प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच शनिवार को हुई मुलाकात के ठीक एक दिन बाद मोदी ने उनके ही राज्य में ममता पर कटाक्ष किए और कहा कि राज्य केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू नहीं कर रहा है क्योंकि इससे दूसरे गुटों को कोई लाभ नहीं होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुष्मान भारत तथा किसानों के बैंक खाते में सीधे रुपये भेजने वाली प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना से बड़े पैमाने पर लोगों को लाभ पहुंचा है और अभी तक किसानों के खातों में 43,000 करोड़ रुपये पहुंचाए जा चुके हैं। मोदी ने कहा, 'मैं नहीं जानता कि यहां (पश्चिम बंगाल) ये दिए जा रहे हैं लेकिन अगर ये दिए गए तो इससे लोगों को लाभ पहुंचेगा।'
उन्होंने कहा, 'लाभार्थियों के खाते में प्रत्यक्ष धन अंतरण में बीच में किसी तरह की पैसों की कटौती नहीं होती है (जैसा कि राजनेताओं तथा दूसरे प्रभावशाली लोगों द्वारा आरोप लगाए गए थे)। साथ ही इस प्रणाली में किसी तरह की सेंधमारी नहीं हो सकती।' मोदी ने आरोप लगाया कि इन वजहों से ही पश्चिम बंगाल सरकार ये योजनाएं लागू करने की इच्छुक नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रत्यक्ष तौर पर ममता का नाम लिए बिना कहा, 'मैं नीति निर्धारक को सद्बुद्धि देने के लिए भगवान से प्रार्थना करूंगा। मैं चाहता हूं कि लोग इन योजनाओं से लाभान्वित हों। मैं लोगों के गुस्से को भी समझता हूं। मैं जानता हूं कि अब लोगों को इन योजनाओं का लाभ लेने से कोई नहीं रोक सकता।' पश्चिम बंगाल में आयुष्मान भारत की तर्ज पर राज्य की 'स्वास्थ्य साथी' तथा स्वच्छ भारत के स्थान पर 'निर्मल बंगाल' योजनाएं चल रही हैं। राज्य में पिछले साल 'कट-मनी घोटाला' सामने आया था जिसके बाद ममता ने कमीशन के जरिये कमाए गए पैसे को लौटाने का आदेश दिया था।
छात्रों के खिलाफ हुई हिंसा की निदा करने और सीएए का विरोध करने के बावजूद ममता नई दिल्ली में कांग्रेस तथा विपक्षी दलों की बैठक में शामिल नहीं हुई और कोलकाता में प्रधानमंत्री से मुलाकात की। ममता ने मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया। हालांकि शनिवार को मोदी से मुलाकात के बाद कांग्रेस-वाम दलों की ओर से ममता पर दोहरा चरित्र रखने का आरोप लगाया गया। हालांकि ममता ने इन आरोपों को नकार दिया और कहा कि उन्होंने सीएए पर पुनर्विचार तथा इसे वापस लेने के लिए मोदी से मुलाकात की।
प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद ममता सीएए तथा एनआरसी के खिलाफ कोलकाता में चल रहे प्रदर्शन में शामिल हुईं।
कोलकाता बंदरगाह के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में ममता को प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया लेकिन वह शामिल नहीं हुईं। यहां मोदी ने घोषणा की कि देश में जलमार्गों के विकास में योगदान को देखते हुए बंदरगाह का नाम बदलकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह किया जाएगा।
मोदी ने कहा, 'मुखर्जी और बाबा साहेब आंबेडकर ने स्वतंत्र भारत में नीतियों को दिशा दी जिसमें जलमार्गों के विकास तथा तटीय स्थानों पर जहाज से यात्रा पर भी जोर दिया गया था। दुर्भाग्य से उनके सुझावों पर अधिक गौर नहीं किया गया।'
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