नक्सल प्रभावित इलाकों में न केवल सुरक्षा बलों को बल्कि बैंकरों को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन बैंक अधिकारियों के लिए दुरुह कार्य साबित हो रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार ने इस पर सख्ती दिखाई है और बैंकरों को प्रभावित इलाकों में बैंकिंग सेवाएं कारगर बनाने को कहा है। बैंकरों की राज्य स्तरीय बैठक के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सल प्रभावित इलाकों में बैंक शाखाओं और एटीएम की घटती संख्या पर सख्त आपत्ति जताई है। राज्य सरकार ने 31 जनवरी, 2020 तक इन इलाकों में नई शाखाएं खोलने और एटीएम लगाने की समयसीमा तय की है। छत्तीसगढ़ के 14 जिले नक्सल प्रभावित हैं। वर्तमान में कुल 467 बैंक शाखांए परिचालन में हैं, जिनमें से अधिकांश राष्ट्रीयकृत बैंकों के हैं। इसके साथ ही बैंक शाखाओं से इतर 362 एटीएम हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ हालिया बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जल्द ही 33 बैंक शाखाएं और एटीएम खोलने का भरोसा दिया था। कोर बैंकिंग के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी और सुदूरवर्ती इलाकों में नकद अंतरण भी बैंकरों की बड़ी चुनौती है। कुछ शाखाओं तक हेलीकॉप्टर से नकद पहुंचाया लाया जाता है। राज्य के मुख्य सचिव आर पी मंडल ने कहा, 'नक्सल प्रभावित इलाकों में बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के लिए बैंकरों को जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के साथ समन्वय बनाकर काम करने को कहा गया है।' राज्य सरकार ने सुरक्षा बलों और पुलिस थाने के समीप नई बैंक शाखा और एटीएम के लिए जगह मुहैया कराने की पेशकश की है। केंद्र सरकार भी नक्सल प्रभावित इलाकों में वित्तीय समावेशन पर ध्यान दे रही है। गृह मंत्रालय के पास उपलब्ध ताजा आंकड़ों के अनुसार डाक विभाग ने पहले चरण में सर्वाधिक नक्सल प्रभावित 32 जिलों में 1,788 शाखाएं खोलने की मंजूरी दी है, जिनमें से 1,484 परिचालन में आ गए हैं। इसके अलावा वित्तीय सेवाओं के विभाग ने 30 नक्सल प्रभावित जिलों में 604 बैंक शाखाएं खोली हैं और 987 एटीएम लगाए हैं।
