आरकॉम को मिल गए खरीदार | |
21,000 करोड़ रुपये की बोली लगा जियो और यूवीएआरसी शीर्ष बोलीदाता | सुरजीत दास गुप्ता / नई दिल्ली 01 14, 2020 | | | | |
► 43,000 दूरसंचार टावरों और 178,000 किमी फाइबर नेटवर्क
► 188 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम, जिनमें 800 बैंड के हैं 96.5 मेगाहर्ट्ज
► दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता और नवी मुंबई में रियल एस्टेट संपत्तियां
► डेटा सेंटर और एंटरप्राइज कारोबार
रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और उसकी सहायक इकाइयों की संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो इन्फोकॉम और परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी यूवीएआरसी सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी के तौर पर सामने आई है। सूत्रों के अनुसार 21,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई गई है।
अनिल अंबानी की कंपनी दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है और रिलायंस जियो से संपत्तियों की खरीद की पेशकश मिलने के बाद इसे पिछले साल मई में उसे एनसीएलटी में भेजा गया था। समाधान पेशेवर की नियुक्ति पिछले साल जून में की गई थी। सोमवार देर रात हुई ऋणदाताओं की समिति की बैठक हुई। सूत्रों ने कहा कि रिलायंस जियो ने रिलायंस इन्फ्राटेल के टावर और फाइबर संपत्तियों की खरीद के लिए अब पहले से अधिक 4,700 करोड़ रुपये देने पर सहमति जताई है, वहीं यूवीएआरसी ने आरकॉम और रिलायंस टेलीकॉम के स्पेक्ट्रम, रियल एस्टेट और एंटरप्राइज और डेटा कारोबार के लिए 16,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने की पेशकश की है।
माना जा रहा है कि बोलीदाता ने 90 दिन के अंदर 30 फीसदी राशि का भुगतान करने की प्रतिबद्धता जताई है। इस बारे में जानकारी के लिए रिलायंस जियो और यूवीएआरसी को ईमेल भेजा गया लेकिन कोई जवाब नहीं आया। समाधान पेशेवर अनीश नानावती को भेजे गए ईमेल का भी जवाब नहीं आया।
आरकॉम के 38 ऋणदाताओं को उम्मीद है कि वे अपने 33,000 करोड़ रुपये के बकाये का करीब 75 फीसदी वसूलने में सक्षम होंगे, जो एयरसेल के बकाये की वसूली से कहीं बेहतर है। एयरसेल के 20,000 करोड़ रुपये के बकाये में बैंकों को 99 फीसदी का नुकसान हुआ था। यूवीएआरसीएल ने 150 करोड़ रुपये अग्रिम देने पर सहमति जताई है। इसकी योजना फाइबर और अन्य दूरसंचार संपत्तियों को बेचकर बैंकों का कुछ बकाया हासिल करने की है।
सूत्रों के अनुसार बोलीदाताओं के अलावा आरकॉम के ऋणदाता चीन और भारतीय ऋणदाताओं को किए गए 4,300 करोड़ रुपये के भुगतान की भी कर सहित वसूली करेंगे। ऋणदाताओं की समिति 3 फरवरी को राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) में सुनवाई से पहले संबंधित बोर्ड से 31 जनवरी को समाधान योजना पर मंजूरी लेगी।
आरकॉम और उसकी सहायक इकाइयों को जियो के अलावा भारती एयरटेल और निजी इक्विटी फर्म वार्डे पार्टनर्स से भी बोली मिली थी। भारती एयरटेल ने 9,500 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी लेकिन उसने रियल एस्टेट को शामिल नहीं किया था और भुगतान किस्तों में करने की बात कही थी।
यूवीएआरसीएल संकट में फंसी दूरसंचार संपत्तियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि संपत्तियों के मुद्रीकरण के लिए वह दूरसंचार कंपनी से या बुनियादी ढांचा कंपनी के साथ साझा करेगी। जियो टावर और फाइबर संपत्तियां खरीदने की ही इच्छुक है। विशेषज्ञों ने कहा कि जियो आईपीओ लाने की प्रक्रिया में है और आरकॉम तथा रिलायंस टेलीकॉम के लिए गैर-सूचीबद्ध इकाई के नियमों के तहत बोली लगाने में कठिनाई का सामना कर सकती है।
अंतरिम समाधान पेशेवर ने अनिल अंबानी की कंपनी के लिए संभावित कंपनियों से बोली आमंत्रित की थी। जियो स्पेक्ट्रम साझेदारी के तहत 21 सर्किलों में आरकॉम के 800 मेगाहर्ट्ज बैंड पर 58 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम का उपयोग कर रही है। आरकॉम के पास कुल 188 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम हैं। इन में से अधिकांश 800 मेगाहर्ट्ज बैंड पर हैं, जो 4जी सेवाओं के लिहाज से महत्त्वपूर्ण हैं। इन स्पेक्ट्रम के लाइसेंस 2021 में खत्म होंगे। आरकॉम के परिचालन बंद करने के बाद जियो इसके टावरों की एकमात्र किरायेदार है।
रिलायंस जियो ने पिछले साल 25,000 करोड़ रुपये में आरकॉम की संपत्तियां खरीदने का करार किया था, जिनमें 43,000 टावर, 178,000 किलोमीटर फाइबर नेटवर्क और स्पेक्ट्रम शामिल थे। लेकिन दूरसंचार विभाग द्वारा बकाया भुगतान की जिम्मेदारी लेने की बात कहने से यह सौदा अटक गया था, क्योंकि जियो ने इस तरह का हलफनामा देने से मना कर दिया था। इसके बाद आरकॉम एनसीएलटी में गई थी।
इस सौदे से पहले आरकॉम 2017 में अपने टावर कारोबार में 51 फीसदी हिस्सेदारी ब्रूकफील्ड को 11,000 करोड़ रुपये में बेचने की संभावना तलाश रही थी, जिसके मुताबिक इस कारोबार का मूल्यांकन करीब 22,000 करोड़ रुपये था। लेकिन मौजूदा सौदा इससे काफी कम मूल्यांकन पर किया जा रहा है।
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