बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान
अनूप रॉयचौधरी / नई दिल्ली January 13, 2020
आगामी बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.5 प्रतिशत या 2020-21 के लिए जीडीपी से नीचे निर्धारित कर सकती हैं। मौजूदा मध्यावधि राजकोषीय ढांचे के अनुसार, केंद्र आगामी वर्ष के लिए जीडीपी के 3 प्रतिशत पर राजकोषीय घाटे का लक्ष्य मान रहा है। इसके बढ़कर 3.5 प्रतिशत पर रहने से 1.13 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च की गुंजाइश बढ़ सकती है।
वर्ष 2019-20 के लिए सीतारमण ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 3.3 प्रतिशत पर तय किया था। स्पष्टï है कि अब यह लक्ष्य पूरा नहीं होगा, क्योंकि वास्तविक और सामान्य जीडीपी में मंदी से, सकल कर राजस्व में गिरावट 2 लाख करोड़ रुपये की तुलना में ज्यादा रह सकती है और अब केंद्र द्वारा अपने 1 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा किए जाने के संदर्भ में भी आशंका पैदा हो गई है, भले ही वित्त मंत्रालय ने यह अनिवार्य किया है कि केंद्रीय विभाग लगभग 2 लाख करोड़ रुपये तक के खर्च सुनिश्चित करें।
पहले कहा गया था कि चालू वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.5 से 3.8 प्रतिशत के बीच रह सकता है। इसका मतलब है कि मौजूदा मध्यावधि लक्ष्य के मुकाबले 3.5 प्रतिशत या इससे कम के राजकोषीय घाटे का अनुमान महंगा होगा। हालांकि केंद्र द्वारा वास्तव में हासिल किए गए इस घाटे के लक्ष्य की तुलना में यह राजकोषीय दबाव की स्थिति मानी जा सकती है।
बजट-पूर्व बैठकों में अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों ने सीतारमण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजकोषीय चिंताएं कुछ समय के लिए छोड़ देने की सलाह दी है और अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए खर्च कार्यक्रमों पर जोर दिया गया है। बिजनेस स्टैंडर्ड को पता चला है कि सरकार की विभिन्न स्तरों पर हुईं बैठकों में, नीति निर्माताओं ने इस पर चर्चा की कि क्या खर्च में तेजी लानी है या राजकोषीय समेकन की रूपरेखा पर ध्यान बनाए रखना है।
जहां कई नौकरशाहों ने बजटीय चिंताओं को अलग रखने की सलाह दी है, वहीं राजनीतिक नेतृत्व का मानना है कि काफी हद तक राजकोषीय अनुशासन को बरकरार रखे जाने की जरूरत होगी। इन चर्चाओं से अवगत एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'राजनीतिक नेतृत्व का नजरिया अपनी सरकार के पहले कार्यकाल से बदला नहीं है। कुछ हद तक अनुशासन पर जोर देने की जरूरत होगी, भले ही दूसरों से परामर्श पर ध्यान दिया गया हो।'
केंद्र द्वारा अगले साल खर्च से संबंधित बड़ी प्रतिबद्घताएं किए जाने की संभावना है। नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन की रिपोर्ट में दिए गए आंकड़े से संकेत मिलता है कि केंद्र की पूंजीगत खर्च प्रतिबद्घता 4 लाख करोड़ रुपये के आसपास रह सकती है, जबकि राजस्व खर्च बोझ में भी इजाफा होगा।
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