कंपोजिट सप्लाई पर उच्च न्यायालय ने दूर किया भ्रम | इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली January 09, 2020 | | | | |
केरल उच्च न्यायालय ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत कंपोजिट सप्लाई से जुड़े विवादास्पद मसलों पर स्थिति साफ करने की कवायद की है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला इस मामले में दायर याचिकाओं में मार्गदर्शक सिद्धांत बन सकता है। अगर एक कंपनी द्वारा एक वस्तु या सेवाओं से ज्यादा की आपूर्ति की जाती है तो इसे जीएसटी व्यवस्था के तहत कंपोजिट या मिक्स माना जाएगा। अगर इसे कंपोजिट माना जाता है तो मूल सप्लाई पर लागू जीएसटी दर पूरी आपूर्ति पर लागू होगी, अन्यथा हर लेन देन पर अलग अलग दरें लागू होंगी।
मौजूदा मामले को स्पष्ट करते हुए ध्रुव एडवाइजर्स के पार्टनर नीरज बागड़ी ने कहा कि ऐबट हेल्थकेयर अस्पतालों व लैब्स को मेडिकल उपकरण देती है, जिसका इस्तेमाल बगैर विचार किए हुए होता है। इसके लिए ऐबट ने इन अस्पतालों व लैब्स से समझौता किया है। इस समझौते के तहत अस्पताल व लैब्स एक विशेष मात्रा में रीएजेंट्स, कैलीबरेटर्स, डिस्पोजल आदि समझौते की अवधि तक ऐबट के वितरकों के माध्यम से खरीदने के लिए बाध्य हैं। अब मसला यह है कि आपूर्ति किए गए इन वस्तुओं पर जीएसटी की दर कितनी होगी? जीएसटी के तहत मेडिकल उपकरणों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है, जबकि दवाओं आदि पर जीएसटी दर 5 प्रतिशत है।
यह मामला केरल के अथॉरिटी आफ एडवांस रूलिंग (एएआर) के पास गया, जिसने नियम दिया कि उपकरण व उत्पाद दोनोंं की आपूर्ति कंपोजिट है। अगर उल्लिखित उपकरण मूल आपूर्ति है और अन्य उत्पाद सिर्फ यूं ही उसके साथ लगा दिए गए हैं तो जीएसटी की 18 प्रतिशत की ज्यादा दर लागू होगी। बागड़ी ने कहा कि कर विभाग उन वस्तुओं को मूल आपूर्ति के रूप में चुनता है, जिसकी आपूर्ति पर ज्यादा कर लगता है और कंपोजिट सप्लाई में वही दर लागू करता है। अपीली न्यायाधिकरण ने इस स्थिति को बरकरार रखा है।
कंपनी इस फैसले के खिलाफ केरल उच्च न्यायालय गई। उच्च न्यायालय ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि किस तरह से एएआर इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि यह कंपोजिट सप्लाई थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि दो आपूर्तिकर्ता हैं और एक आपूर्तिकर्ता दोनों आपूर्तियां नहीं कर रहा है। इसके अलावा यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि उपकरण की आपूर्ति ही बगैल किसी विचार किए कर देयता वाली आपूर्ति होगी। साथ ही इस उल्लिखित मामले मेंं दो आपूर्तियों के मूल्यांकन का सवाल है। इस मामले मेंं यह पाया गया कि उपकरण के मूल्य में रीएजेंटे का भी मूल्य शामिल कर लिया गया है, जिससे इसे कंपोजिट सप्लाई के रूप में वर्गीकृत किया जा सके। एएआर ने कहा था कि इस आपूर्ति में उपकरणों के साथ आपूर्ति में मेडिकल उत्पाद आकस्मिक है। उच्च न्यायालय ने यह पूछा कि एएआर कैसे यह कह सकता है कि एक आपूर्ति आकस्मिक है या दूसरी। कोर्ट ने कहा कि कंपनी का पुराना पैटर्न देखे जाने की जरूरत थी कि किस तरह से लेन देन हो रहा है और उसके बाद ही यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अन्य के साथ एक लेन देन आकस्मिक है।
इन अवलोकनों के बाद उच्च न्यायालय ने मामले को एएआर के पास भेज दिया। बागड़ी ने कहा, 'कंपोजिट सप्लाई का मसला याचिका की बड़ी वजह है। उच्च न्यायालय ने मार्गदर्शक सिद्धांत दे दिया है कि कंपोजिट सप्लाई को किस तरह से परिभाषित किया जा सकता है।'
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