शुल्क 5 प्रतिशत करने की मांग | दिलीप कुमार झा / मुंबई January 13, 2020 | | | | |
रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में विनिर्माण और निर्यात बढ़ाने के लिए वाणिज्य मंत्रालय ने आगामी बजट में सोने पर आयात शुल्क में कटौती की मांग की है। एक सूत्र ने यह जानकारी दी है। अपने बजट प्रस्तावों में मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को इस पीली धातु पर आयात शुल्क में बड़ी कटौती पर विचार करने की सलाह दी है। पिछले बजट में सरकार ने सोने पर आयात शुल्क बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया था।
चूंकि सोने के दाम भी बढ़ रहे थे इसलिए जब पिछली जुलाई में आम बजट पेश किए जाने के बाद शुल्क बढ़ाया गया तो सोने के दाम लगभग 20 प्रतिशत बढ़ गए। इससे सीमा शुल्क पर और ज्यादा असर पड़ा। अधिक दाम और अधिक शुल्क के कारण पहले ही बुरा असर पड़ रहा है जो रोजगार पैदा करने वाले इस उद्योग को खत्म कर रहा है। देश के घरेलू खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों ने भी सरकार से सोने पर आयात शुल्क में कटौती और आभूषणों के प्रमाणन पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कम करने की गुजारिश की है।
चेन्नई के खुदरा आभूषण विक्रेता एनएसी ज्वैलर्स के प्रबंध निदेशक अनंत पद्मनाभन ने कहा कि पिछले 12 से 18 महीने में अनुमानित 10 लाख कुशल कर्मियों में से कम से कम 20 प्रतिशत अन्य सेवाओं में पलायन कर चुके हैं जिसमें स्विगी जैसी शृंखला तथा ओला और उबर जैसी कार परिवहन सेवाएं भी शामिल हैं। उनके अनुसार पलायन करने वाले कुशल कर्मी तकरीबन 45,000 रुपये प्रति माह कमाते हैं। घरेलू बिक्री में नरमी की वजह से आभूषण उद्योग इसका मुकाबला नहीं कर सकता है। इस कारण इस अवधि में तीव्र गिरावट घरेलू आभूषण क्षेत्र के लिए बड़ी चिंता की बात है।
सोने के दामों में तेज इजाफे और देश की पूरी अर्थव्यवस्था में मंदी के कारण पिछले 12 महीने के दौरान आभूषण बिक्री में काफी गिरावट आई है। देश में सोने का भाव फिलहाल 39,670 रुपये प्रति 10 ग्राम की दर पर चल रहा है। पिछले एक साल में इसमें करीब 25 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया गया है जिससे आभूषण बिक्री को काफी चोट पहुंची है।
पद्मनाभन ने कहा कि घरेलू आभूषण उद्योग के लिए परिदृश्य बहुत खराब है। इस स्तर के बाद सोने के दामों में पांच प्रतिशत का और इजाफा होने से भारत में आभूषण उद्योग खत्म हो जाएगा। सुधार के लिए उद्योग को तुरंत सरकारी सहायता की जरूरत है।
कृषि उत्पादन में गिरावट और ग्रामीण उपभोक्ताओं के लगातार दबाव में रहने के कारण मांग के इस हिस्से पर भी चोट पहुंची है। इसके परिणामस्वरूप पिछले एक साल के दौरान छोटे और मध्य आकार के कई खुदरा विक्रेताओं को अपने परिचालन के आकार में कटौती करनी पड़ी है और शोरूम का एक हिस्सा अन्य संंभावित कारोबार के लिए किराये पर देना पड़ा है।
रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के वाइस चेयरमैन कोलिन शाह ने कहा कि सोने पर सीमा शुल्क में तत्काल पांच प्रतिशत कटौती करने की जरूरत है। अप्रैल से सितंबर 2019 में 1.5 प्रतिशत की दर के साथ चालू खाते के घाटे (सीएडी) की स्थिति नियंत्रण में रहने के कारण हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि सोने पर सीमा शुल्क मौजूदा 12.5 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत किया जाए। इसके अलावा कच्चे हीरों पर आयात शुल्क मौजूदा 7.5 प्रतिशत से कम करके 2.5 किया जाना चाहिए।
(साथ में एजेंसियां)
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