बीओटी) मॉडल के बोली और कॉन्ट्रैक्ट संबंधी नियमों में बदलाव को अंतिम रूप दे दिया गया है, लेकिन पर्यवेक्षकों का मानना है कि बड़ी कंस्ट्रक् शन कंपनियां इस क्षेत्र में वापस आने की जल्दबाजी में नहीं हैं। जहां तक छोटे कारोबारियों की बात है, उन्होंने हाइब्रिड एन्युटी मॉडल में जगह ले ली है। निजी निवेश को आकर्षित करने में सबसे अहम भूमिका पेशकश की जाने वाली सड़क और पर अनुमानित यातायात की सघनता की होगी। नए मसौदा मानक बीओसी में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए पेश किए गए हैं। बड़े राजमार्ग डेवलपरों (एलऐंडटी और हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन) ने निवेश के रिटर्न में देरी, कठोर कंसेसनायर समझौते और सरकारोंं के साथ कानूनी विवाद के कारण इन ठेकों पर ध्यान देना कम कर दिया है। मसौदा मॉडल कंसेसनायर समझौते के मुताबिक भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और कंसेसनायर इस बात पर सहमत होंगे कि वित्तीय चूक की स्थिति में कर्जदाता या बैंक निजी बातचीत या सार्वजनिक नीलामी या टेंडर के माध्यम से राजमार्ग परियोजना के टेकओवर और ट्रांसफर के लिए आमंत्रण, बातचीत और खरीद की पेशकश कर सकता है। सलाहकार फर्म डेलॉयट इंडिया में पार्टनर कुशल सिंह का कहना है, 'ये भावी दिशानिर्देश है, पूर्वव्यापी नहीं, बड़ा मसला उनका इस्तेमाल है। इससे निजी हिस्सेदारी को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन बड़ा मसला कम अवधि के हिसाब से बाजार में फैला अविश्वास है।' इसमें भी बाजार संबंधी जोखिम और बेहतर आवाजाही के अनुमान का मसला अहम है। उन्हें लगता है कि इन वजहों से बीओटी दिशानिर्देश का लाभ बड़े आकार के कारोबारियों के लिए कम हो जाता है। इस महीने की शुरुआत में आई रेटिंग एजेंसी इक्रा की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल के वर्षों में सड़क डेवलपरों का जोखिम बढ़ा है। इसमें कहा गया है, 'यहां तक कि आज भी तमाम डेवलपरों की बैलेंस शीट बीओटी परियोजनाओं में बड़े इक्विटी निवेश को आकर्षित करने में सक्षम नहीं है। इसके अलावा परिवहन क्षेत्र में वैकल्पिक मोड के साथ बदलाव आ रहा है, जिसमें समर्पित मालवहन (रेल) गलियारा और जमीनी जलमार्ग शामिल है। इसकी वजह से सड़क परिवहन मध्यावधि व दीर्घावधि में इन परिवहन माध्यमों की ओर जा सकता है।' सड़क नेटवर्क में भी अहम बदलाव हो रहा है। भारतमाला परियोजना पूरी होने पर मौजूदा सड़क खंडों पर कुछ आर्थिक गलियारे तैयार हो जाएंगे। इसमें कहा गया है, 'कुल मिलाकर इन वजहों से यातायात की सघनता को लेकर अनुमान करना चुनौतीपूर्ण हो गया है। इस साल आवंटन स्थिर रह सकता है, जिसकी वजह आवंटन में बदलाव, प्रक्रियात्मक देरी और निजी क्षेत्र की कम दिलचस्पी शामिल है।' इक्रा को उम्मीद है कि 2020 में सड़क आवंटन 3,700 से 4,000 किलोमीटर के बीच बना रहेगा। एनएचएआई के नए दिशानिर्देशों में सौहार्दपूर्ण निकासी का प्रावधान किया गया है, जिसमें कर्जदाता को अनुमति दी गई है कि अटकी हुई परियोजना किसी अन्य निर्माण कंपनी को हस्तांतरित कर सकता है, अगर पहली कंपनी समय पर परियोजना पूरी करने में सक्षम नहीं होती है। अगर प्राधिकरण को कोई आपत्ति है तो कर्जदाताओं के प्रतिनिधि द्वारा किए गए प्रस्ताव के 15 दिन के भीतर तार्किक आदेश देना होगा। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय व नीति आयोग के साथ बातचीत के बाद संशोधन का प्रस्ताव किया गया है।
