नियमों से वाहन उद्योग पर दबाव बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक राजीव बजाज ने आज कहा कि ज्यादा नियमों के कारण वाहन उद्योग चौपट हो रहा है और आगामी आम बजट में उसकी मुश्किलों के समाधान की संभावना नहीं है। बजाज ने एक कार्यक्रम के इतर कहा, 'मुझे लगता है कि वाहन उद्योग की मौजूदा खस्ता हालत के लिए जरूरत से ज्यादा नियम जिम्मेदार हैं। ज्यादा नियमों के कारण वाहन उद्योग मर रहा है।' इस कार्यक्रम में बजाज ऑटो ने ई-चेतक की कीमतों का खुलासा किया। इसकी कीमत 100,000 रुपये से शुरू होगी। इलेक्ट्रिक श्रेणी में कंपनी का यह पहला वाहन है और इसकी बुकिंग बुधवार से शुरू होगी। फरवरी के अंत में बेंगलूरु और पुणे में केटीएम के कुछ चुनिंदा शोरूम में इसकी आपूर्ति शुरू हो जाएगी। बजाज ने पिछले साल 16 अक्टूबर को दिल्ली में इस स्कूटर की झलक पेश की थी। चेतक को एक बार चार्ज करने पर 95 किमी तक चलाया जा सकता है। पिछले डेढ़ वर्ष में जारी सुरक्षा, बीमा और उत्सर्जन से संबंधित नियमों के कारण दोपहिया वाहन (किफायती और ज्यादा बिकने वाली श्रेणी में 150 सीसी और उससे अधिक) करीब 30 फीसदी महंगे हो गए हैं। इससे मांग प्रभावित हुई है। बजाज की टिप्पणी ऐसे वक्त आई है जब अर्थव्यवस्था की सुस्ती के कारण वाहन उद्योग लंबे समय से मांग में कमी की समस्या से जूझ रहा है। लगाताार छह तिमाहियों से यात्री वाहनों की बिक्री में गिरावट आई है जबकि दोपहिया वाहनों की बिक्री चार तिमाहियों से ढलान पर है। दिसंबर तिमाही में मोटरसाइकल और स्कूटर की बिक्री में 15 फीसदी की गिरावट आई। वाहन उद्योग की संस्था सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मेन्यूफैक्चरर्स (सायम) के मुताबिक दिसंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के गिरावट के साथ 4.8 फीसदी से 5.3 फीसदी के बीच रहने का अनुमान है जबकि पिछले साल समान तिमाही में यह 6.6 फीसदी रही थी।उल्लेखनीय है कि बीमा नियामक ने सितंबर 2018 में थर्ड पार्टी देनदारी के लिए पांच साल के प्रीमियम का अग्रिम भुगतान अनिवार्य बना दिया था। बजाज ने कहा, 'हर किसी के लिए बीमा अनिवार्य बनाने का क्या तुक है। इसका मतलब तो यह है कि जैसे लोग अपनेे बारे में नहीं सोच सकते हैं। सरकार को हमारी तरफ से सोचने की जरूरत है। हम सरल विकल्प नहीं बना सकते हैं।'उन्होंने एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम को भी दोपहिया वाहनों के लिए अनिवार्य सुरक्षा उपाय बनाने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता है कि इसकी कोई जरूरत थी। भारत में सड़कों की स्थिति और वाहनों की भारी भीड़ को देखते हुए 20 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलना भी मुश्किल होता है। ऐसे में एबीएस (150 सीसी और उससे अधिक क्षमता वाले दोपहिया वाहनों पर) अनिवार्य बनाने से कीमत 8,000 से 10,000 रुपये बढ़ गई है। इसका कोई मतलब नहीं है।' राजीव बजाज से साथ ही कहा कि बीएस-छह मानक लाने के बजाय प्रदूषण फैलाने वाले पुराने वाहनों को ठिकाने लगाने की व्यवस्था बनाई जानी चाहिए थी। बीएस-छह से दोपहिया वाहनों की कीमत और बढ़ेगी। उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी की दर 15 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया लेकिन साथ ही कहा कि पेट्रोल से चलने वाले दोपहिया वाहनों पर जीएसटी दर 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी करने से कंपनियों को बढ़ी लागत की भरपाई करने में मदद मिलती। उन्होंने कहा कि यही वास्तविक मुद्दे हैं और जब तक इनका समाधान नहीं किया जाता है तब तक वाहन उद्योग की मुश्किलें बनी रहेंगी। नियमों पर नाखुशी जताने वाले बजाज अकेले उद्योगपति नहीं हैं। कई दूसरी वाहन कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने भी वाहनों लिए हाल फिलहाल बनाए गए नियमों और उनसे कीमतों पर पडऩे वाले बोझ पर चिंता जताई है।
