मुंबई मेट्रोपोलियन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) परिचालन में आने के बाद अपनी मेट्रो लाइनों को टोल ऑपरेट ट्रांसफर मॉडल के तहत डालने पर विचार कर रहा है। यह कवायद वैश्विक पेंशन फंडों को आकर्षित करने के लिए की जा रही है। कुल 337 किलोमीटर लंबे मेट्रो नेटवर्क की योजना में दो लाइनों 2ए और 6 के इस साल चालू होने की संभावना है। एमएमआरडीए के मेट्रोपोलिटन कमिश्नर आरए राजीव को उम्मीद है कि परिचालन वाली लाइनों का आंशिक रूप से मुद्रीकरण किया जा सकेगा और शेष लाइनों के निर्माण के लिए धन जुटाया जा सकेगा। राजीव ने कहा, 'हम पेंशन व सॉवरिन फंडों के साथ समझौता कर रहे हैं। कनाडा पेंशन फंड जैसे इन पेंशन फंडों ने 30 साल के लिए इसे लेने में दिलचस्पी दिखाई है, जहां सभी राजस्व किराया व गैर किराया, इस अवधि के लिए उन्हें दे दिया जाएगा। हम सिर्फ इस राजस्व के 70 प्रतिशत का मुद्रीकरण इन फंडों से करेंगे।' बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए शहर 1.4 से 1.5 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं विकसित कर रहा है। इनमें मुंबई ट्रांसहार्बर लिंक (एमटीएचएल), पूरे शहर में मेट्रो नेटवर्क बनाना, जिसमें परिचालन वाली मेट्रो लाइन भी है, शामिल है। इन परियोजनाओं के बड़े हिस्से पर एमएमआरडीए काम करा रहा है। मेट्रोपोलिटन कमिश्नर ने कहा, 'एमएमआरडीए मॉडल ऐसा है कि इसमें राज्य और केंद्र से बुनियादी ढांचा विकास के लिए फंड नहीं लिया जाएगा।' उन्होंने कहा कि मेट्रो नेटवर्क की योजना के लिए ही 30,000 करोड़ रुपये के वित्तपोषण के लिए द्विपक्षीय व बहुपक्षीय वित्तपोषण एजेंसियों से बात चल रही है। बहरहाल अब से 2026 तक की महत्त्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए एमएमआरडीए को अभी और 80,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। राजीव ने कहा कि पेंशन फंडों के साथ विकास प्राधिकरण के पास भी करीब 14,000 से 15,000 करोड़ रुपये हैं। प्राधिकरण को सालाना 500-600 करोड़ रुपये राज्स सरकार से भी स्टांप शुल्क में हिस्सेदारी के रूप में मिलने की उम्मीद है, जो आसपास की परियोजनाओं पर लगेगा। इसके अलावा सालाना 1,000 करोड़ रुपये निर्माणाधीन रियल एस्टेट परियोजनाओं पर लगने वाले विकास शुल्क के रूप में आने की संभावना है। राजीव ने कहा, 'स्टांप शुल्क 2015 से लागू है, जबकि विकास शुल्क पिछले साल से लागू है।' उन्हें उम्मीद है कि बढ़ी हुई राशि जल्द मिलने लगेगी। विकास प्राधिकरण भूमि बैंक के दीर्घावधि पट्टा व्यवस्था से भी धन जुटाने पर विचार कर रहा है, जिससे इन परियोजनाओं का वित्तपोषण हो सके। पट्टे पर जमीन की नीलामी के माध्यम से पिछले साल 2,000 करोड़ रुपये जुटाए गए थे।
