सोहिनी दास और विवेट सुजन पिंटो / नई दिल्ली January 14, 2020
शुल्क में संशोधनों के बाद प्रसारक और इस क्षेत्र के नियामक के बीच टकराव बढऩे के बीच विशेषज्ञों और उद्योग के अधिकारियों ने कहा है कि इसकी वजह से सबस्क्रिप्शन राजस्व में 10 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है। ऐसे समय में जब आर्थिक मंदी की वजह से विज्ञापन से मिलने वाला राजस्व कम हुआ है, विशेषज्ञों के मुताबिक सबस्क्रिप्शन राजस्व में कमी आने से इस उद्योग में संकट और बढ़ेगा।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने बुके की कीमत तय करने में दो शर्तों का सुझाव दिया है। पहला, छूट की सीमा 33 प्रतिशत करना और दूसरा किसी चैनल का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) उस बुके के चैनलों के औसत मूल्य से 3 गुना तक रखना शामिल है। एसबीआई कैप सिक्योरिटीज के विश्लेषकों का कहना है कि प्रसारकों के अलावा केबल और डाइरेक्ट टु होम (डीटीएच) का प्रति उपभोक्ता औसत राजस्व (एआरपीयू) भी नए शुल्क आदेश (एनटीओ-2) में प्रभावित होगा।
सोमवार को इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन (आईबीएफ) के साथ व्यक्तिगत सदस्यों जैसे स्टार डिज्नी, सोनी, जी और वायाकॉम 18 ने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर शुल्क आदेश लागू करने पर स्थगनादेश की मांग की है। अगली सुनवाई 22 जनवरी को है, जब उम्मीद की जा रही है कि ट्राई आईबीएफ और मीडिया कंपनियों द्वारा न्यायालय में दाखिल याचिकाओं पर अपनी प्रतिक्रिया देगा।
शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में शीर्ष प्रसारकों ने कहा था कि नियामक द्वारा उद्योग का सूक्ष्म स्तर पर प्रबंधन अवांछित है और इससे इस क्षेत्र की कुल वृद्धि दर पर असर पड़ेगा। सोनी पिक्चर्स नेटवर्क इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक एनपी सिंह ने कहा, 'केवल प्रसारकों के राजस्व पर क्यों ध्यान केंद्रित है? वह भी ऐसे समय में जब प्रसारक कंटेंट तैयार करते हैं और क्षमता व प्रतिभा पर निवेश करते हैं। फरवरी 2019 में हुआ शुल्क संशोधन मनमाना और और विभेदकारी है।' सिंह आईबीएफ के अध्यक्ष भी हैं।
उद्योग जगत के सूत्रों ने कहा कि डिस्कवरी कम्युनिकेशंस भी मूल्य संशोधन के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर सकती है, जिसके प्रतिनिधि शुक्रवार को हुए संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थे। पिछले साल जब एनटीओ 1 लागू किया गया था तब डिस्कवरी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। यह अभी साफ नहीं है कि क्या डीटीएच कारोबारी भी न्यायालय में जा सकते हैं, क्योंकि पिछले साल टाटा स्काई और एयरटेल डीटीएल ने भी शुल्क आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि एक चैनल की कीमत में करीब 37 प्रतिशत कमी आएगी, अगर उनके सबस्क्रिप्शन की दर 19 रुपये से घटाकर 12 रुपये कर दी जाती है। इससे प्रसारक को मुश्किल का सामना करना पड़ेगा क्योंकि पिछले कुछ दिन में कार्यक्रम तैयार करने की लागत बढ़ी है।
इलारा कैपिटल में शोध के वाइस प्रेसीडेंट करण तौरानी ने कहा कि कीमतों में संशोधन के बाद कम एआरपीयू का मतलब हुआ कि प्रसारकों की राजस्व हिस्सेदारी कम होगी, जो फरवरी 2019 के शुल्क आदेश के बाद करीब 50 प्रतिशत हिस्सा पा रहे हैं। उन्होंने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि प्रतिशत हिस्सेदारी इतनी ही बनी रहेगी, लेकिन कीमतों में संशोधन को लागू किए जाने के बाद कुल मिलाकर वितरण राजस्व उल्लेखनीय रूप से कम होगा।'
Business Standard Private Ltd. Copyright & Disclaimer feedback@business-standard.com
This site is best viewed with Internet Explorer 6.0 or higher; Firefox 2.0 or higher at a minimum screen resolution of 1024x768
* Stock quotes delayed by 10 minutes or more. All information provided is on
"as is" basis and for information purposes only. Kindly consult your
financial advisor or stock broker to verify the accuracy and recency of all
the information prior to taking any investment decision.
While due diligence is done and care taken prior to uploading the stock
price data, neither Business Standard Private Limited, www.business-standard.com nor any
independent service provider is/are liable for any information errors,
incompleteness, or delays, or for any actions taken in reliance on
information contained herein.